[ प्रशांत महेश | मुंबई ] म्यूचुअल फंड हाउस वह मिनिमम पीरियड घटा रहे हैं, जिसके दौरान इनवेस्टर्स के पैसा निकालने पर उनसे पेनाल्टी के तौर पर एग्जिट लोड वसूल किया जाता है। एक अप्रैल से अपफ्रंट ब्रोकरेज फीस 1 पर्सेंट फिक्स किए जाने के बाद बहुत से फंड हाउस ने अपनी कई इक्विटी स्कीमों में यह काम किया है। जिन फंड्स ने अपने एंट्री लोड में कमी की है, उनमें ICICI प्रूडेंशियल, टाटा, जेपी मॉर्गन, UTI और इडलवाइज शामिल हैं। डिस्ट्रीब्यूटर्स को लगता है कि दूसरे म्यूचुअल फंड्स भी मिनिमम होल्डिंग पीरियड घटा सकते हैं। अब म्यूचुअल फंड्स इनवेस्टर्स एक पर्सेंट का एग्जिट लोड दिए बगैर एक साल में ही फंड से एग्जिट कर सकते हैं। पहले यह पीरियड 18 महीने हुआ करता था। एग्जिट लोड एक तरह की पेनाल्टी है जिसे इनवेस्टर्स को तय समय से पहले अपना इनवेस्टमेंट निकालने पर फंड हाउस को देना होता है। म्यूचुअल फंड्स एग्जिट लोड का यूज इनवेस्टर्स को अपना पैसा तय समय से पहले निकालने से रोकने के लिए करते हैं। आउटलुक एशिया कैपिटल के CEO मनोज नागपाल कहते हैं, 'कुछ स्कीमों में इनफ्लो बढ़ाने के लिए फंड हाउस ने डिस्ट्रीब्यूटर्स को ज्यादा अपफ्रंट पेमेंट किया और एग्जिट लोड का पीरियड बढ़ा दिया। फंड हाउस ने एग्जिट लोड पीरियड से पहले इनवेस्टर की तरफ से रिडेम्पशन होने पर कमीशन वापस लिए जाने का भी प्रोविजन किया था। लेकिन अप्रैल से अपफ्रंट फीस 1 पर्सेंट पर फिक्स किए जाने के चलते लंबा एग्जिट लोड पीरियड रखने का फायदा नहीं रह गया है।' इंडस्ट्री बॉडी एम्फी ने सभी म्यूचुअल फंड्स से 1 अप्रैल 2015 से डिस्ट्रीब्यूटर्स को 1 पर्सेंट अपफ्रंट कमीशन ही देने के लिए कहा है। डिस्ट्रीब्यूटर्स ने ज्यादा अपफ्रंट कमीशन कमाने के लिए लिमिट लगने से पहले ही म्यूचुअल फंड कंपनियों से डील कर ली। बहुत सी म्यूचुअल फंड कंपनियों ने उसके हिसाब से अपना एग्जिट लोड फिक्स कर लिया है। मिसाल के लिए वे एक स्कीम में डिस्ट्रीब्यूटर को एक साल के लिए 100 बेसिस प्वाइंट्स के अपफ्रंट कमीशन के साथ 1 पर्सेंट का एग्जिट लोड देंगे। उसी फंड की दूसरी स्कीम में वे 150 बेसिस प्वाइंट्स अपफ्रंट कमीशन देंगे और उस पर 18 महीने का एग्जिट लोड पीरियड होगा। एग्जिट लोड में इनडायरेक्ट कटौती से इनवेस्टर्स को बहुत फायदा होगा। बिड़ला सनलाइफ म्यूचुअल फंड के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर ए बालासुब्रह्मण्यन कहते हैं, 'एग्जिट लोड अब डिस्ट्रीब्यूटर्स के लिए प्राइसिंग टूल नहीं रह जाएगा। इसको अब इनवेस्टर्स के हितों के हिसाब से दुरुस्त किया जाएगा।' फंड के एग्जीक्यूटिव्स का कहना है कि एग्जिट लोड घटाने से ज्यादा शॉर्ट टर्म में बेहतर परफॉर्मेंस देने का दबाव बनेगा। जे पी मॉर्गन म्यूचुअल फंड के सीईओ नंदकुमार सुरती कहते हैं, 'मार्केट में अभी बुल रन है और इनवेस्टर्स अपनी जरूरतों और मार्केट के रुख पर अपने अनुमान के हिसाब से हमारे फंड्स बास्केट में मूव करने के बारे में सोच सकते हैं। एग्जिट लोड पीरियड घटाकर हम उनको ज्यादा फ्लैक्सिबिलिटी दे रहे हैं।'
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