नई दिल्ली
ऐसेट मैनेजमेंट इंडस्ट्री में फंड मैनेजर अहम शख्सियत होता है। वह अक्सर फंड हाउस का चेहरा होता है। इन्वेस्टर्स उस शख्स के बारे में जानना चाहते हैं, जिनके हवाले वे अपनी गाढ़ी कमाई करते हैं। तो आप भी जान लीजिए, फंड मैनेजर के बारे में सब कुछ...
फंड मैनेजर कौन होता है?
फंड मैनेजर वह शख्स होता है जिसपर म्यूचुअल फंड स्कीमों के पैसे लगाने की जिम्मेदारी होती है। वह स्कीम के रिस्क लेवल के मुताबिक रिटर्न हासिल करने की कोशिश करता है। फंड मैनेजर पर फंड के मकसद के हिसाब से इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटिजी पर अमल करने की जिम्मेदारी होती है। फंड मैनेजर निवेश के फैसले लेने के लिए मार्केट और इकनॉमिक ट्रेंड्स पर नजर रखता है और सिक्यॉरिटीज को ट्रैक करता है। जो निवेशक अपने पोर्टफोलियो में म्यूचुअल फंड्स ऐड करना चाहते हैं, उनके लिए स्कीम के चुनाव में फंड मैनेजर बड़ा फैक्टर होता है। यह फंड मैनेजर ही होता है जो पोर्टफोलियो की दिशा तय करता है। उसका काम शेयर चुनने का होता है, इसलिए उस पर बेंचमार्क और दूसरे फंड्स से बेहतर रिटर्न दिलाने की जिम्मेदारी होती है।
फंड मैनेजर की क्या जिम्मेदारी होती है?
फंड मैनेजर P/E, सेल्स, प्रॉफिट, डिविडेंड जैसे रेशो पर फोकस करते हुए निवेश के लिए शेयर चुनता है। वह पोर्टफोलियो में शामिल कंपनियों के फाइनैंशल रिजल्ट और उसके अहम रेशो पर नजर रखता है और यह फैसला करता है कि किन शेयरों को स्कीम के पोर्टफोलियो में शामिल किया जाएगा। इसके बाद वह म्यूचुअल फंड का लक्ष्य हासिल करने के लिए ऐसेट पोर्टफोलियो बनाता है। फंड मैनेजर इसके अलावा सिंगल स्टॉक और मैक्रो इकनॉमिक रिस्क के मुकाबले संभावित रिटर्न का अंदाजा लगाता है। ऑपरेशनल लेवल पर इन्वेस्टमेंट टीम से सलाह मशविरा करने वाला फंड मैनेजर पोर्टफोलियो के लिए डेली बेसिस पर शेयरों/बॉन्ड्स के लिए ऑर्डर प्लेसमेंट करनेवाला इनचार्ज होता है ।
किन पैमानों पर फंड मैनेजर्स का असेसमेंट होता है?
इन्वेस्टर्स फंड मैनेजर्स के परफॉर्मेंस को कई तरह से इवैल्यूएट करते हैं। वे उनके इन्वेस्टमेंट स्टाइल पर गौर करते हैं, फंड मैनेजमेंट का इतिहास और पुराना रिटर्न देखते हैं और मैनेजमेंट टीम का साइज और उसकी क्वॉलिटी भी चेक करते हैं। कुछ लोग यह भी चेक करते हैं कि क्या फंड मैनेजर ने भी स्कीम पैसा लगाया हुआ है। इन्वेस्टर्स यह भी देखते हैं कि क्या फंड मैनेजर बेंचमार्क को आउटपरफॉर्म कर सकता है और उसके जैसी स्कीम के मुकाबले उसकी स्कीम का परफॉर्मेंस कैसा रह सकता है। मिसाल के लिए बीएसई 100 या निफ्टी बेंचमार्क वाले लार्ज कैप फंड को लंबे समय तक इंडेक्स को आउटपरफॉर्म करते रहना चाहिए।
ऐसेट मैनेजमेंट इंडस्ट्री में फंड मैनेजर अहम शख्सियत होता है। वह अक्सर फंड हाउस का चेहरा होता है। इन्वेस्टर्स उस शख्स के बारे में जानना चाहते हैं, जिनके हवाले वे अपनी गाढ़ी कमाई करते हैं। तो आप भी जान लीजिए, फंड मैनेजर के बारे में सब कुछ...
फंड मैनेजर कौन होता है?
फंड मैनेजर वह शख्स होता है जिसपर म्यूचुअल फंड स्कीमों के पैसे लगाने की जिम्मेदारी होती है। वह स्कीम के रिस्क लेवल के मुताबिक रिटर्न हासिल करने की कोशिश करता है। फंड मैनेजर पर फंड के मकसद के हिसाब से इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटिजी पर अमल करने की जिम्मेदारी होती है। फंड मैनेजर निवेश के फैसले लेने के लिए मार्केट और इकनॉमिक ट्रेंड्स पर नजर रखता है और सिक्यॉरिटीज को ट्रैक करता है। जो निवेशक अपने पोर्टफोलियो में म्यूचुअल फंड्स ऐड करना चाहते हैं, उनके लिए स्कीम के चुनाव में फंड मैनेजर बड़ा फैक्टर होता है। यह फंड मैनेजर ही होता है जो पोर्टफोलियो की दिशा तय करता है। उसका काम शेयर चुनने का होता है, इसलिए उस पर बेंचमार्क और दूसरे फंड्स से बेहतर रिटर्न दिलाने की जिम्मेदारी होती है।
फंड मैनेजर की क्या जिम्मेदारी होती है?
फंड मैनेजर P/E, सेल्स, प्रॉफिट, डिविडेंड जैसे रेशो पर फोकस करते हुए निवेश के लिए शेयर चुनता है। वह पोर्टफोलियो में शामिल कंपनियों के फाइनैंशल रिजल्ट और उसके अहम रेशो पर नजर रखता है और यह फैसला करता है कि किन शेयरों को स्कीम के पोर्टफोलियो में शामिल किया जाएगा। इसके बाद वह म्यूचुअल फंड का लक्ष्य हासिल करने के लिए ऐसेट पोर्टफोलियो बनाता है। फंड मैनेजर इसके अलावा सिंगल स्टॉक और मैक्रो इकनॉमिक रिस्क के मुकाबले संभावित रिटर्न का अंदाजा लगाता है। ऑपरेशनल लेवल पर इन्वेस्टमेंट टीम से सलाह मशविरा करने वाला फंड मैनेजर पोर्टफोलियो के लिए डेली बेसिस पर शेयरों/बॉन्ड्स के लिए ऑर्डर प्लेसमेंट करनेवाला इनचार्ज होता है ।
किन पैमानों पर फंड मैनेजर्स का असेसमेंट होता है?
इन्वेस्टर्स फंड मैनेजर्स के परफॉर्मेंस को कई तरह से इवैल्यूएट करते हैं। वे उनके इन्वेस्टमेंट स्टाइल पर गौर करते हैं, फंड मैनेजमेंट का इतिहास और पुराना रिटर्न देखते हैं और मैनेजमेंट टीम का साइज और उसकी क्वॉलिटी भी चेक करते हैं। कुछ लोग यह भी चेक करते हैं कि क्या फंड मैनेजर ने भी स्कीम पैसा लगाया हुआ है। इन्वेस्टर्स यह भी देखते हैं कि क्या फंड मैनेजर बेंचमार्क को आउटपरफॉर्म कर सकता है और उसके जैसी स्कीम के मुकाबले उसकी स्कीम का परफॉर्मेंस कैसा रह सकता है। मिसाल के लिए बीएसई 100 या निफ्टी बेंचमार्क वाले लार्ज कैप फंड को लंबे समय तक इंडेक्स को आउटपरफॉर्म करते रहना चाहिए।
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