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हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी से असंतुष्ट हैं तो अपनाएं ये उपाय

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प्रीति कुलकर्णी, नई दिल्ली
हेल्थ इंश्योरेंस के ज्यादातर खरीदार खुश नहीं हैं। ईटी वेल्थ के एक सर्वे में यह खुलासा हुआ है कि हेल्थ इंश्योरेंश खरीदने वाले 48 फीसदी लोग अपनी पॉलिसी के फीचर और मिलने वाले लाभ से संतुष्ट नहीं हैं। इनमें सबसे ज्यादा तादाद उच्च आयुवर्ग को लोगों की है, जिनकी उम्र 65 साल या उससे अधिक है। हालत यह है कि 60-64 आयुवर्ग के लगभग 70 फीसदी लोगों का क्लेम सेटलमेंट के बारे में अनुभव खराब रहा है। हम सर्वे के निष्कर्षों से आपको रूबरू करा रहे हैं, जिसमें न सिर्फ हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर लोगों का असंतोष झलकता है, बल्कि मसलों से निपटने के तरीके भी बताए गए हैं।

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उम्र के साथ बढ़ता है असंतोष का स्तर

इसमें चौंकाने वाली कोई बात नहीं है कि ज्यादा आयुवर्ग के लोगों में हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों के प्रति असंतोष बहुत ज्यादा है। इस आयुवर्ग के लोगों को ज्यादा प्रीमियम भरना पड़ता है और बीमारियों के आधार पर खर्च करने की सीमा भी लगी हुई है।

क्या है उपाय
इस समस्या से निपटने का उपाय है कि आप आंख मूंदकर पॉलिसी के डॉक्युमेंट्स पर दस्तखत नहीं करें। अगर आप इन डॉक्युमेंट्स पर अच्छी तरह गौर करेंगे तो आप मुसीबत से बचेंगे। सबसे बड़ी बात- आयकर छूट पाने के लिए ही जल्दबाजी में पॉलिसी खरीदने से बचें।

0-5 के स्तर पर कितने संतुष्ट हैं पॉलिसीधारक?
तीन में से दो पॉलिसीधारकों ने अपनी इंश्योरेंस कंपनी को औसत या औसत से नीचे (तीन या उससे कम) की रेटिंग दी। केवल 10 फीसदी पॉलिसीधारक ही अपनी इंश्योरेंस कंपनी से खुश दिखे।

क्या है उपाय
हेल्थ इंश्योरेंस लेने की प्रक्रिया को बस किसी तरह निपटाने की तरह मत देखें। आईसीआईसीआई लोम्बार्ड में अंडरराइटिंग, क्लेम्स और रीइंश्योरेंस के चीफ संजय दत्ता ने कहा, 'इंश्योरेंस इंडस्ट्री फ्री लुक-इन पीरियड भी ऑफर करती है। इस दौरान अगर ग्राहक पॉलिसी के किसी पहलू से संतुष्ट नहीं है तो वह पॉलिसी वापस भी कर सकता है और उसे प्रीमियम की पूरी रकम वापस होगी।'

रीन्यूअल प्रीमियम का बेहद अधिक होना
मैक्स बप्पा हेल्थ इंश्योरेंस के एमडी एवं सीईओ आशीष मेहरोत्रा ने कहा, 'महंगाई का असर हर चीज पर पड़ता है। ऐसे में इंश्योरेंस के प्रीमियम का बढ़ना बड़ी बात नहीं है। यह उत्पाद एवं सेवाओं की तरह इसपर भी महंगाई का असर पड़ता है।'

क्या है उपाय
पॉलिसीधारक को हेल्थ इंश्योरेंस ज्यादा उम्र होने पर नहीं लेना चाहिए, क्योंकि ऐसे में बीमार पड़ने की आशंका अधिक होती है, जिसके कारण कंपनियां ज्यादा प्रीमियम चार्ज करती हैं। दत्ता ने कहा, 'अगर आप युवावस्था में ही पॉलिसी लेते हैं तो अधिक उम्र होने पर आपके प्रीमियम में उतनी बढ़ोतरी नहीं होगी।'

बेहद खराब क्लेम सेटलमेंट
सर्वे के मुताबिक, क्लेम फाइल करने वाले लगभग 60 फीसदी लोग अपने अनुभव से असंतुष्ट दिखे। लगभग 65 फीसदी असंतुष्ट लोगों ने इसके लिए विभिन्न एक्सक्लूजंस (जो बातें पॉलिसी में शामिल नहीं होती हैं) को जिम्मेदार ठहराया। 42 फीसदी लोगों ने कहा कि वह क्लेम की प्रक्रिया में देरी होने से नाखुश हैं। दिलचस्प बात यह है कि 65 साल या इससे कम आयुवर्ग के लोगों में तुलनात्मक रूप से सेटलमेंट के प्रति असंतोष कम नजर आया, जिसका कारण यह है कि ऐसे लोगों को एक्सक्लूजंस के बारे में भलिभांति पता होता है।

क्या है उपाय
दत्ता ने कहा, 'पॉलिसीधारकों का क्लेम सेटलमेंट के प्रति असंतोष खतरे की घंटी है और इसमें बदलाव की जरूरत है।' हालांकि, सही सेटलमेंट न होने के पीछे पॉलिसीधारक भी कहीं न कहीं जिम्मेदार होता है। अगर क्लेम के रिजेक्शन से बचना है तो एक पॉलिसीधारक के रूप में आपको अपनी बीमारी की हिस्ट्री के बारे में ईमानदार होना पड़ेगा।

क्लेम सेटलमेंट के रिजेक्शन या पार्शियल सेटलमेंट के कारण
बीमाधारकों के ज्यदातर दावों को कंपनी ने इसलिए नहीं माना क्योंकि वे दावे पॉलिसी की शर्तों के अधीन नहीं आते थे। सर्वे में शामिल 23.7% लोगों ने बताया कि कंपनी ने उनका दावा यह कहकर खारिज कर दिया कि बीमारी बीमा लेने से पहले से थी। फिर, 36.4% दावे इसलिए खारिज हुए क्योंकि बीमाधारक ने उचित सीमा से ज्यादा खर्च किया। वहीं, 70.3 प्रतिशत क्लेम्स खारिज होने का आधार यह था कि लोगों ने बीमा जो सुविधाएं शामिल नहीं थीं, उन पर भी क्लेम कर दिए। फिर फाइलिंग में देरी के कारण 18.6 प्रतिशत क्लेम खारिज हो गए। यानी, स्पष्ट है कि बीमाधारकों को बीमा बेचते वक्त साफ-साफ समझाना चाहिए कि क्या-क्या सुविधाएं बीमा में शामिल हैं और क्या नहीं?

पॉलिसी पोर्ट करवाने की सुविधा
स्वास्थ्य बीमाधारक अपनी बीमा कंपनी की सेवाओं से असंतुष्ट हैं तो अपना बीमा दूसरी कंपनी में पोर्ट करवा सकते हैं। ऐसा करने में उन्हें पहले से चली आ रही बीमारियों के लिए मिली सुविधा खत्म नहीं होगी। बीमा कंपनियों के लिए नियम-कानून लागू करने वाली संस्था इरडाई ने हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी की सुविधा का ऐलान 2011 में किया था। हालांकि, सर्वे में शामिल 27.12 प्रतिशत लोगों को इसकी जानकारी नहीं थी। बीमाधारक बीमा लोकपाल के पास भी शिकायत कर सकते हैं। हालांकि, ईटी वेल्थ ने सर्वे में पाया कि 70 प्रतिशत असंतुष्ट लोगों ने कभी इस सुविधा का उपयोग नहीं किया।

स्वास्थ्य बीमा में क्या-क्या होना चाहिए
ज्यादातर बीमाधारकों की प्राथमिकता ओपीडी बेनिफिट्स, रूम रेंट पर कोई सीमा नहीं जैसे एक्स्ट्रा फीचर्स पाने की नहीं है। वे चाहते हैं कि पॉलिसी के नियम-शर्तें साफ-साफ तौर पर और ईमानदारी से बताई जाएं।

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