राजेश नायडू, नई दिल्ली
रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए 2018 निराश करने वाला साल रहा। ज्यादातर इक्विटी स्कीमों ने बेंचमार्क इंडेक्स से कमजोर प्रदर्शन किया। म्यूचुअल फंड्स के डेटा ट्रैक करने वाली कंपनी एकॉर्ड फिनटेक के मुताबिक, साल 2018 में 32 लार्ज कैप स्कीमों के 30 इन्वेस्टमेंट प्लान अपने बेंचमार्क इंडेक्स से बेहतर रिटर्न देने में नाकाम रहे है। दरअसल, कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ में कमी आई और फंड मैनेजर्स के लिए इन्वेस्टमेंट आइडिया ढूंढना थोड़ा मुश्किल हो गया।
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एक्सपर्ट्स का कहना है कि 2019 में भी कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ एवरेज से कम रहेगी और चुनिंदा थीम ही कारगर साबित होंगे। उनके हिसाब से रिटेल इन्वेस्टर्स को 2019 में अनिश्चितता भरे माहौल में बैंकिंग और पीएसयू बॉन्ड स्कीमों के कॉम्बिनेशन में पैसा लगाना सही रहेगा। उनका कहना है कि छोटे निवेशकों को बड़ी ऐसेट मैनेजमेंट कंपनियों के लिक्विड फंड्स के अलावा कम-से-कम पांच साल के एसआईपी के जरिए बैलेंस्ड फंड्स और मल्टीकैप स्कीमों में पैसा लगाना चाहिए।
2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर फिलहाल कोई साफ तस्वीर नहीं बन रही है। नए साल में अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से रेट हाइक की रफ्तार क्या रहेगी, यह भी साफ नहीं है। इनके अलावा कुछ जियोपॉलिटिकल (भू-राजनैतिक) घटनाक्रम भी बाजारों में उथल-पुथल का सबब बन सकते हैं। ऐसे में रिटेल इन्वेस्टर्स को कम रिस्क प्रोफाइल वाले ऐसे पोर्टफोलियो की जरूरत होगी जो उन्हें उतार-चढ़ाव वाले बाजार में ठीकठाक रिटर्न दिला सके।
मॉर्निंगस्टार के डायरेक्टर (फंड रिसर्च) कौस्तुभ बेलापुरकर ने कहा, 'अगले साल कुछ अहम घटनाएं हो सकती हैं जिनके चलते बाजार में उथल-पुथल मचेगी। उससे निपटने के लिए रिटेल इन्वेस्टर्स को डिफेंसिव पोर्टफोलियो बनाने की जरूरत पड़ेगी। उनके लिए एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF), बैंकिंग और पीएसयू बॉन्ड स्कीमें, बैलेंस्ड और मल्टीकैप स्कीमें निवेश का बेहतर विकल्प साबित होंगी। इनसे उन्हें निवेश को बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव से बचाने के साथ ही अच्छा रिटर्न भी हासिल करने में मदद मिलेगी।'
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगले साल इक्विटी और डेट में आधा-आधा पैसा पैसा लगाना सही रहेगा। इस अनुपात में प्योर डेट, बैलेंस्ड, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs) और मल्टी कैप स्कीमों में पैसा लगाने पोर्टफोलियो में गिरावट आने का रिस्क कम हो जाएगा। GEPL कैपिटल के हेड म्यूचुअल फंड्स रूपेश भंसाली का कहना है, 'यह छोटे निवेशकों के लिए लॉन्ग टर्म नजरिए से सही अनुपात में निवेश विकल्पों का चुनाव करके कम रिस्क वाला पोर्टफोलियो बनाने का सही समय है। मैं निवेशकों को पोर्टफोलियो में गोल्ड ईटीएफ को भी शामिल करने की सलाह दूंगा।'
भंसाली कहते हैं कि अगर किसी रिटेल इनवेस्टर के पास सौ रुपये हैं तो उन्हें 25 रुपये बैंकिंग और पीएसयू बॉन्ड स्कीमों में लगाने चाहिए। बाकी रुपयों में से 10 रुपये लिक्विड स्कीमों, 10 रुपये गोल्ड ईटीएफ, 20 रुपये बैलेंस्ड स्कीमों, 15 रुपये निफ्टी ईटीएफ और 20 रुपये मल्टीकैप स्कीमों में लगाना सही रहेगा। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि रिटेल इन्वेस्टर्स को कम-से-कम पांच साल के लिए मल्टीकैप, बैलेंस्ड फंड और ईटीएफ में पैसा लगाना चाहिए। उनके हिसाब से पांच साल का एसआईपी अच्छा तरीका रहेगा।
रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए 2018 निराश करने वाला साल रहा। ज्यादातर इक्विटी स्कीमों ने बेंचमार्क इंडेक्स से कमजोर प्रदर्शन किया। म्यूचुअल फंड्स के डेटा ट्रैक करने वाली कंपनी एकॉर्ड फिनटेक के मुताबिक, साल 2018 में 32 लार्ज कैप स्कीमों के 30 इन्वेस्टमेंट प्लान अपने बेंचमार्क इंडेक्स से बेहतर रिटर्न देने में नाकाम रहे है। दरअसल, कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ में कमी आई और फंड मैनेजर्स के लिए इन्वेस्टमेंट आइडिया ढूंढना थोड़ा मुश्किल हो गया।
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एक्सपर्ट्स का कहना है कि 2019 में भी कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ एवरेज से कम रहेगी और चुनिंदा थीम ही कारगर साबित होंगे। उनके हिसाब से रिटेल इन्वेस्टर्स को 2019 में अनिश्चितता भरे माहौल में बैंकिंग और पीएसयू बॉन्ड स्कीमों के कॉम्बिनेशन में पैसा लगाना सही रहेगा। उनका कहना है कि छोटे निवेशकों को बड़ी ऐसेट मैनेजमेंट कंपनियों के लिक्विड फंड्स के अलावा कम-से-कम पांच साल के एसआईपी के जरिए बैलेंस्ड फंड्स और मल्टीकैप स्कीमों में पैसा लगाना चाहिए।
2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर फिलहाल कोई साफ तस्वीर नहीं बन रही है। नए साल में अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से रेट हाइक की रफ्तार क्या रहेगी, यह भी साफ नहीं है। इनके अलावा कुछ जियोपॉलिटिकल (भू-राजनैतिक) घटनाक्रम भी बाजारों में उथल-पुथल का सबब बन सकते हैं। ऐसे में रिटेल इन्वेस्टर्स को कम रिस्क प्रोफाइल वाले ऐसे पोर्टफोलियो की जरूरत होगी जो उन्हें उतार-चढ़ाव वाले बाजार में ठीकठाक रिटर्न दिला सके।
मॉर्निंगस्टार के डायरेक्टर (फंड रिसर्च) कौस्तुभ बेलापुरकर ने कहा, 'अगले साल कुछ अहम घटनाएं हो सकती हैं जिनके चलते बाजार में उथल-पुथल मचेगी। उससे निपटने के लिए रिटेल इन्वेस्टर्स को डिफेंसिव पोर्टफोलियो बनाने की जरूरत पड़ेगी। उनके लिए एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF), बैंकिंग और पीएसयू बॉन्ड स्कीमें, बैलेंस्ड और मल्टीकैप स्कीमें निवेश का बेहतर विकल्प साबित होंगी। इनसे उन्हें निवेश को बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव से बचाने के साथ ही अच्छा रिटर्न भी हासिल करने में मदद मिलेगी।'
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगले साल इक्विटी और डेट में आधा-आधा पैसा पैसा लगाना सही रहेगा। इस अनुपात में प्योर डेट, बैलेंस्ड, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs) और मल्टी कैप स्कीमों में पैसा लगाने पोर्टफोलियो में गिरावट आने का रिस्क कम हो जाएगा। GEPL कैपिटल के हेड म्यूचुअल फंड्स रूपेश भंसाली का कहना है, 'यह छोटे निवेशकों के लिए लॉन्ग टर्म नजरिए से सही अनुपात में निवेश विकल्पों का चुनाव करके कम रिस्क वाला पोर्टफोलियो बनाने का सही समय है। मैं निवेशकों को पोर्टफोलियो में गोल्ड ईटीएफ को भी शामिल करने की सलाह दूंगा।'
भंसाली कहते हैं कि अगर किसी रिटेल इनवेस्टर के पास सौ रुपये हैं तो उन्हें 25 रुपये बैंकिंग और पीएसयू बॉन्ड स्कीमों में लगाने चाहिए। बाकी रुपयों में से 10 रुपये लिक्विड स्कीमों, 10 रुपये गोल्ड ईटीएफ, 20 रुपये बैलेंस्ड स्कीमों, 15 रुपये निफ्टी ईटीएफ और 20 रुपये मल्टीकैप स्कीमों में लगाना सही रहेगा। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि रिटेल इन्वेस्टर्स को कम-से-कम पांच साल के लिए मल्टीकैप, बैलेंस्ड फंड और ईटीएफ में पैसा लगाना चाहिए। उनके हिसाब से पांच साल का एसआईपी अच्छा तरीका रहेगा।
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