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लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के हिसाब से बेहतर है VRL

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सूरज साउकार/ ईटीआईजी, मुंबई

कर्ज के कम्फर्टेबल लेवल, समुचित प्रॉफिट ग्रोथ और बड़े साइज के हिसाब से वीआरएल लॉजिस्टिक्स के पब्लिक इशू की कीमत सही लग रही है। कर्नाटक की यह कंपनी सरफेस लॉजिटिक्स इंडस्ट्री में मार्केट लीडर है।

बिजनस

कंपनी को 1976 में विजय संकेश्वर ने एक ट्रक से शुरू किया था और अब इसके पास कुल 3,546 ट्रक हो गए हैं। यह इंडिया में सबसे ज्यादा ट्रकों के बेड़े वाला सिंगल प्राइवेट ऑपरेटर है। कंपनी को 76 पर्सेंट रेवेन्यू सामान, 20 पर्सेंट पैसेंजर ट्रांसपॉर्टेशन और बाकी विंड पावर जेनरेशन, कूरियर और एयर चार्टर सर्विसेज से हासिल होता है।

कंपनी के पास 624 ब्रांच हैं जिनके जरिए यह 28 राज्यों और छह केंद्रशासित प्रदेशों में ऑपरेट करती है। यह 48 ट्रांस शिपमेंट हब के साथ हब और सपोक मॉडल पर बिजनस करती है। अशोक लीलैंड और इंडियन ऑइल जैसी बड़ी कंपनियों के साथ टाई-अप होने से वीआरएल डीजल और स्पेयर पार्ट्स पर डिस्काउंट ले पाती है।

बहुत बड़ा बेड़ा होने और ज्यादातर रीजन में मौजूदगी होने से कंपनी को कॉम्पिटिटर्स पर बढ़त हासिल होती है। CRISIL के मुताबिक, देश में कुल फ्रेट मूवमेंट में रोड फ्रेट का हिस्सा 63 पर्सेंट है। यह अगले चार साल में बढ़कर 65.1 पर्सेंट हो सकता है। इसके अलावा नॉन बल्क सेगमेंट का शेयर भी मौजूदा 78 पर्सेंट से बढ़कर 80 पर्सेंट तक जा सकता है। नॉन बल्क सेगमेंट कंपनी का मेन कारोबार है।

कंपनी के पास देश में ट्रकों की सबसे बड़ी फ्लीट है। इसलिए यह इस सेक्टर में मिलने वाले मौके का फायदा उठाने की बेहतर स्थिति में है। लेकिन फ्यूल की कीमत में लगातार हो रही बढ़ोतरी के चलते साइज इसके लिए बड़ा ऑपरेटिंग रिस्क साबित हो सकता है। कंपनी की फ्यूल कॉस्ट इसके लगभग एक तिहाई ऑपरेटिंग कॉस्ट के बराबर है। डीजल की कीमत को डीरेग्युलेट किए जाने से हुई फ्यूल कॉस्ट में बढ़ोतरी के चलते फिस्कल ईयर 2014 में कंपनी का प्रॉफिट घट गया था।

इशू

कंपनी 195 से 205 रुपये के दायरे में इशू ला रही है। इस हिसाब से कंपनी को 450-470 करोड़ रुपये हासिल होने की उम्मीद है। इसमें कंपनी 117 करोड़ रुपये के फ्रेश शेयर इशू करेगी। बाकी शेयर ऑफर फॉर सेल के होंगे जिसके जरिए प्राइवेट इक्विटी हाउस न्यू सिल्क रूट और प्रमोटर्स अपने शेयर बेचेंगे। इश्यू से हासिल रकम वीआरएल अपने ट्रकों के बेड़े को और बड़ा करने और कुछ कर्ज चुकाने पर खर्च करेगी।

फाइनैंशल और वैल्यूएशन

पिछले चार फाइनैंशल इयर में कंपनी का प्रॉफिट 18 पर्सेंट कंपाउंडेड सालाना की दर से बढ़ा है। फिस्कल इयर 2014 में वीआरएल ने 18.6 पर्सेंट रिटर्न ऑन इक्विटी हासिल की थी। अभी इसका डेट टू इक्विटी रेशियो 1 है जो बिजनस के ऐसेट हेवी नेचर को देखते हुए ठीक ही लगता है।

फिस्कल इयर 2015 के ऐनुअलाइज्ड प्रॉफिट के हिसाब से इशू अपर प्राइस रेंज में 20 और निचली रेंज में 19 प्राइस टू इर्निंग मल्टिपल्स पर आ रहा है। इसके कॉम्पिटिटर्स गति में 50 और ट्रांसपॉर्ट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में 27 पी/ई पर ट्रेड हो रहा है। हेल्दी फाइनैंशल्स, बड़े साइज और स्ट्रॉन्ग इंडस्ट्री आउटलुक को देखते हुए इसमें लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट किया जा सकता है।

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