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Channel: Mutual Funds in Hindi - म्यूचुअल फंड्स निवेश, पर्सनल फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट के तरीके, Personal Finance News in Hindi | Navbharat Times
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जो आप पर निर्भर हैं, उनके भविष्य की वित्तीय सुरक्षा के लिए क्या करें

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आदिल शेट्टी
आपकी इनकम पर निर्भर रहने वाली पत्नी और अपने बच्चों, माता-पिता, भाई-बहन या अपने भाई-बहन के बच्चों का ख्याल रखना बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। लेकिन, अप्रत्याशित घटनाओं और दुर्घटनाओं के मद्देनजर थोड़ी सी फाइनैंशल प्लानिंग करके आप इनका भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि आप इसके लिए क्या कर सकते हैं।

बुद्धिमानी से निवेश करें और नॉमिनी चुनें
दौलत जमा करने के लिए और एक ऐसा फंड तैयार करने के लिए जिससे आपके डिपेंडेंट का काम चल सके, समझदारी के साथ निवेश करना जरूरी है। एक फाइनैंशल प्लानर की मदद से या खुद एक डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो तैयार करें। इसके लिए हाई-अर्निंग ऑप्शंस के साथ-साथ सेफ ऑप्शंस और लॉन्ग एवं शॉर्ट टर्म ऑप्शंस में भी इन्वेस्ट करने की कोशिश करें। इसके लिए आप FD, PPF, इक्विटी और डेट फंड्स, NPS, सुकन्या समृद्धि योजना, सरकारी बॉन्ड और रियल एस्टेट में इन्वेस्ट कर सकते हैं। लेकिन, आपको अपने सभी इन्वेस्टमेंट के लिए पहले से नॉमिनी चुन लेना चाहिए, ताकि आपकी गैर मौजूदगी में आपके डिपेंडेंट आपके द्वारा उनके लिए तैयार किए गए वेल्थ का लाभ उठा सकें।

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दीर्घावधि जरूरतों के लिए इंश्योरेंस खरीदें
आप अपने डिपेंडेंट के लिए मुख्य रूप से दो तरह के इंश्योरेंस खरीद सकते हैं। पहला, आप एक टर्म इंश्योरेंस खरीद सकते हैं; दूसरा, आप हेल्थ इंश्योरेंस में इन्वेस्ट कर सकते हैं। टर्म इंश्योरेंस के मामले में आप एक मामूली मासिक या वार्षिक प्रीमियम पर अपने नाम से पॉलिसी खरीद सकते हैं, ताकि दुर्भाग्य से आपके निधन के बाद आपके डिंपेंडेंट इस प्लान के रिटर्न और बेनिफिट का लाभ उठा सकें। अन्य पारंपरिक इंश्योरेंस प्लान के विपरीत, टर्म इंश्योरेंस, कम प्रीमियम में ज्यादा इंश्योरेंस देता है, जिसकी मदद से आपकी फैमिली और बच्चों की कई जरूरतें आराम से पूरी हो सकती हैं। कोई टर्म इंश्योरेंस खरीदते समय आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इसका इंश्योरेंस अमाउंट आम तौर पर आपके ऐनुअल इनकम का 10 से 20 गुना होना चाहिए ताकि वह आपकी गैर-मौजूदगी में आपके इनकम की भरपाई कर सके और उनके रेग्युलर खर्च को पूरा कर सके।

इसके साथ-साथ आपको एक पर्याप्त हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेकर अपने डिपेंडेंट्स के स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं दूर करनी चाहिए, चाहे वे आपके माता-पिता हों या पत्नी या बच्चे। फैमिली फ्लोटर पॉलिसियां और कॉम्प्रिहेंसिव इंश्योरेंस प्लान आपकी फैमिली के हर मेंबर को मैक्सिमम बेनिफिट देते हैं जिससे आपको एक ऐसा कवरेज मिल जाता है जो अधिकांश बीमारियों या इलाज का ख्याल रख सकता है।

पारिवारिक सदस्यों के बीच अपनी संपत्तियां पहले से बांट कर रखें
आपके ऐसेट्स जैसे प्रॉपर्टी, कार, सेविंग्स अकाउंट में पड़ी नकदी, सोने के गहने जैसी अन्य चीजें तभी तक आपकी रहती हैं जब तक आप जिन्दा रहते हैं। लेकिन, आपकी गैर मौजूदगी में उन्हें एक मालिक की जरूरत होती है जो जरूरत पड़ने पर उन पर नजर रख सके, उनका लाभ उठा सके, उन्हें चला सके और उनका रखरखाव कर सके। इसलिए, इसके बारे में पहले से सोचना और प्रत्येक ऐसेट को सेकेंडरी ओनर को सौंपना जरूरी है जो आपके बाद उसका प्राइमरी ओनर बनेगा।

आप एक वकील और अपने क्लोज फैमिली मेम्बर्स की मदद से इसकी प्लानिंग कर सकते हैं। अपने प्लान को पेपर में लाने के लिए अपनी ऐसेट्स के बंटवारे का जिक्र करते हुए एक वसीयत बनवाएं। यह कानूनी तौर पर आपकी इच्छाओं को बाध्य बनाएगा और एक अश्योरेंस की तरह काम करेगा कि आपकी गैर मौजूदगी में आपके सभी ऐसेट्स का ख्याल रखा जाएगा। यदि आप एक वसीयत नहीं बनवाना चाहते हैं तो आप अपनी फैमिली के किसी मेंबर को पावर ऑफ अटॉर्नी दे सकते हैं। इसका मतलब है कि आपकी गैर मौजूदगी में आपकी ऐसेट्स को आपके डिपेंडेंट्स में बांटने का अधिकार उनके पास होगा जिन्हें आपने पॉवर ऑफ अटॉर्नी दे रखी है। अपने डिपेंडेंट्स के फ्यूचर को सिक्यॉर करने के लिए इन बातों का ध्यान रखें ताकि उन्हें आपकी गैर-मौजूदगी में जरूरी फाइनैंशल सपॉर्ट मिल सके।

इस आर्टिकल के लेखक बैंक बाजार के CEO हैं।

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