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बैंक नहीं नहीं किया रेट कट, फिर भी घटा सकते हैं EMI

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नरेंद्र नाथन, नई दिल्ली
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने बेंचमार्क रेट्स में लगातार कटौती के जरिए बैंकों को इंट्रेस्ट रेट्स कम रखने का संकेत दिया है। हालांकि, बैंकों ने अपने लेंडिंग रेट्स में बेहद मामूली बदलाव किया है और उनमें अधिक कमी नहीं की है। RBI ने रेट में दो बार 0.25% की कमी की है। इसके बाद अधिकतर बैंकों ने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट (MCLR) केवल 0.10% तक घटाई है। अधिकतर बैंक होम लोन के लिए एक वर्ष की MCLR का इस्तेमाल करते हैं।

इसलिए बैंक नहीं घटाते हैं ब्याज दरें
कर्जदारों को बैंकों की ओर से रेट में कमी का पूरा फायदा न देने के कई कारण हैं। इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नॉलजी, नागपुर के प्रोफेसर डी एन पाणिग्रही ने बताया, 'बैंकों की फंड की कॉस्ट रीपो रेट से जुड़ी नहीं है। बैंक रीपो की सुविधा का तभी इस्तेमाल करते हैं, जब उनकी लिक्विडिटी की स्थिति कमजोर होती है और इस वजह से रीपो रेट में कमी से उनकी फंड की कॉस्ट नहीं घटती।' दूसरा, बड़े बैंकों के डिपॉजिट में 30-40 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाले करंट और सेविंग्स अकाउंट (CASA) पर इंट्रेस्ट रेट में बदलाव नहीं हुआ है।

तीसरा, RBI के इंट्रेस्ट रेट में कमी करने के अनुसार स्मॉल सेविंग स्कीम जैसे निवेश के विकल्पों के इंट्रेस्ट रेट में कटौती नहीं होती। चौथा, देश में बैंकों के लोन और डिपॉजिट के बीच मिसमैच है। पाणिग्रही ने कहा, 'लोन का बड़ा हिस्सा फ्लोटिंग रेट पर है, लेकिन फ्लोटिंग रेट डिपॉजिट देश में लोकप्रिय नहीं हैं। मौजूदा फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) पर इंट्रेस्ट रेट में एक निश्चित अवधि के बाद ही बदलाव किया जाता है और इस वजह से डिपॉजिट रेट में अभी कमी के बावजूद बैंकों की फंड की कॉस्ट नीचे नहीं आएगी।'

2016 में शुरू हुई थी MCLR
बैंक अभी लेंडिंग रेट नहीं घटाना चाहते। इस वजह से कर्जदारों को वैकल्पिक रणनीति के बारे में सोचना होगा। नए कर्जदारों के लिए आसानी है क्योंकि वे लोन पर सस्ते रेट की तलाश कर चुके हैं, लेकिन मौजूदा बॉरोअर्स के लिए स्थिति मुश्किल है। हालांकि, इन उपायों से मदद मिल सकती है। MCLR की शुरुआत अप्रैल 2016 में हुई थी और इससे पहले लोन लेने वाले बेस रेट, प्राइम लेंडिंग रेट जैसे पिछले रेट सिस्टम में फंसे हो सकते हैं। पुराने रेट मार्केट रेट से अधिक हैं क्योंकि वे बैंकों ने एक गैर-पारदर्शी तरीके से तय किए थे। बैंकों के पास इन रेट्स में कमी करने का कोई इंसेंटिव भी नहीं है।

रेट कट में बहुत पीछे हैं बैंक
RBI ने ब्याज दर में आधे प्रतिशत की कटौती की, फिर भी बैंकों ने अपने MCLR में बहुत छोटी कटौतियां कीं।

बैंक 03 जनवरी 2019 11 अप्रैल 2019 बदलाव
पंजाब नैशनल बैंक 8.50 8.45 -0.05
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 8.55 8.55 0.00
यूनियन ऑफ इंडिया 8.70 8.60 -0.10
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 8.60 8.60 0.00
इलाहाबाद बैंक 8.75 8.65 -0.10
इंडियन ओवरसीज बैंक 8.75 8.65 -0.10
इंडियन बैंक 8.75 8.65 -0.10
सिंडिकेट बैंक 8.75 8.65 -0.10
बैंक ऑफ इंडिया 8.70 8.65 -0.05
केनरा बैंक 8.70 8.65 -0.05
बैंक ऑफ बड़ौदा 8.65 8.65 0.00
आंकड़ों का संग्रह: ETIG डेटाबेस। ताजा MCLR के आधार पर चयनित; एक वर्ष का MCLR

दूसरे बैंक में शिफ्ट करें लोन

यह पता लगाएं कि प्रतिस्पर्धी बैंक कितने इंट्रेस्ट रेट की पेशकश कर रहे हैं। अगर आपको अपने मौजूदा बैंक से काफी कम रेट मिल रहा है तो बैंक बदलने पर विचार करें। हालांकि, एक बैंक से दूसरे बैंक में लोन शिफ्ट करने की कॉस्ट को अनदेखा न करें। आमतौर पर नए बैंक एक प्रोसेसिंग फीस लेते हैं। यह लोन की बकाया रकम का एक प्रतिशत या एक फिक्स्ड फीस या दोनों का कॉम्बिनेशन हो सकती है।

कुल अनुमानित बचत का पता लगाने के लिए आपको लोन की बकाया रकम और बाकी अवधि को देखना होगा। सेबी के पास रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट अडवाइजर शिल्पा वाघ की सलाह है, 'कोई फैसला करने से पहले लोन की बकाया रकम और बाकी अवधि पर विचार करें। अगर लोन की बकाया रकम या अवधि अधिक है तो ही उसे शिफ्ट करना बेहतर होगा क्योंकि इंट्रेस्ट रेट में कमी का फायदा वर्षों के दौरान अधिक मिलेगा।' नए बैंक के पास शिफ्ट होने से पहले मौजूदा बैंक के साथ मोलभाव करें। अधिकतर बैंक आपके लोन स्टेटमेंट मांगने पर बात करना शुरू कर देंगे, उन्हें बताएं कि आपको लोन शिफ्ट करने की जरूरत है। अगर आप प्रिवलेज कस्टमर हैं तो बैंक पर दबाव डालने के लिए उस टैग का इस्तेमाल करें।

EMI घटाने के लिए आजमाएं ये नुस्खे
► जिस बैंक से लोन लिया है, उससे कहें कि अगर उसने ब्याज दर नहीं घटाई तो आप लोन दूसरे बैंक में शिफ्ट कर लेंगे।
► ब्याज दर घटाने के लिए बैंक के रिलेशनशिप मैनेजर से बातचीत करें।
► अगर कोई बैंक मौजूदा ब्याज दर से कम-से-कम 1% कम दर पर लोन ऑफर कर रहा हो तो जरूर शिफ्ट करें।
► अगर आपके लोन का बड़ा अमाउंट चुकाना बाकी है या लंबे समय तक ईएमआई जानी है तो दूसरे बैंक में शिफ्ट करने पर विचार करें।
► अगर आपका बैंक MCLR की जगह अब भी बेस रेट या प्राइम लेंडिंग रेट के आधार पर ही ब्याज ले रहा है तो शिफ्ट कर लें।
► लोन शिफ्ट करने से पहले इसकी पूरी लागत का आकलन जरूर कर लें।

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