[ प्रीति कुलकर्णी | नई दिल्ली ] स्मॉल सेविंग स्कीम्स पर इंटरेस्ट रेट्स सरकारी बॉन्ड्स की यील्ड से जुड़े हैं और इनमें हर साल बदलाव किया जाता है। ईटी आपको मौजूदा रेट्स और इन स्कीम्स की विशेषताओं की जानकारी दे रहा है। पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम इंटरेस्ट रेट: 8.4 पर्सेंट लॉक-इन पीरियड: पांच वर्ष। एक वर्ष के बाद डिडक्शंस के साथ आंशिक निकासी की अनुमति। टैक्स बेनेफिट: कोई नहीं इनवेस्टमेंट लिमिट: सिंगल एकाउंट में 1,500 रुपये से 4.5 लाख रुपये और ज्वाइंट एकाउंट में नौ लाख रुपये। फायदे: सिक्योर्ड मंथली इनकम चाहने वालों के लिए बेहतर। सीनियर सिटीजंस अपने इनवेस्टमेंट्स का एक हिस्सा इस स्कीम में रख सकते हैं। नुकसान: लंबा लॉक-इन पीरियड। बैंक एफडी की तरह इसमें सीनियर सिटीजंस को इंटरेस्ट रेट ज्यादा नहीं मिलता। किसान विकास पत्र इंटरेस्ट रेट: 8.7 पर्सेंट लॉक-इन पीरियड: 100 महीने। ढाई वर्ष के बाद तय समय से पहले निकासी की अनुमति। टैक्स बेनेफिट: कोई नहीं इनवेस्टमेंट लिमिट: न्यूनतम 1,000 रुपये और अधिकतम की कोई सीमा नहीं। इनवेस्टमेंट 1,000 रुपये, 5,000 रुपये, 10,000 रुपये और 50,000 रुपये के डिनॉमिनेशन में किया जा सकता है। फायदे: आकर्षक और सिक्योर्ड इंटरेस्ट रेट। ढाई वर्ष के बाद भुनाया जा सकता है। इसके ट्रांसफर की अनुमति है। नुकसान: इंटरेस्ट पर टैक्स लगेगा और इससे टैक्स के बाद रिटर्न कम हो जाएगा। पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ) इंटरेस्ट रेट: 8.7 पर्सेंट लॉक-इन पीरियड: 15 वर्ष। सातवें फाइनेंशियल ईयर से आंशिक निकासी की अनुमति। तीसरे फाइनेंशियल ईयर से लोन लिया जा सकता है। टैक्स बेनेफिट: 1,5 लाख रुपये तक के इनवेस्टमेंट पर सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन इनवेस्टमेंट लिमिट: 500 रुपये से 1.5 लाख रुपये फायदे: आकर्षक, गारंटीड और टैक्स-फ्री रिटर्न। इस इंस्ट्रूमेंट में इनवेस्टमेंट एक्युमुलेशन और मैच्योरिटी (ईईई) पर टैक्स से छूट है। नुकसान: लंबे लॉक-इन पीरियड की वजह से ज्यादा लिक्विड नहीं। इससे शॉर्ट-टर्म की जरूरतों को पूरा करने में मदद नहीं मिलेगी। 10 वर्ष के नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (एनएससी) इंटरेस्ट रेट: 8.8 पर्सेंट लॉक-इन पीरियड: 10 वर्ष टैक्स बेनेफिट: 1.5 लाख रुपये तक के इनवेस्टमेंट पर सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन। इनवेस्टमेंट लिमिट: न्यूनतम 100 रुपये। कोई अधिकतम लिमिट नहीं। इनवेस्टमेंट 100 रुपये, 500 रुपये, 1,000 रुपये, 5,000 रुपये और 10,000 रुपये के डिनॉमिनेशन में किया जा सकता है। फायदे: खरीदने में आसान। टैक्स बेनेफिट के साथ एश्योर्ड रिटर्न मिलता है। नुकसान: मैच्योरिटी पर इंटरेस्ट पर टैक्स लगता है। सीनियर सिटीजंस के लिए टैक्स बचाने वाली बैंक एफडी की तरह फायदेमंद नहीं। 5 वर्ष के नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट(एनएससी) इंटरेस्ट रेट: 8.5 पर्सेंट लॉक-इन पीरियड: पांच वर्ष टैक्स बेनेफिट: 1.5 लाख रुपये तक के इनवेस्टमेंट पर सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन। इनवेस्टमेंट लिमिट: न्यूनतम 100 रुपये। कोई अधिकतम सीमा नहीं। इनवेस्टमेंट 100 रुपये, 500 रुपये, 1,000 रुपये, 5,000 रुपये और 10,000 रुपये के डिनॉमिनेशन में किया जा सकता है। फायदे: खरीदने और समझने में आसान। टैक्स बेनेफिट के साथ एश्योर्ड रिटर्न मिलता है। नुकसान: इंटरेस्ट पर मैच्योरिटी के समय टैक्स लगता है। सीनियर सिटीजंस के लिए टैक्स सेवर बैंक एफडी की तरह फायदेमंद नहीं। सीनियर सिटीजंस सेविंग्स स्कीम इंटरेस्ट रेट: 9.3 पर्सेंट लॉक-इन पीरियड: पांच वर्ष। एक वर्ष और दो वर्ष के बाद क्रमश: 1.5 पर्सेंट और एक पर्सेंट डिडक्शन के साथ निर्धारित समय से पहले बंद करने की अनुमति। इंटरेस्ट का भुगतान प्रत्येक तिमाही में किया जाता है। टैक्स बेनेफिट: 1.5 लाख रुपये तक के इनवेस्टमेंट पर सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन। इनवेस्टमेंट लिमिट: 1,000 रुपये से 15 लाख रुपये। फायदे: ज्यादा और सिक्योर्ड रिटर्न। आंशिक लिक्विडिटी की सुविधा। नुकसान: बड़ी रकम को लॉक करने से सीनियर सिटीजंस को मेडिकल और अन्य जरूरतों के लिए फंड की कमी हो सकती है। सुकन्या समृद्धि योजना इंटरेस्ट रेट: 9.2 पर्सेंट लॉक-इन पीरियड: लड़की के 21 वर्ष का होने तक। लड़की के 18 वर्ष का होने पर पिछले फाइनेंशियल ईयर की अंतिम तिथि पर बैलेंस के 50 पर्सेंट तक की निकासी की अनुमति। लड़की के 18 वर्ष का होने के बाद उसकी शादी के लिए पूरा बैलेंस समय से पहले निकालने की अनुमति। टैक्स बेनेफिट: 1.5 लाख रुपये तक के इनवेस्टमेंट पर सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन इनवेस्टमेंट लिमिट: 1,000 रुपये से 1.5 लाख रुपये फायदे: अधिक, टैक्स-फ्री और गारंटीड रिटर्न। अपनी 10 वर्ष से कम की लड़की की एजुकेशन के लिए फंड बनाने पर विचार कर रहे पैरेंट्स के लिए फायदेमंद। नुकसान: लंबा लॉक-इन पीरियड। पीपीएफ के मुकाबले कम लिक्विड है।
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