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Channel: Mutual Funds in Hindi - म्यूचुअल फंड्स निवेश, पर्सनल फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट के तरीके, Personal Finance News in Hindi | Navbharat Times
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शेयर बाजार से ज्यादा जुड़ने लगे छोटे निवेशक

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आशुतोष आर श्याम, राजेश नायडू
लोग अब रिटर्न बढ़ाने के लिए धीरे-धीरे शेयर बाजार से जुड़े प्रॉडक्ट्स की तरफ बढ़ रहे हैं। वे इसके लिए सबसे सुरक्षित माने जाने वाले सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) को चुन रहे हैं। फाइनैंशल सेविंग्स में शेयरों की बढ़ती भागीदारी और एसआईपी की ग्रोथ से यह बात साबित होती है।

पिछले एक साल में एसआईपी खातों की संख्या में 27.1 लाख की बढ़ोतरी हुई है जबकि पिछले 30 सालों में ऐसे 75 लाख खाते खुले थे। यह जानकारी असोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) से मिली है। आज कुल एसआईपी खातों की संख्या 1.08 करोड़ है। इनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इनमें से आधे से अधिक 5 साल से ज्यादा समय से चल रहे हैं।

एसआईपी तीन वजहों से पसंदीदा इन्वेस्टमेंट बन गया है। फंड हाउस और रेग्युलेटर्स ने हाल में म्यूचुअल फंड्स को लेकर जागरूकता बढ़ाने की कोशिश की है। उन्होंने इन्वेस्टर एजुकेशन पर 300-320 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। दूसरी, डिस्ट्रीब्यूटर्स शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के असर से बचने के लिए लोगों को सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट की सलाह दे रहे हैं। तीसरी वजह यह है कि आज निवेशकों के पास बेहतर रिटर्न के बहुत कम विकल्प बचे हैं। उन्हें लग रहा है कि एसआईपी के जरिए अगर लॉन्ग टर्म के लिए शेयर बाजार में पैसा लगाया जाए तो इसमें कम रिस्क है।

एसआईपी खाताधारक पिछले एक साल से हर महीने म्यूचुअल फंड्स में 2,500 से 3,500 करोड़ रुपये डाल रहे हैं। अगस्त में एसआईपी अकाउंट्स के जरिए लगाई गई रकम 1.3 लाख करोड़ रुपये थी। वहीं, म्यूचुअल फंड्स का कुल ऐसेट अंडर मैनेजमेंट 16 लाख करोड़ रुपये है। एसआईपी का कंट्रीब्यूशन इसमें 8 पर्सेंट है।

इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि अगस्त तक इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में कुल 4.16 लाख करोड़ रुपये लगे थे, जिसमें एसआईपी का योगदान 30 प्रतिशत का है। वहीं, शेयर बाजार में डायरेक्ट और इनडायरेक्ट इन्वेस्टमेंट से भारतीय परिवारों की बचत में शेयरों और डिबेंचर्स की हिस्सेदारी बढ़ी है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ऐनुअल रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल मार्च तक के 12 महीनों में शेयरों और डिबेंचर्स में हाउसहोल्ड इन्वेस्टमेंट 91,763 करोड़ रुपये बढ़ा था।

वहीं, ग्रॉस नैशनल डिस्पोजेबल इनकम में शेयरों और डिबेंचर्स का हिस्सा वित्त वर्ष 2016 में बढ़कर 0.7 पर्सेंट हो गया था, जो वित्त वर्ष 2012 में 0.2 पर्सेंट था। शेयर बाजार में सीधे निवेश की बात करें तो रिटेल इन्वेस्टर्स की मार्केट कैपिटलाइजेशन में हिस्सेदारी 7.6 पर्सेंट है। यह डोमेस्टिक म्यूचुअल फंड्स के ऐसेट्स अंडर मैनेजमेंट का दोगुना है। बीएसई 200 कंपनियों में रिटेल इन्वेस्टर्स की होल्डिंग की वैल्यू जून में 96 अरब डॉलर थी, जबकि दो साल पहले यह 88 अरब डॉलर हुआ करती थी।

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