Quantcast
Channel: Mutual Funds in Hindi - म्यूचुअल फंड्स निवेश, पर्सनल फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट के तरीके, Personal Finance News in Hindi | Navbharat Times
Viewing all articles
Browse latest Browse all 1906

MF के रिटर्न पर टर्नओवर रेशियो का भी पड़ता है असर

$
0
0

[ संकेत धानोरकर | मुंबई ]

फंड मैनेजर किस तरह से स्टॉक्स का चुनाव करते हैं? क्या वे इनवेस्टमेंट के लिए बाय एंड होल्ड एप्रोच पर चलते हैं या वे रिटर्न की तलाश में मोमेंटम का पीछा करते हैं? एक आम इनवेस्टर के लिए यह समझ पाना अक्सर मुश्किल होता है कि फंड मैनेजर इनवेस्टमेंट के लिए किस रणनीति पर चलते हैं। हालांकि, कुछ आसानी से अवलेबल मीट्रिक्स से फंड मैनेजर की इनवेस्टमेंट स्टाइल के बारे में काफी कुछ पता चल सकता है। पोर्टफोलियो टर्नओवर रेशियो या चर्न इसी तरह की मीट्रिक है। एक्सपर्ट्स अक्सर कहते हैं कि पोर्टफोलियो टर्नओवर रेशियो भी देखकर इनवेस्टर्स किसी फंड में पैसा लगाने का फैसला करें।

किसी भी वक्त पर पोर्टफोलियो टर्नओवर रेशियो बताता है कि फंड ने कितनी तेजी से गुजरे एक साल में अपने पोर्टफोलियो में स्टॉक्स को खरीदा या बेचा है। अधिक रेशियो का मतलब है कि पोर्टफोलियो में ज्यादा खरीदारी और बिक्री हुई है, जबकि कम रेशियो का मतलब है कि फंड की ट्रेडिंग एक्टिविटी कम रही है। 100 फीसदी टर्नओवर रेशियो का मतलब है कि पूरा पोर्टफोलियो इस दौरान चर्न किया गया है।

ज्यादा चर्न ऐसे फंड्स में दिखाई देता है, जो डायनेमिक इनवेस्टमेंट स्टाइल पर चलते हैं- जहां फंड मैनेजर को यह अधिकार होता है कि वह पारंपरिक इक्विटी फंड्स के मुकाबले कैश को ज्यादा आक्रामक तरीके से इनवेस्ट करे। अन्य के लिए, हालांकि, टर्नओवर रेशियो फंड मैनेजर की इनवेस्टमेंट स्टाइल का संकेतक होता है, न कि उसे दिए गए अधिकार का।

टर्नओवर से रिटर्न पर क्या असर होता है?

फंड्सइंडियाडॉटकॉम में म्यूचुअल फंड रिसर्च की हेड विद्या बाला के मुताबिक, किसी फंड का टर्नओवर फंड हाउस के कल्चर को बताता है। बाला कहती हैं, 'जो फंड हाउस हमेशा सबसे आगे नहीं रहना चाहता है, वह एक कहीं स्थिर बाय-एंड होल्ड एप्रोच का पालन करता है। अन्य मोमेंटम की तलाश में अपने पोर्टफोलियो की लगातार चर्निंग करते रहते हैं।' ऐसे में इनवेस्टमेंट की इनमें से कौन सी रणनीति बेहतर है?

ET वेल्थ ने तीन साल और पांच साल के लिए इक्विटी फंड्स के पोर्टफोलियो चर्न का विश्लेषण किया है ताकि यह समझा जा सके कि इसका किस तरह से फंड के परफॉर्मेंस पर असर पड़ा है। 100 फीसदी से ज्यादा के टर्नओवर रेशियो वाले फंड्स को हाई-चर्न फंड्स की कैटेगरी में रखा गया और जिनका टर्नओवर रेशियो 50 फीसदी से कम था, उन्हें लो चर्न कैटेगरी में रखा गया। यह स्टडी ओपन-एंडेड इक्विटी डायवर्सिफाइड स्कीम्स पर आधारित है, जो पिछले पांच साल से मौजूद हैं। हमारे एनालिसिस में पता चला कि फंड्स की सभी कैटेगरी में, लो-चर्न फंड्स ने ज्यादा रिटर्न दिया। पिछले तीन सालों के दौरान हाई-चर्न लार्ज कैप फंड्स ने 21.5 फीसदी रिटर्न दिया है, जबकि लो-चर्न फंड्स ने 22.5 फीसदी रिटर्न दिया है। पांच साल के पीरियड के दौरान लार्ज कैप सेगमेंट में लो-चर्न फंड्स ने 12.8 फीसदी रिटर्न दिया है, जबकि हाई-चर्न फंड्स ने इसी दौरान 11.6 फीसदी रिटर्न दिया है।

यही ट्रेंड मिड और मल्टी कैप फंड कैटेगरीज में भी दिखा। हाई चर्न वाले मल्टी-कैप फंड्स ने गुजरे तीन साल में 23.9 फीसदी और 5 साल में 11.8 फीसदी रिटर्न दिया है, जबकि लो-चर्न फंड्स ने 3 साल में 25 फीसदी और 5 साल में 13.6 फीसदी रिटर्न दिया है। कुछ एनालिस्ट्स रिटर्न्स में अंतर की वजह ज्यादा चर्न के साथ जुड़े हुए छिपे हुए खर्चों को मानते हैं। जितनी जल्दी कोई फंड सिक्योरिटीज में ट्रेड करता है, उतना ही ज्यादा उसे ट्रांजैक्शन कॉस्ट चुकानी पड़ती है। इस कॉस्ट के चलते फंड का रिटर्न कम होता है। तेजी से स्टॉक्स की खरीद-बिक्री करने से यह भी पता चलता है कि फंड मैनेजर को अपने चुने गए स्टॉक्स पर ज्यादा भरोसा नहीं है। हालांकि, हाई चर्न हमेशा खराब नहीं होता, या लो चर्न हमेशा बेहतर रिटर्न दे यह भी निश्चित नहीं है।

परफॉर्मेंस को देखें

आउटलुक एशिया कैपिटल के सीईओ मनोज नागपाल मानते हैं कि इनवेस्टर्स को मार्केट की स्थिति के हिसाब से चर्न को देखना चाहिए। वह कहते हैं, 'बाय एंड होल्ड एप्रोच ट्रेंडिंग मार्केट में अच्छी चलती है, लेकिन रेंज-बाउंड मार्केट में, ज्यादा चर्न ठीक होता है।'

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।


Viewing all articles
Browse latest Browse all 1906

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>