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होम लोन ट्रांसफर कराने से पहले ध्यान रखें ये बातें

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सुनील धवन
होम लोन के ग्राहकों की ओर से लोन ट्रांसफर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं ताकि उन पर ब्याज का बोझ कम हो सके। बैंकों की ओर से जारी किए जाने वाले कुल लोन्स में से ट्रांसफर होने वाले लोन की हिस्सेदारी 20 फीसदी के करीब हो चुकी है। बैलेंस ट्रांसफर को भले ही आम लोग लोन के ट्रांसफर के तौर पर समझते हों, लेकिन यह एक तरह से नया लोन लेने जैसा होता है।

इसके तहत आप नए बैंक से लोन लेते हैं और पुराने कर्जदाता की राशि को चुका देते हैं। इसके बाद नए बैंक को आप नई दरों पर ईएमआई चुकाना शुरू करते हैं। आमतौर पर लोग बेहतर ब्याज दर और प्रीपेमेंट पर कोई पेनल्टी न होने की एवज में लोन ट्रांसफर कराते हैं। जानें, क्यों बैलेंस ट्रांसफर कराते हैं कस्टमर और कब ऐसा करने के हैं सबसे ज्यादा फायदे...

क्यों कर्जदाता कराते हैं बैलेंस ट्रांसफर
यदि आपने होम लोन अधिक ब्याज दर पर ले रखा है और अन्य बैंकों की ओर से कम ब्याज पर मिल रहा है तो फिर उसे बनाए रखना सही फैसला नहीं कहा जा सकता। यदि आपके लोन की अवधि काफी बची है तो फिर बैलेंस ट्रांसफर कराना एक अच्छा फैसला हो सकता है और लंबे वक्त में इससे आपकी सेविंग्स में इजाफा होगा। हालांकि असल सेविंग इस बात पर निर्भर करती है कि आपके लोन का अमाउंट कितना है। बैलेंस ट्रांसफर से असल में कितना फायदा होता है, यह ब्याज दर, बची हुई अवधि और स्विच कराने की कॉस्ट पर निर्भर करता है।

ब्याज दर की व्यवस्था
होम लोन समेत सभी तरह के लोन्स को 1 अप्रैल, 2016 से बैंकों की मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट से जोड़ दिया गया है। इससे पहले ये बैंक के बेस रेट से जुड़े होते थे। बैंकों के अलावा कोई कस्टमर नॉन बैंकिंग फाइनैंस कंपनीज और हाउसिंग फाइनैंस कंपनीज से भी होम लोन ले सकता है। हालांकि इन दोनों जगहों पर एमसीएलआर की व्यवस्था नहीं है। इनकी ओर से कॉम्पिटिशन और फंड की कॉस्ट के आधार पर ब्याज दर तय की जाती है। जून, 2018 में आरबीआई की ओर से रीपो रेट में इजाफे के बाद ज्यादातर बैंकों की एमसीएलआर बढ़ गई है। एसबीआई समेत सभी बैंकों ने दरों में इजाफा कर दिया है।

यदि आप होम लोन का बैलेंस ट्रांसफर कराते हैं तो कोई भी फैसला लेने से पहले इन पहलुओं पर विचार करना जरूरी है...

एमसीएलआर से लिंक्ड होम लोन लेने वाले ग्राहक

यदि आपका बैंक अधिक एमसीएलआर लिंक्ड लोन पर अधिक ब्याज लेता है तो फिर उसे रीफाइनैंस कराने में कोई बुराई नहीं है। आपको उस बैंक से लोन को रीफाइनैंस कराना चाहिए, जो कम ब्याज पर राशि दे रहा हो। खैर, मौजूदा बैंक को भी फोरक्लोजर चार्ज लेने या फिर रीपेमेंट चार्ज वसूलने की अनुमति नहीं है। हालांकि आपको नए लेंडर को प्रॉसेसिंग फीस चुकानी पड़ सकती है, जो आमतौर पर कुल लोन का एक फीसदी तक होता है। इसके अलावा लॉयर फीस, मोर्टगेज चार्जेज जैसे कुछ अन्य चार्च भी चुकाने पड़ सकते हैं। यह याद रखें कि नया बैंक आपसे होम लोन इंश्योरेंस प्लान की खरीद के लिए कह सकता है, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है।

कब कराएं ट्रांसफर: 1 अप्रैल, 2016 के बाद होम लोन लेने वाले ग्राहकों से जुड़े इंटरेस्ट रेट को बैंकों की ओर से 12 महीने में एक बार रीसेट किया जाता है। यदि किसी व्यक्ति ने मई, 2018 में लोन लिया है तो अगली रीसेट की तारीख मई 2019 में होगी। रीसेट डेट आने पर आप बैलेंस ट्रांसफर कराने को लेकर कोई फैसला ले सकते हैं।

बेस रेट पर कर्ज लेने वाले ग्राहक
बेस रेट पर कर्ज लेने वाले ग्राहकों के सामने दो विकल्प है या तो वे मौजूदा बैंक में एमसीएलआर लोन में शामिल हो जाएं या फिर एमसीएलआर मोड पर किसी अन्य बैंक में बैलेंस ट्रांसफर करा लें। यदि आपके लोन का टर्म खत्म होने की ओर हो तो उसे बेस रेट पर जारी रखा जा सकता है। यदि बेस रेट और एमसीएलआर के बीच बड़ा अंतर हो तो फिर चेंज करना ही बेहतर है।

कब करें ट्रांसफर:
बेस रेट पर कर्ज लेने वाले ग्राहक उसी बैंक में किसी भी समय एमसीएलआर की व्यवस्था का हिस्सा बन सकते हैं। इसके लिए उन्हें एक निश्चित फीस चुकानी होगी और एक डॉक्युमेंट पर साइन करना होगा। यदि वे किसी और लेंडर में स्विच होना चाहते हैं तो उन्हें कोई इंतजार नहीं करना होगा।

इस स्टोरी को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए क्लिक करें।

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