उमा शशिकांत, नई दिल्ली
पिछले हफ्ते मैंने दक्षिण भारत के एक अभिनेता के जीवन पर बनी फिल्म देखी। इसमें दिखाया गया था कि एक सफल फिल्मी सितारे की लोकप्रियता और समृद्धि समय से पहले खत्म हो जाती है। फिल्म में एक जगह पैसे को लेकर कहा गया है, 'मैं पैसा कमाने में इतना व्यस्त था कि मुझे इसे मैनेज करने का वक्त ही नहीं मिला।'
अगर किसी खिलाड़ी का फॉर्म खराब हो जाता है और उसके सेलेक्शन की संभावना घट जाती है तो उसे एंडोर्समेंट डील नहीं मिलेंगी। नीलामी में कम पैसों में उसकी बोली लगेगी। अगर एक फिल्म फ्लॉप हो जाए तो प्रोड्यूसर, डायरेक्टर, ऐक्टर से लेकर उससे जुड़े दूसरे प्रफेशनल्स वित्तीय तौर पर प्रभावित हो सकते हैं। चुनाव में हार, बिजनस फेल होने, मार्केट के क्रैश करने और दूसरे हाई रिस्क इवेंट से बहुत अमीर इंसान की संपत्ति का एक हिस्सा खत्म हो सकता है। ये लोग इस रिस्क को कैसे मैनेज करते हैं?
इनमें से कुछ प्रफेशन और परफॉर्मेंस पर ध्यान देते हैं। उन्हें पता होता है कि अच्छा समय हमेशा नहीं बने रहने वाला। कई अपनी परोपकारी छवि गढ़ते हैं। कइयों का ध्यान पावर हासिल करने पर होता है। फिल्मी सितारे अक्सर कमाई बढ़ाने के लिए पब्लिक रिलेशन का सहारा लेते हैं। नेता अपना पावर बेस बनाते हैं। खिलाड़ी इसके लिए फैन बेस पर आश्रित रहते हैं।
बाहर से देखने पर न्यूमेरॉलजी के आधार पर फिल्मों के नाम रखना या शुभ मुहूर्त पर उन्हें रिलीज करना हैरान कर सकता है। उन्हें लग सकता है कि यह रिस्क मैनेज करने का सही तरीका नहीं है। हालांकि, बहुत पैसा कमाने वाले कई लोग किस्मत पर बहुत भरोसा करते हैं। वैसे इन लोगों को संपत्ति संबंधी जोखिम कम करने के लिए साइंटिफिक तरीका अपनाना चाहिए। किसी फेल रियल एस्टेट प्रॉजेक्ट को खरीदकर उसे मुनाफे में लाने के लिए दिलेरी और सूझबूझ की जरूरत होती है। आप इसे बुरी किस्मत मानकर वर्षों तक यूं ही नहीं छोड़ सकते।
दूसरी बात यह है कि बहुत पैसा कमाने वाले अक्सर टैक्स प्लानिंग को ध्यान में रखकर मनी मैनेजमेंट करते हैं। कई बेनामी संपत्तियां खरीदते हैं। जेवरात खरीदकर संपत्ति छिपाते हैं। विदेश में रिस्की स्ट्रक्चर्स का इस्तेमाल इसके लिए करते हैं ताकि टैक्स अधिकारियों की उस पर नजर न पड़े। काले धन का निवेश तो अक्सर गलत तरीके से किया जाता है। कई बार इससे खेती की जमीन खरीदी जाती है। यह पैसे की बर्बादी से कम नहीं है।
तीसरी बात यह है कि अमीरों से पैसा झटकने की ताक में भी कई लोग रहते हैं। ये रिश्तेदार या दोस्त भी हो सकते हैं। इन पर अमीर शख्स का वश नहीं होता और वह उनके झांसे में आ जाता है। चौथी बात यह है कि आमदनी का इस्तेमाल प्रफेशनल स्किल को बेहतर बनाने, भविष्य में उससे और इनकम जेनरेट करने जैसे काम के लिए नहीं होता। जब बेशुमार पैसा हो, तब जरूरत और लग्जरी का फर्क खत्म हो जाता है। बिना सोचे-समझे पैसा खर्च करने और फालतू की संपत्तियों में धन फंसाने के मामले आम हैं। कई बार अमीर लोग ऐसी जीवनशैली अपनाते हैं, जो टिकाऊ नहीं हो सकती।
इन लोगों को क्या करना चाहिए? पहले तो उन्हें पूरी आमदनी पर ईमानदारी से टैक्स चुकाना चाहिए। उन्हें ऐसा ऐसेट पूल बनाना चाहिए, जिससे इनकम जेनरेट हो और उसका कमाने वाले के मुख्य पेशे से अलग रहना जरूरी है। यहां ध्यान हाई क्वॉलिटी ऐसेट्स पर होना चाहिए, जिनकी वैल्यू में समय के साथ बढ़ोतरी हो। रिकॉर्ड मेंटेन करने के लिए प्रफेशनल की मदद लेनी चाहिए। ऐसेट पूल की समय-समय पर समीक्षा की जानी चाहिए।
(इस आर्टिकल की लेखिका सेंटर फॉर इन्वेस्टमेंट एजुकेशन ऐंड लर्निंग की चेयरमैन हैं)
पिछले हफ्ते मैंने दक्षिण भारत के एक अभिनेता के जीवन पर बनी फिल्म देखी। इसमें दिखाया गया था कि एक सफल फिल्मी सितारे की लोकप्रियता और समृद्धि समय से पहले खत्म हो जाती है। फिल्म में एक जगह पैसे को लेकर कहा गया है, 'मैं पैसा कमाने में इतना व्यस्त था कि मुझे इसे मैनेज करने का वक्त ही नहीं मिला।'
अगर किसी खिलाड़ी का फॉर्म खराब हो जाता है और उसके सेलेक्शन की संभावना घट जाती है तो उसे एंडोर्समेंट डील नहीं मिलेंगी। नीलामी में कम पैसों में उसकी बोली लगेगी। अगर एक फिल्म फ्लॉप हो जाए तो प्रोड्यूसर, डायरेक्टर, ऐक्टर से लेकर उससे जुड़े दूसरे प्रफेशनल्स वित्तीय तौर पर प्रभावित हो सकते हैं। चुनाव में हार, बिजनस फेल होने, मार्केट के क्रैश करने और दूसरे हाई रिस्क इवेंट से बहुत अमीर इंसान की संपत्ति का एक हिस्सा खत्म हो सकता है। ये लोग इस रिस्क को कैसे मैनेज करते हैं?
इनमें से कुछ प्रफेशन और परफॉर्मेंस पर ध्यान देते हैं। उन्हें पता होता है कि अच्छा समय हमेशा नहीं बने रहने वाला। कई अपनी परोपकारी छवि गढ़ते हैं। कइयों का ध्यान पावर हासिल करने पर होता है। फिल्मी सितारे अक्सर कमाई बढ़ाने के लिए पब्लिक रिलेशन का सहारा लेते हैं। नेता अपना पावर बेस बनाते हैं। खिलाड़ी इसके लिए फैन बेस पर आश्रित रहते हैं।
बाहर से देखने पर न्यूमेरॉलजी के आधार पर फिल्मों के नाम रखना या शुभ मुहूर्त पर उन्हें रिलीज करना हैरान कर सकता है। उन्हें लग सकता है कि यह रिस्क मैनेज करने का सही तरीका नहीं है। हालांकि, बहुत पैसा कमाने वाले कई लोग किस्मत पर बहुत भरोसा करते हैं। वैसे इन लोगों को संपत्ति संबंधी जोखिम कम करने के लिए साइंटिफिक तरीका अपनाना चाहिए। किसी फेल रियल एस्टेट प्रॉजेक्ट को खरीदकर उसे मुनाफे में लाने के लिए दिलेरी और सूझबूझ की जरूरत होती है। आप इसे बुरी किस्मत मानकर वर्षों तक यूं ही नहीं छोड़ सकते।
दूसरी बात यह है कि बहुत पैसा कमाने वाले अक्सर टैक्स प्लानिंग को ध्यान में रखकर मनी मैनेजमेंट करते हैं। कई बेनामी संपत्तियां खरीदते हैं। जेवरात खरीदकर संपत्ति छिपाते हैं। विदेश में रिस्की स्ट्रक्चर्स का इस्तेमाल इसके लिए करते हैं ताकि टैक्स अधिकारियों की उस पर नजर न पड़े। काले धन का निवेश तो अक्सर गलत तरीके से किया जाता है। कई बार इससे खेती की जमीन खरीदी जाती है। यह पैसे की बर्बादी से कम नहीं है।
तीसरी बात यह है कि अमीरों से पैसा झटकने की ताक में भी कई लोग रहते हैं। ये रिश्तेदार या दोस्त भी हो सकते हैं। इन पर अमीर शख्स का वश नहीं होता और वह उनके झांसे में आ जाता है। चौथी बात यह है कि आमदनी का इस्तेमाल प्रफेशनल स्किल को बेहतर बनाने, भविष्य में उससे और इनकम जेनरेट करने जैसे काम के लिए नहीं होता। जब बेशुमार पैसा हो, तब जरूरत और लग्जरी का फर्क खत्म हो जाता है। बिना सोचे-समझे पैसा खर्च करने और फालतू की संपत्तियों में धन फंसाने के मामले आम हैं। कई बार अमीर लोग ऐसी जीवनशैली अपनाते हैं, जो टिकाऊ नहीं हो सकती।
इन लोगों को क्या करना चाहिए? पहले तो उन्हें पूरी आमदनी पर ईमानदारी से टैक्स चुकाना चाहिए। उन्हें ऐसा ऐसेट पूल बनाना चाहिए, जिससे इनकम जेनरेट हो और उसका कमाने वाले के मुख्य पेशे से अलग रहना जरूरी है। यहां ध्यान हाई क्वॉलिटी ऐसेट्स पर होना चाहिए, जिनकी वैल्यू में समय के साथ बढ़ोतरी हो। रिकॉर्ड मेंटेन करने के लिए प्रफेशनल की मदद लेनी चाहिए। ऐसेट पूल की समय-समय पर समीक्षा की जानी चाहिए।
(इस आर्टिकल की लेखिका सेंटर फॉर इन्वेस्टमेंट एजुकेशन ऐंड लर्निंग की चेयरमैन हैं)
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