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Channel: Mutual Funds in Hindi - म्यूचुअल फंड्स निवेश, पर्सनल फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट के तरीके, Personal Finance News in Hindi | Navbharat Times
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शेयर मार्केट में एंट्री का कोई सही वक्त होता है?

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नई दिल्ली
शेयर बाजार में एंट्री करने का सही समय जैसा कुछ नहीं होता। सही वक्त पता करने में समय खराब करने के बजाय निवेश में बने रहना और नियमित रूप से पोजिशन ऐड करते रहना जरूरी है। यह बात सैंक्टम वेल्थ मैनेजमेंट के को-फाउंडर और हेड-प्रॉडक्ट्स ऐंड सॉल्यूशंज प्रतीक पंत ने संकेत धनोरकर से बातचीत में कही। पेश हैं इसके मुख्य अंश:

आपकी इन्वेस्टमेंट आउटलुक रिपोर्ट में अहम ट्रेंड्स क्या हैं?
हमने अपनी इन्वेस्टमेंट आउटलुक रिपोर्ट में इस साल निवेश पर असर डालने वाले अहम ट्रेंड्स की पहचान की है। अमेरिका में ट्रंप के प्रेजिडेंट चुने जाने से राहत पैकेज, संरक्षणवादी नीतियों और अमेरिकी शेयर बाजार में जोरदार तेजी को लेकर दुनिया में कई तरह की अनिश्चतताएं पैदा हुई हैं। विकसित देशों के बाजार फंडामेंटल्स से बहुत आगे निकल गए हैं और बरसों से इमर्जिंग मार्केट को आउटपरफॉर्म करते रहने के चलते महंगे नजर आ रहे हैं। वे फिस्कल स्टैबिलिटी के मामले में पैर पीछे खींच रहे हैं और राहत पैकेज वापस ले रहे हैं। घरेलू बाजार में नोटबंदी का हौवा खत्म है और बाजार में अगली बड़ी हलचल जीएसटी से मचेगी। हम रियल एस्टेट स्पेस में बने मुश्किल हालात का जायजा ले रहे हैं। हमारे हिसाब से रियल एस्टेट रेग्युलेटर बिल यानी RERA पास होने के बाद कुछ आकर्षक मौके बन सकते हैं।

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क्या शेयरों से मौजूदा वैल्यूएशन पर हेल्दी रिटर्न मिल सकता है?
बाजारों में एंट्री करने का सही समय जैसा कुछ नहीं होता। तो ऐसी कोशिश में वक्त खराब करने के बजाय लॉन्गर टर्म के लिहाज से बाजार में बने रहना और समय-समय पर पोजिशन ऐड करने पर ध्यान देना चाहिए। कुछ मानकों पर इंडेक्स ओवरवैल्यूड हैं, लेकिन हम फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं और सही रेट पर क्लायंट पोर्टफोलियो बनाने पर फोकस कर रहे हैं। हमें इक्विटी इन्वेस्टमेंट को कम-से-कम तीन साल का वक्त देना ही चाहिए।

इक्विटी फंड में लगातार इनफ्लो हो रहा है। क्या पैसा सही फंड्स में आ रहा है?
घरेलू निवेशकों की संख्या बढ़ रही है। अब वे पहले के उलट उतार-चढ़ाव से घबरा नहीं रहे और अपने इन्वेस्टमेंट को लेकर बहुत ही पॉजिटिव नजर आ रहे हैं। फंड फ्लो वहां हो रहा है जहां ज्यादा रिटर्न आ रहा है। आज सबसे ज्यादा फ्लो बेस्ट पर्फॉर्मेंस वाले फंड्स में हो रहा है। सब चीज के बारे में एकसाथ कुछ कहना मुश्किल है, लेकिन कुछ मामलों में ज्यादा फ्लो के चलते फंड की बनावट और उसके मकसद में बदलाव आ रहा है। हम पर्फॉर्मेंस से लेकर रिस्क, मैनेजर के कार्यकाल, साइज और अलग-अलग मार्केट साइकिल में पर्फॉर्मेंस जैसे फैक्टर्स के हिसाब से अच्छे फंड्स की पहचान में जुटे हैं। हम चाहते हैं कि अपने क्लायंट्स को सबसे अट्रैक्टिव इन्वेस्टमेंट सेट मुहैया करा सकें।

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क्या इन्वेस्टर्स को फंड्स के फ्रेश इन्वेस्टमेंट लेने से मना करने से संकेत लेते हुए अपने पोर्टफोलियो को मौजूदा हालात के हिसाब से अजस्ट करना चाहिए?
जरूरी नहीं कि फंड्स का फ्रेश इन्वेस्टमेंट लेना बंद करना खतरे का संकेत हो। असल में फंड हाउस इनफ्लो से स्कीम की पोजिशनिंग कमजोर होने देने के बजाय रोककर सही कदम उठा रहे हैं। जहां तक निवेशकों की बात है तो अडवाइजर की सलाह के हिसाब से रणनीतिक आवंटन में सेक्टर और मार्केट सेगमेंट वैल्यूएशन को ध्यान में रखना होगा। इसके साथ ही पोर्टफोलियो रीबैलेंसिंग में निवेश अवधि और उनकी जोखिम उठाने की क्षमता को भी ध्यान में रखना होगा।

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