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Channel: Mutual Funds in Hindi - म्यूचुअल फंड्स निवेश, पर्सनल फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट के तरीके, Personal Finance News in Hindi | Navbharat Times
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एक आदर्श म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो कैसे बनाएं?

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शिवानी बजाज, नई दिल्ली
म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले कई लोग म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो की अवधारणा को लेकर उलझन में रहते हैं। कई लोग इस उलझन की वजह इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट्स में एकमत नहीं होने को बताते हैं। उनकी शिकायत होती है कि कुछ म्यूचुअल फंड अडवाइजर्स एक कोर एवं सैटलाइट अप्रोच की बात करते हैं तो कुछ दूसरे खुदरा निवेशकों के लिए लक्ष्य आधारित निवेश की जरूरत पर बल देते हैं।

ऐसे में कुछ निवेशकों को लगता है कि एक अच्छा पोर्टफोलियो तैयार करने के लिए उन्हें मार्केट में उपलब्ध हर कैटिगरी के म्युचूअल फंड में निवेश करना चाहिए। कुछ निवेशक मानते हैं कि कुछ प्रमुख म्यूचुअल फंड कैटिगरीज से आधे दर्जन स्कीम्स से बंपर कमाई होगी। निवेशकों के इन्हीं उलझनों को दूर करने के लिए हमने कुछ प्रमुख म्यूचुअल फंड अडवाजर्स एवं प्लानर्स से मुलाकात की ताकि यह पता चल सके कि वे अपने क्लायंट्स को बेहतरीन पोर्टफोलियो बनाने में कैसी मदद करते हैं।

बाबू कृष्णमूर्ति, चीफ शेरपा, फिनशेरपा इन्वेस्टमेंट सर्विसेज
हम कोर और सैटलाइट मेथड के मुकाबले लक्ष्य आधारित पोर्टफोलियो (गोल बेस्ड पोर्टफोलियो) बनाने को हमेशा प्राथमिकता देता हूं। अगर आप पोर्टफोलियो बनाना चाहते हैं तो आपको अपने लक्ष्यों का पता होना चाहिए। दूसरी बात यह कि आपको यह भी पता होना चाहिए कि आप अपने लक्ष्यों को कब तक पाना चाहते हैं। इससे आपकी जोखिम लेने की जरूरत और क्षमता का आकलन होगा। इसलिए, अगर आपको अपने घर से एयरपोर्ट जाना हो तो वहां जाने में जितना वक्त लगेगा, उसके आधार पर ही आप वाहन का चुनाव करेंगे। इस उदाहरण से लक्ष्य आधारित पोर्टफोलियो बनाने को आसानी से समझा जा सकता है।

पढ़ें: ये हैं निवेश करने के लिए सबसे अच्छे म्यूचुअल फंड्स

कोर और सैटलाइट पोर्टफोलियोज से आपको स्थाई (पर्मानेंट) और ठोस (सॉलिड) पोर्टफोलियो के साथ-साथ इसके सबसेट भी मिल जाते हैं, ताकि आप इन पर समुचित फैसले (टेक्टिकल कॉल्स) ले सकें। लेकिन, उन पोर्टफोलियो पर समय-समय पर उचित फैसले लेना अनिवार्य हो जाता है क्योंकि सॉलिड पोर्टफोलियो में आम तौर पर वे स्कीम्स होती हैं जो आपको मामूली रिटर्न्स ही देंगी। हालांकि, टेक्टिकल कॉल्स भी सभी निवेशकों के लिए नहीं होते क्योंकि सभी निवेशक परिपक्व (मच्योर) और जागरूक (अवेयर) नहीं होते। इसलिए, खुदरा निवेशकों के लिए अपने लक्ष्य के मुताबिक पोर्टफोलियो बनाकर लगातार निवेश करता रहना चाहिए।

दीपाली सेन, फाउंडर, सृजन फाइनैंशल अडवाइजर्स
मुझे लगता है कि खुदरा निवेशकों (रिटेल इन्वेस्टर्स) के लिए गोल-बेस्ड अप्रोच बेहतर है। पहला, सैटलाइट पोर्टफोलियो बनाने पर आपको ज्यादा रिटर्न पाने के लिए अपने पोर्टफोलियो में समय-समय पर स्कीम्स बदलते रहने होंगे। यह लगातार माथापच्ची करते रहने का काम है जो कई निवेशकों की समझ से परे है। संभव है कि कई बार आपकी टेक्टिकल कॉल्स गलत साबित हो जो आपके पोर्टफोलियो के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।

बेहतर यह है कि आप अपने लक्ष्यों, अपनी जोखिम लेने की क्षमता और वक्त के मुताबिक निवेश करते रहें। लेकिन, अगर आपका कोई खास लक्ष्य नहीं है और आप सिर्फ लंबे समय के लिए निवेश करने के बाद टेक्टिकल कॉल्स लेकर बंपर कमाई करना चाहते हैं तो आप सैटलाइट और कोर पोर्टफोलियो का रुख कर सकते हैं। नहीं तो एक रेग्युलर इन्वेस्टर के लिए गोल-बेस्ड पोर्टफोलियो मेंटेन करना आसान है।

अंकुर माहेश्वरी, सीईओ, इक्विरस वेल्थ
पोर्टफोलियो निर्माण का स्पष्ट मतलब है कि किस स्कीम में कितनी रकम निवेश करें। यह इस बात से तय होता है कि आप कितना जोखिम लेकर, कितने वक्त तक निवेश करना चाहते हैं। यह जानने के लिए आपको साफ-साफ पता होना चाहिए कि आप कितने समय में क्या पाना चाहते हैं। लगातार निवेश करते रहें तो लक्ष्य आधारित पोर्टफोलियो लंबे समय तक निवेश के लिहाज से सर्वोत्तम साधन है। आपके दिमाग में आपके लक्ष्य स्पष्ट होने चाहिए जिनके आधार पर कोर और सैटलाइट पोर्टफोलियो भी बना सकते हैं, लेकिन गोल बेस्ड पोर्टफोलियो सुविधाजनक और निवेश का आसान माध्यम है।

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