नई दिल्ली
साल 1999 की बात है। मेरे बॉस रिटायर हो रहे थे और विदेश जाने से पहले अपने इक्विटी शेयर बेचना चाहते थे। उनके पास मुख्य रूप से बॉन्ड्स, डिपॉजिट्स और पोस्ट ऑफिस सेविंग्स में निवेश था। एक दोस्त की सलाह पर उन्होंने शेयर खरीदे थे। मैंने उनसे कहा कि अगर तुरंत पैसे की जरूरत न हों तो शेयर होल्ड करें। आज अगर वह यह स्टोरी पढ़ रहे होते तो यही कहते कि मेरी बात न मानकर उन्होंने गलती की। मैंने उनसे एचडीएफसी लिमिटेड के 200 शेयर तब के बाजार भाव यानी 100 रुपये पर उनसे खरीद लिए थे।
उसी के आसपास हमने नवी मुंबई में एक घर खरीदा था। वहां आठ साल रहने के बाद हमें अपने उस वक्त के ऑफिस और बच्चों के स्कूल के करीब एक घर पसंद आया। वह हमारे बजट से बाहर था। हमने लोन लेकर 20 लाख रुपये में उसे खरीदा और वहां शिफ्ट हो गए, लेकिन पहले वाला मकान अब भी हमारे पास है।
यह स्टोरी मैं हर उस शख्स को सुनाना चाहती हूं, जो सुनना चाहे। तो कौन सा निवेश बेहतर था? प्रॉपर्टी या इक्विटी शेयर?
प्रॉपर्टी उस एरिया में थी, जहां बाद के सालों में बहुत तेज डिवेलपमेंट हुआ। पाम बीच रोड अब नवी मुंबई की पहचान बन चुकी है, पास में एक नया एयरपोर्ट भी खुलेगा। ऐसे में प्रॉपर्टी के दाम उछले हैं। उसी इलाके में हमारी जैसी प्रॉपर्टी एक पड़ोसी ने हाल में दो करोड़ रुपये में बेची है।
मेरे श्वसुर इसे देखकर खुश होते। नया मकान खरीदने के बारे में उन्होंने हमसे कहा था कि प्रॉपर्टी में कोई भी पैसा नहीं गंवाता। हालांकि इस भाव पर भी वह हमें इसे बेचने नहीं देते।
हालांकि, मकान अब वाकई पुराना हो गया है। कंस्ट्रक्शन बिजनस का हुलिया बदल चुका है। नए मकानों में अलग तरह के मटीरियल इस्तेमाल होते हैं। सोसायटीज में गार्डेन और प्ले एरिया होते हैं। हमारा मकान इन पैमानों पर खरा नहीं उतरता। हालांकि हम कोशिश करें तो इसके भी खरीदार मिल जाएंगे।
उधर एचडीएफसी लिमिटेड में हमारे निवेश पर हमें हर साल डिविडेंड मिलता रहा। शेयर स्प्लिट भी हुआ और बोनस शेयर भी मिले। एक रुपये का भी अतिरिक्त निवेश किए बिना आज हमारे पास 2,500 इक्विटी शेयर हैं। पिछले दिनों मैंने हिसाब लगाया था कि 2,300 रुपये के भाव पर यह इन्वेस्टमेंट 57.5 लाख रुपये का हो चुका था। यानी 20 वर्षों में 32 प्रतिशत की दर से चक्रवृद्धि रिटर्न।
ऐसा ही कैलकुलेशन मकान के बारे में करें तो उससे 12 प्रतिशत सालाना का चक्रवृद्धि रिटर्न मिल रहा है। 20 साल में मकान की कीमत करीब 10 गुना हुई, वहीं शेयरों का भाव 287 गुना चढ़ा। तो कौन बेहतर निवेश साबित हुआ? किसी भी बात का सामान्यीकरण करना ठीक नहीं होता।
फिर लोग प्रॉपर्टी मार्केट को क्यों पसंद करते हैं? आजकल लोग पहले के मुकाबले कम उम्र में मकान खरीद रहे हैं क्योंकि कमाई बढ़ी है और वे ईएमआई दे सकते हैं। मकान के साथ एक इमोशनल नाता होता है।
ऐसी ही बातों पर नजर रखने वाली एचडीएफसी जैसी कंपनी क्या करती है? वह जानती है कि होम लोन का बाजार बड़ा है। उसे पता है कि ज्यादा इनकम का मतलब ज्यादा लोन और रीपेमेंट की बेहतर क्षमता है। वह ऐसे लोगों के पास जाती है जो एक से ज्यादा मकान खरीदना चाहते हों। यह ऐसा बिजनस खड़ा करती है, जो ऐप्लिकेशन को ठीक से जांच कर लोन जल्द मंजूर करे। होम बायर्स को लुभाने के लिए यह नए प्रॉडक्ट्स पेश करती है। होम लोन में मकान खरीदने वाले पर जोखिम ज्यादा होता है, लिहाजा डिफॉल्ट कम होते हैं।
इस तरह एचडीएफसी लिमिटेड तेजी से अपनी लोन बुक बढ़ाती है, लागत कम रखती है, नए बाजारों में कारोबार शुरू करती है। ऐसे शेयर का भाव कैसा होता है? यह चढ़ता है और मार्केट लीडर का दर्जा हासिल कर लेता है।
बाजार हाउसिंग का ही है। हम अपने सीमित संसाधनों को झोंककर एक प्रॉपर्टी खरीदते हैं और समय के साथ इसकी वैल्यू बढ़ती देखकर खुश होते हैं। हालांकि इसी मार्केट में कोई कंपनी जिस तेजी से अपना कारोबार बढ़ाती है, उसके सामने मकान की वैल्यू फीकी पड़ जाती है। 20 साल पहले 20 लाख में खरीदे गए हमारे मकान का भाव अगर एचडीएफसी लिमिटेड के शेयरों की तरह चढ़ता तो आज 57.5 करोड़ रुपये होता।
एचडीएफसी लिमिटेड के शेयरों की वैल्यू में उन चुनौतियों से पार पाने का असर भी शामिल है, जो कंपनी के सामने आई होंगी और उन अवसरों का भी प्रभाव है, जिसका फायदा उसने उठाया होगा। केवल लोकेशन पर निर्भर करने वाली प्रॉपर्टी जैसी ऐसेट इसका मुकाबला कैसे कर सकती है?
हम यह दलील दे सकते हैं कि जहां हमारा मकान है, उसी तरह का हाल हर हाउसिंग मार्केट का नहीं है। यह भी कह सकते हैं कि हर कंपनी एचडीएफसी नहीं होती। हालांकि ऐसा करने पर इस स्टोरी के सबक से नजर हट जाएगी। इक्विटी में निवेश को नजरंदाज करना एक बड़े मौके से आंख फेरना है। अपनी पसंद की प्रॉपर्टी में अपनी वेल्थ का बड़ा हिस्सा लगाते समय हम अपनी संपत्ति से नाइंसाफी करते हैं।
(डिसक्लेमर: यह लेख एचडीएफसी लिमिटेड के शेयरों में निवेश की सलाह नहीं दे रहा है। सिर्फ तर्क देने के लिए कंपनी के नाम का सहारा लिया गया है।)
साल 1999 की बात है। मेरे बॉस रिटायर हो रहे थे और विदेश जाने से पहले अपने इक्विटी शेयर बेचना चाहते थे। उनके पास मुख्य रूप से बॉन्ड्स, डिपॉजिट्स और पोस्ट ऑफिस सेविंग्स में निवेश था। एक दोस्त की सलाह पर उन्होंने शेयर खरीदे थे। मैंने उनसे कहा कि अगर तुरंत पैसे की जरूरत न हों तो शेयर होल्ड करें। आज अगर वह यह स्टोरी पढ़ रहे होते तो यही कहते कि मेरी बात न मानकर उन्होंने गलती की। मैंने उनसे एचडीएफसी लिमिटेड के 200 शेयर तब के बाजार भाव यानी 100 रुपये पर उनसे खरीद लिए थे।
उसी के आसपास हमने नवी मुंबई में एक घर खरीदा था। वहां आठ साल रहने के बाद हमें अपने उस वक्त के ऑफिस और बच्चों के स्कूल के करीब एक घर पसंद आया। वह हमारे बजट से बाहर था। हमने लोन लेकर 20 लाख रुपये में उसे खरीदा और वहां शिफ्ट हो गए, लेकिन पहले वाला मकान अब भी हमारे पास है।
यह स्टोरी मैं हर उस शख्स को सुनाना चाहती हूं, जो सुनना चाहे। तो कौन सा निवेश बेहतर था? प्रॉपर्टी या इक्विटी शेयर?
प्रॉपर्टी उस एरिया में थी, जहां बाद के सालों में बहुत तेज डिवेलपमेंट हुआ। पाम बीच रोड अब नवी मुंबई की पहचान बन चुकी है, पास में एक नया एयरपोर्ट भी खुलेगा। ऐसे में प्रॉपर्टी के दाम उछले हैं। उसी इलाके में हमारी जैसी प्रॉपर्टी एक पड़ोसी ने हाल में दो करोड़ रुपये में बेची है।
मेरे श्वसुर इसे देखकर खुश होते। नया मकान खरीदने के बारे में उन्होंने हमसे कहा था कि प्रॉपर्टी में कोई भी पैसा नहीं गंवाता। हालांकि इस भाव पर भी वह हमें इसे बेचने नहीं देते।
हालांकि, मकान अब वाकई पुराना हो गया है। कंस्ट्रक्शन बिजनस का हुलिया बदल चुका है। नए मकानों में अलग तरह के मटीरियल इस्तेमाल होते हैं। सोसायटीज में गार्डेन और प्ले एरिया होते हैं। हमारा मकान इन पैमानों पर खरा नहीं उतरता। हालांकि हम कोशिश करें तो इसके भी खरीदार मिल जाएंगे।
उधर एचडीएफसी लिमिटेड में हमारे निवेश पर हमें हर साल डिविडेंड मिलता रहा। शेयर स्प्लिट भी हुआ और बोनस शेयर भी मिले। एक रुपये का भी अतिरिक्त निवेश किए बिना आज हमारे पास 2,500 इक्विटी शेयर हैं। पिछले दिनों मैंने हिसाब लगाया था कि 2,300 रुपये के भाव पर यह इन्वेस्टमेंट 57.5 लाख रुपये का हो चुका था। यानी 20 वर्षों में 32 प्रतिशत की दर से चक्रवृद्धि रिटर्न।
ऐसा ही कैलकुलेशन मकान के बारे में करें तो उससे 12 प्रतिशत सालाना का चक्रवृद्धि रिटर्न मिल रहा है। 20 साल में मकान की कीमत करीब 10 गुना हुई, वहीं शेयरों का भाव 287 गुना चढ़ा। तो कौन बेहतर निवेश साबित हुआ? किसी भी बात का सामान्यीकरण करना ठीक नहीं होता।
फिर लोग प्रॉपर्टी मार्केट को क्यों पसंद करते हैं? आजकल लोग पहले के मुकाबले कम उम्र में मकान खरीद रहे हैं क्योंकि कमाई बढ़ी है और वे ईएमआई दे सकते हैं। मकान के साथ एक इमोशनल नाता होता है।
ऐसी ही बातों पर नजर रखने वाली एचडीएफसी जैसी कंपनी क्या करती है? वह जानती है कि होम लोन का बाजार बड़ा है। उसे पता है कि ज्यादा इनकम का मतलब ज्यादा लोन और रीपेमेंट की बेहतर क्षमता है। वह ऐसे लोगों के पास जाती है जो एक से ज्यादा मकान खरीदना चाहते हों। यह ऐसा बिजनस खड़ा करती है, जो ऐप्लिकेशन को ठीक से जांच कर लोन जल्द मंजूर करे। होम बायर्स को लुभाने के लिए यह नए प्रॉडक्ट्स पेश करती है। होम लोन में मकान खरीदने वाले पर जोखिम ज्यादा होता है, लिहाजा डिफॉल्ट कम होते हैं।
इस तरह एचडीएफसी लिमिटेड तेजी से अपनी लोन बुक बढ़ाती है, लागत कम रखती है, नए बाजारों में कारोबार शुरू करती है। ऐसे शेयर का भाव कैसा होता है? यह चढ़ता है और मार्केट लीडर का दर्जा हासिल कर लेता है।
बाजार हाउसिंग का ही है। हम अपने सीमित संसाधनों को झोंककर एक प्रॉपर्टी खरीदते हैं और समय के साथ इसकी वैल्यू बढ़ती देखकर खुश होते हैं। हालांकि इसी मार्केट में कोई कंपनी जिस तेजी से अपना कारोबार बढ़ाती है, उसके सामने मकान की वैल्यू फीकी पड़ जाती है। 20 साल पहले 20 लाख में खरीदे गए हमारे मकान का भाव अगर एचडीएफसी लिमिटेड के शेयरों की तरह चढ़ता तो आज 57.5 करोड़ रुपये होता।
एचडीएफसी लिमिटेड के शेयरों की वैल्यू में उन चुनौतियों से पार पाने का असर भी शामिल है, जो कंपनी के सामने आई होंगी और उन अवसरों का भी प्रभाव है, जिसका फायदा उसने उठाया होगा। केवल लोकेशन पर निर्भर करने वाली प्रॉपर्टी जैसी ऐसेट इसका मुकाबला कैसे कर सकती है?
हम यह दलील दे सकते हैं कि जहां हमारा मकान है, उसी तरह का हाल हर हाउसिंग मार्केट का नहीं है। यह भी कह सकते हैं कि हर कंपनी एचडीएफसी नहीं होती। हालांकि ऐसा करने पर इस स्टोरी के सबक से नजर हट जाएगी। इक्विटी में निवेश को नजरंदाज करना एक बड़े मौके से आंख फेरना है। अपनी पसंद की प्रॉपर्टी में अपनी वेल्थ का बड़ा हिस्सा लगाते समय हम अपनी संपत्ति से नाइंसाफी करते हैं।
(डिसक्लेमर: यह लेख एचडीएफसी लिमिटेड के शेयरों में निवेश की सलाह नहीं दे रहा है। सिर्फ तर्क देने के लिए कंपनी के नाम का सहारा लिया गया है।)
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