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टैक्स बचाने के ये हैं 'रिस्क फ्री' निवेश विकल्प

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सुनील धवन, नई दिल्ली
टैक्स बचाने के लिए इन्वेस्टमेंट कहां करें यह चुनना आसान काम नहीं है। टैक्स बचाने के लिए कुछ निवेश विकल्प जहां शेयर बाजार से जुड़े हैं जिसमें रिटर्न कितना होगा यह कहा नहीं जा सकता वहीं कुछ निवेश निश्चित रिटर्न देने वाले हैं।

दोनों विकल्पों में से किसे चुना जाए? इसका फैसला लेते वक्त आपको रिस्क और लिक्विडिटी जैसे मसले के साथ निवेश की अवधि का भी ख्याल रखना पड़ता है। जो लोग ज्यादा रिस्क ले सकते हैं, वे शेयर बाजार से संबंधित विकल्पों में निवेश कर सकते हैं। जो लोग जोखिम नहीं ले सकते, उनके लिए स्थाई रिटर्न वाले निवेश विकल्प ही बेहतर हैं।

अगर आप भी टैक्स बचत के लिए निवेश के ऐसे विकल्प की तलाश में हैं जिनमें रिस्क नहीं हो तो हम आपको सात ऐसे ही विकल्प के बारे में बता रहे हैं...

1. पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)
रिस्क नहीं उठाने और फिक्स्ड ब्याज चाहने वाले निवेशकों के लिए PPF सबसे बेहतर विकल्प है। फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में यहां ब्याज दरें अधिक होती हैं और टैक्स संबंधी फायदे भी हैं। इस समय PPF पर ब्याज दर 7.6 फीसदी है। यह 15 साल की स्कीम है, जिसे पांच साल के ब्लॉक में आगे बढ़ाया जा सकता है।

फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दर अगर 7.5 प्रतिशत है तो टैक्स चुकाने के बाद यह 5.25 प्रतिशत मिलती है, जबकि PPF पूरी तरह टैक्स फ्री है। सिर्फ एक दिक्कत यह है कि यहां साल में 1.5 लाख रुपये के निवेश पर ही टैक्स छूट हासिल की जा सकती है।

ध्यान रखें:
यह फिक्स्ड ब्याज चाहने वाले निवेशकों के लिए बेहतर निवेश विकल्प है। ऐसा नहीं है कि सब लोग PPF की तारीफ ही कर रहे हों। वैल्यू रिसर्च के सीईओ धीरेन्द्र कुमार ने कहा, 'अगर आप युवा हैं और टैक्स बचत के लिए निवेश कर रहे हैं तो PPF बहुत अच्छा विकल्प नहीं है। ELSS फंड जैसे विकल्प लंबी अवधि में बहुत अच्छा रिटर्न देते हैं।'

2. स्वैच्छिक (वॉलंटरी) प्रॉविडेंट फंड (VPF)
किसी एंप्लॉयी के लिए प्रॉविडेंट फंड में योगदान जरूरी होता है। इसे एंप्लॉयी प्रॉविडेंट फंड (EPF) कहते हैं। अगर कोई अपनी इच्छा से प्रॉविडेंट फंड में योगदान करना चाहे तो वह बेसिक सैलरी और डीए (महंगाई भत्ता) का 100% VPF में निवेश कर सकता है।

इसमें किए गए योगदान के बारे में भी PF अकाउंट में विवरण मिल जाता है। यह वास्तव में EPF का ही एक पार्ट है, इसलिए दोनों के नियम तकरीबन एक जैसे हैं। ब्याज दरों में हालिया कमी के बाद भी EPF पर ब्याज दरें डेट निवेश में सबसे अधिक हैं। EPF और PPF में भी ब्याज दरें अलग हैं। EPF में निवेश करने वाले लोग VPF के जरिए अधिक निवेश कर सकते हैं।

इस पर ब्याज दरें इस तरह रही हैं:

साल 2017-18 के लिए ब्याज दर: 8.55 फीसदी
साल 2016-17 के लिए ब्याज दर: 8.65 फीसदी
साल 2015-16 के लिए ब्याज दर : 8.8 फीसदी

ध्यान रखें:
आप अपने नियोक्ता को सूचना देकर VPF में निवेश कर सकते हैं, लेकिन इसमें आप काफी लंबे समय के लिए बंध जाते हैं। निवेश के लिए इस विकल्प को चुनने से पहले सोच-विचार कर ही फैसले लें।

3. सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम (SCSS)

रिटायर्ड लोगों की पसंद में निवेश का यह विकल्प सबसे ऊपर है। पोस्ट ऑफिस की तरफ से बेस्टसेलर के रूप में यह स्कीम लोगों के लिए निवेश का पसंदीदा सोर्स है। यह सेवानिवृत लोगों के लिए आय का नियमित स्रोत है। इस स्कीम की अवधि पांच साल है जिसे तीन साल के लिए और बढ़ाया जा सकता है। इसमें हालांकि प्रति व्यक्ति 15 लाख रुपये की अधिकतम निवेश सीमा है।

यह 60 साल से अधिक उम्र के निवेशकों के लिए ही खुली है, हालांकि सेना से रिटायरमेंट लेने वाले लोग इसमें 50 साल की उम्र से ही निवेश कर सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जीवन भर की बचत को रखने और उस पर कमाई के हिसाब से यह स्कीम बेहतरीन है।

ध्यान रखें:
इस समय इस स्कीम में ब्याज दर 8.3 फीसदी है। इस पर आपको टैक्स भी चुकाना पड़ता है। ब्याज दर हर तिमाही तय की जाती है। इसमें निवेश की अधिकतम सीमा 15 लाख रुपये है और एक व्यक्ति एक से अधिक अकाउंट नहीं खोल सकता।

4. पोस्ट ऑफिस टाइम डिपाजिट अकाउंट (PODT)
इसमें एक, दो, तीन और पांच साल के लिए निवेश किया जा सकता है। सिर्फ पांच साले वाले निवेश में ही सेक्शन 80C के तहत टैक्स लाभ मिलता है। इस समय निवेश के इस विकल्प में ब्याज दर 7.4 फीसदी है।

ध्यान रखें:
चूंकि निवेश के इस विकल्प में ब्याज सालाना दिया जाता है, इस हिसाब से आप स्टैंडिंग निर्देश दे सकते हैं कि ब्याज को आपके बचत खाते में ट्रांसफर कर दिया जाए।

5. नैशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC)
इस समय पांच साल के NSC पर ब्याज दर 7.6 % है। निवेश के इस विकल्प में कोई सीमा नहीं है। यहां ब्याज पूरी तरह टैक्सेबल है यानी कमाए गए ब्याज पर आपको टैक्स चुकाना पड़ेगा। अगर आप इनकम टैक्स के 30 फीसदी टैक्स ब्रैकिट में हैं तो इसका प्रभावी रिटर्न आपके लिए 5.38 फीसदी होगा जो आम फिक्स्ड डिपॉजिट जैसा ही है। इसमें मासिक, तिमाही या सालाना ब्याज निकालने की सुविधा नहीं है।

निवेश के इस विकल्प में सिर्फ एक अंतर यह है कि इस पर हर साल मिलने वाला ब्याज भी दोबारा निवेश कर दिए जाने की वजह से टैक्स छूट के लायक माना जाता है। इसमें सिर्फ आखिरी साल के ब्याज पर आपको टैक्स चुकाना पड़ता है।

ध्यान रखें:
हर साल मिलने वाला ब्याज सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट पाने के लायक है। सिर्फ आखिरी साल के ब्याज पर आपको टैक्स चुकाना पड़ता है। मसलन अगर आपने इस साल 50,000 रुपये का NSC खरीदा है तो आप उस पर टैक्स छूट का दावा करेंगे और अगले साल उसके ब्याज 3900 रुपये पर टैक्स छूट पा सकते हैं।

6. सुकन्या समृद्धि योजना (SSY)

निवेश के इस विकल्प पर इस समय ब्याज दर 8.1 % है। इस समय टैक्स बचत वाले विकल्पों में SSY ही एकमात्र विकल्प है जिस पर सबसे अधिक ब्याज है। अगर आपकी बेटी 10 साल से कम उम्र की है तो आप यह अकाउंट खुलवा सकते हैं। सुकन्या समृद्धि योजना के तहत अकाउंट बेटी के जन्म लेने के बाद 10 साल से पहले की उम्र में कम से कम 1,000 रुपये के डिपॉजिट के साथ खोला जा सकता है। चालू वित्त वर्ष में इसमें अधिकतम 1.5 लाख रुपये जमा कराये जा सकते हैं।

ध्यान रखें:
यह अकाउंट बेटी के 21 साल के होने की उम्र तक ही चलाया जा सकता है। इसमें 15 साल तक पैसे जमा कराए जा सकते हैं।

7. नोटिफाईड टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट
जिन लोगों ने सेक्शन 80C के तहत टैक्स बचत के सभी विकल्प का उपयोग नहीं किया है, वे निवेश के इस विकल्प में भी पैसे लगा सकते हैं। इसमें निवेश पर मासिक, तिमाही या इकट्ठा ब्याज निकालने का प्रावधान है।

ध्यान रखें:
निवेश के इस विकल्प पर इस समय ब्याज दरें 6-6.5 फीसदी के बीच हैं। यह पूरी तरह टैक्सेबल हैं।

आंखें बंद कर न करें निवेश...

निवेश के इन विकल्पों में ब्याज निश्चित तो है, लेकिन आपको टैक्स चुकाने के बाद की कमाई पर ध्यान देना चाहिए। अगर कोई इनकम टैक्स के 30 फीसदी स्लैब में है तो पांच साल के बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर सात फीसदी का ब्याज भी उसे टैक्स चुकाने के बाद 4.8 फीसदी पड़ता है।

आप क्या करें...
आपको रिटर्न पर टैक्स चुकाने के अलावा महंगाई दर का भी ध्यान रखना चाहिए। अगर आप महंगाई की दर से अधिक रिटर्न नहीं कमा रहे हैं तो वास्तव में आपका मूलधन घट रहा होता है।
लंबी अवधि के वित्तीय लक्ष्य को पाने के लिए आपको टैक्स और महंगाई की दर दोनों का ध्यान रखते हुए निवेश के विकल्प चुनने की जरूरत है।

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