धीरेन्द्र कुमार
मौजूदा दौर निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण सीख देने वाला है। सभी प्रकार के इक्विटी फंड इनवेस्टर्स धैर्य के साथ उतार-चढ़ाव का सामना करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके साथ ही गलत सबक से बचने की भी जरूरत है। एक खराब सबक यह सीखा जा सकता है कि मार्केट के गिरने के बावजूद कुछ सेक्टर्स अच्छा प्रदर्शन करेंगे और एक अच्छा नजरिया सही सेक्टोरल फंड पहचानने का है।
अगर आप अभी वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन पर जाकर विभिन्न फंड कैटिगरी के अलग-अलग अवधियों में रिटर्न को देखेंगे तो आपको दो बहुत अलग निष्कर्ष मिलेंगे। आप यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि यह इक्विटी के प्राइसेज के लिए खराब समय है और इस वजह से कम प्राइस पर उपलब्ध अच्छी कंपनियों को खरीदना अभी ठीक रहेगा। एक अन्य निष्कर्ष यह हो सकता है कि हाल के समय में टेक्नॉलजी ने अच्छा प्रदर्शन किया है और अगर आपको यह पता होता तो आप केवल इन फंड्स में ही निवेश करते।
किसी एक विशेष प्रकार के शेयर के अच्छा रिटर्न देने पर उसे लेकर आकर्षण बढ़ता है और बहुत से लोग आपको यह बताने लगते हैं कि आपको अपने इनवेस्टमेंट के साथ ऐसा करना चाहिए। फाइनैंशल एडवाइजर्स उन फंड्स पर जोर देने लगते हैं जो उस सेक्टर पर फोकस करते हैं। यह ट्रेंड कुछ समय तक जारी रह सकता है। यह समझना मुश्किल होता है कि यह वास्तव में लगभग निरंतर आधार पर होता है। इक्विटी मार्केट में जो सेक्टर्स शामिल होते हैं, वे अलग-अलग स्थितियों का सामना करते हैं। मार्केट स्थिर हो या उतार-चढ़ाव वाला, चढ़ रहा हो या गिरावट हो, कोई सेक्टर हमेशा औसत से अच्छा प्रदर्शन करता है या कोई सेक्टर औसत से खराब रहता है। इसका मतलब है कि एक डायवर्सिफाइड म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो हमेशा एक ठीक विकल्प लग सकता है।
जो लोग किसी बढ़ने वाले सेक्टर में देरी से प्रवेश करते हैं, उन्हें खराब परिणाम मिल सकते हैं। गणित आमतौर पर काफी कठोर होता है। ऐसा हो सकता है कि जो सेक्टर्स पहले बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे, वे बाद में मार्केट में तेजी आने पर भी नुकसान देने लगें। यह सीख इंफ्रास्ट्रक्चर और कुछ अन्य सेक्टर्स में पहले निवेश करने वालों को एक खराब अनुभव के जरिए मिल चुकी है।
क्या इसका मतलब है कि इनवेस्टर्स को अच्छा प्रदर्शन करने वाले सेक्टर्स से बचना चाहिए? ऐसा करना ठीक रहेगा। यह कम रिटर्न का जरिया भी हो सकता है। मूवमेंट के आधार पर इनवेस्टमेंट करना एक समझदारी वाला कदम नहीं है।
इसका आसान उत्तर यह है कि इनवेस्टर्स को एक डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड के मैनेजर को फैसला करने देना चाहिए। म्यूचुअल फंड में इनवेस्टमेंट करने का मुख्य कारण एक ऐसे इनवेस्टमेंट मैनेजर की सर्विसेज लेना होता है जो रिसर्च कर आपके लिए चयन करता है। अगर आपको अच्छा प्रदर्शन करने वाले सेक्टर्स की खुद खोज करनी पड़े तो म्यूचुअल फंड में इनवेस्टमेंट करने का क्या मतलब है?
मैं पहले भी यह चर्चा कर चुका हूं कि इक्विटी से जुड़े किसी इंस्ट्रूमेंट में इनवेस्टमेंट करने के साथ उतार-चढ़ाव जुड़ा होता है। इसके लिए अभी इंटरेस्ट रेट, भारतीय राजनीति और डॉनल्ड ट्रंप की ट्रेड वॉर जैसे कारण हैं। कुछ समय बाद ये कारण बदल सकते हैं। यह एक समस्या है, लेकिन इसे समस्या न मानना और अनुशासन के साथ निवेश करते रहना आपके लिए बेहतर होगा।
(सीईओ, वैल्यू रिसर्च)
मौजूदा दौर निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण सीख देने वाला है। सभी प्रकार के इक्विटी फंड इनवेस्टर्स धैर्य के साथ उतार-चढ़ाव का सामना करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके साथ ही गलत सबक से बचने की भी जरूरत है। एक खराब सबक यह सीखा जा सकता है कि मार्केट के गिरने के बावजूद कुछ सेक्टर्स अच्छा प्रदर्शन करेंगे और एक अच्छा नजरिया सही सेक्टोरल फंड पहचानने का है।
अगर आप अभी वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन पर जाकर विभिन्न फंड कैटिगरी के अलग-अलग अवधियों में रिटर्न को देखेंगे तो आपको दो बहुत अलग निष्कर्ष मिलेंगे। आप यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि यह इक्विटी के प्राइसेज के लिए खराब समय है और इस वजह से कम प्राइस पर उपलब्ध अच्छी कंपनियों को खरीदना अभी ठीक रहेगा। एक अन्य निष्कर्ष यह हो सकता है कि हाल के समय में टेक्नॉलजी ने अच्छा प्रदर्शन किया है और अगर आपको यह पता होता तो आप केवल इन फंड्स में ही निवेश करते।
किसी एक विशेष प्रकार के शेयर के अच्छा रिटर्न देने पर उसे लेकर आकर्षण बढ़ता है और बहुत से लोग आपको यह बताने लगते हैं कि आपको अपने इनवेस्टमेंट के साथ ऐसा करना चाहिए। फाइनैंशल एडवाइजर्स उन फंड्स पर जोर देने लगते हैं जो उस सेक्टर पर फोकस करते हैं। यह ट्रेंड कुछ समय तक जारी रह सकता है। यह समझना मुश्किल होता है कि यह वास्तव में लगभग निरंतर आधार पर होता है। इक्विटी मार्केट में जो सेक्टर्स शामिल होते हैं, वे अलग-अलग स्थितियों का सामना करते हैं। मार्केट स्थिर हो या उतार-चढ़ाव वाला, चढ़ रहा हो या गिरावट हो, कोई सेक्टर हमेशा औसत से अच्छा प्रदर्शन करता है या कोई सेक्टर औसत से खराब रहता है। इसका मतलब है कि एक डायवर्सिफाइड म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो हमेशा एक ठीक विकल्प लग सकता है।
जो लोग किसी बढ़ने वाले सेक्टर में देरी से प्रवेश करते हैं, उन्हें खराब परिणाम मिल सकते हैं। गणित आमतौर पर काफी कठोर होता है। ऐसा हो सकता है कि जो सेक्टर्स पहले बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे, वे बाद में मार्केट में तेजी आने पर भी नुकसान देने लगें। यह सीख इंफ्रास्ट्रक्चर और कुछ अन्य सेक्टर्स में पहले निवेश करने वालों को एक खराब अनुभव के जरिए मिल चुकी है।
क्या इसका मतलब है कि इनवेस्टर्स को अच्छा प्रदर्शन करने वाले सेक्टर्स से बचना चाहिए? ऐसा करना ठीक रहेगा। यह कम रिटर्न का जरिया भी हो सकता है। मूवमेंट के आधार पर इनवेस्टमेंट करना एक समझदारी वाला कदम नहीं है।
इसका आसान उत्तर यह है कि इनवेस्टर्स को एक डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड के मैनेजर को फैसला करने देना चाहिए। म्यूचुअल फंड में इनवेस्टमेंट करने का मुख्य कारण एक ऐसे इनवेस्टमेंट मैनेजर की सर्विसेज लेना होता है जो रिसर्च कर आपके लिए चयन करता है। अगर आपको अच्छा प्रदर्शन करने वाले सेक्टर्स की खुद खोज करनी पड़े तो म्यूचुअल फंड में इनवेस्टमेंट करने का क्या मतलब है?
मैं पहले भी यह चर्चा कर चुका हूं कि इक्विटी से जुड़े किसी इंस्ट्रूमेंट में इनवेस्टमेंट करने के साथ उतार-चढ़ाव जुड़ा होता है। इसके लिए अभी इंटरेस्ट रेट, भारतीय राजनीति और डॉनल्ड ट्रंप की ट्रेड वॉर जैसे कारण हैं। कुछ समय बाद ये कारण बदल सकते हैं। यह एक समस्या है, लेकिन इसे समस्या न मानना और अनुशासन के साथ निवेश करते रहना आपके लिए बेहतर होगा।
(सीईओ, वैल्यू रिसर्च)
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