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Channel: Mutual Funds in Hindi - म्यूचुअल फंड्स निवेश, पर्सनल फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट के तरीके, Personal Finance News in Hindi | Navbharat Times
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जल्द डीमैट फॉर्मेट में आएंगी इंश्योरेंस पॉलिसीज

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इंश्योरेंस कंपनियां और रिपॉजिटरीज जल्द ही ई-इंश्योरेंस बेचती नजर आएंगी। इंश्योरेंस रेगुलेटर इरडा बिजनेस को इस नए टूल की तरफ शिफ्ट करने में दिलचस्पी ले रहा है। शुरुआत में सिर्फ लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीज ही ई-इंश्योरेंस एकाउंट के तौर पर रखी जा सकेंगी। आप नई पॉलिसी सीधे ई-इंश्योरेंस रूट से खरीद सकेंगे या पुरानी पॉलिसी को इस फॉर्म में कन्वर्ट करा सकेंगे। यहां गौर करने वाली बात यह है कि यह ऑनलाइन पॉलिसी खरीदने जैसा नहीं है। CAMS इंश्योरेंस रिपॉजिटरी के सीईओ एस वी रमनन ने बताया, 'ऑनलाइन पॉलिसी खरीदना ई-टेलर से टीवी खरीदने जैसा है। इसमें पॉलिसी फिजिकल फॉर्म में इश्यू की जाती है और उसका वही वर्जन वैलिड डॉक्युमेंट होता है।'

आसान हुआ सुरक्षित रखना

ई-इंश्योरेंस एकाउंट होने से फिजिकल फॉर्म वाली पॉलिसी के खो जाने या गुम जाने या पेपर खराब हो जाने की आपकी फिक्र दूर हो जाएगी। पीएनबी मेटलाइफ के डिप्टी डायरेक्टर (ऑपरेशंस) शिवा कुमार एन ने कहा, 'क्लेम सेटलमेंट या मैच्योरिटी के वक्त ओरिजनल पॉलिसी डॉक्युमेंट की जरूरत होती है। इसके खो जाने की सूरत में कस्टमर्स को डुप्लिकेट डॉक्युमेंट हासिल करने के लिए बहुत से पेपरवर्क कराने होते हैं।' आप पॉलिसी को ट्रैक करने के लिए भरोसेमंद परिचित या रिश्तेदार को ऑथराइज्ड रेप्रेजेंटेटिव अप्वाइंट कर सकते हैं, लेकिन यहां इस बात का ध्यान रखना होगा कि वह शख्स पॉलिसी में नॉमिनी नहीं हो।

आपकी पॉलिसी से जुड़ी सभी इंफॉर्मेशन बस एक क्लिक पर मिल जाएंगी। इससे आपको ट्रांजैक्शन करने में आसानी होगी, साथ ही एक ही एकाउंट में आप अपनी सभी पॉलिसी को रख सकते हैं। इससे उनको मैनेज करने में आसानी होगी। रमनन कहते हैं, 'सभी डिटेल्स सिंगल एकाउंट में मिलेंगे। इसको रिपॉजिटरी के पोर्टल पर लॉग-इन कर कभी भी एक्सेस किया जा सकता है। सभी पॉलिसीज का प्रीमियम ऑनलाइन चुकाया जा सकता है और सर्विस रिक्वेस्ट्स या कम्पलेंट भी दी जा सकती है।'

ई-एकाउंट खोलने या मौजूदा पॉलिसी को डिजिटल फॉर्म में कन्वर्ट कराने के लिए न तो इंश्योरेंस कंपनी और न ही रिपॉजिटरी कोई फीस लेंगी। इसका खर्च इंश्योरेंस कंपनी ही उठाएगी।

खत्म हो जाएगा पेपरवर्क

जब आपके पास ई-इंश्योरेंस एकाउंट होगा तो नई पॉलिसी लेने के लिए आपको नए सिरे से KYC प्रोसेस पूरा करने की जरूरत नहीं होगी। अपनी डिटेल्स में चेंज करना आपके लिए आसान हो जाएगा। एक चेंज के लिए रिपॉजिटरी को दी गई रिक्वेस्ट दूसरी पॉलिसीज के लिए भी लागू कर दी जाएगी। आपको नियमित रूप से प्रीमियम पेमेंट का रिमाइंडर और कंसॉलिडेटेड एनुअल स्टेटमेंट भी मिलता रहेगा।

पॉलिसी को डिजिटल फॉर्मेट में लाने के लिए आपको इंश्योरेंस कंपनी या इंश्योरेंस रिपॉजिटरीज से कंसल्ट करना होगा। इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी ने इस काम के लिए पांच रिपॉजिटरीज को अप्रूव किया है। ये हैं CAMS, कार्वी, SHCIL, NSDL और सेंट्रल इंश्योरेंस रिपॉजिटरी।

कमी या दिक्कत

आपको अपनी यूलिप होल्डिंग्स का नेट एसेट वैल्यू जानने के लिए इंश्योरेंस कंपनी की ब्रांच या वेबसाइट पर जाना होगा। आप पोर्टल के जरिए फंड स्विच नहीं कर पाएंगे और न ही पॉलिसी सरेंडर कर पाएंगे। जो लोग नेट सैवी नहीं है, उनको यह एकाउंट ऑपरेट करने में थोड़ी दिक्कत हो सकती है।

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