बाबर जैदी, नई दिल्ली
एक बार फिर से स्मॉल सेविंग्स के इंटरेस्ट रेट में 10 बेसिस पॉइंट्स की कमी हो सकती है। इससे मिडिल क्लास लोगों में गुस्से की स्थिति देखने को मिल सकती है। लेकिन पीओके में घुसकर भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद मचे शोर में शायद इस पर चर्चा ही न हो। सच यह है कि 10 बेसिस पॉइंट्स की कटौती का अनुमान भी कम है, इससे कहीं ज्यादा कमी की जा सकती है। बीते साल मार्च में रेट कट के बाद से पीपीएफ के इंटरेस्ट रेट में 75 बेसिस पॉइंट्स तक की कमी हो चुकी है।
आउटलुक एशिया कैपिटल के सीईओ मनोज नागपाल ने कहा, 'सरकार यदि अपनी पूर्व निर्धारित पॉलिसी पर चलती है तो रेट में बड़ी कटौती संभव है।' कुछ लोगों का मानना है कि राजनीतिक नुकसान की आशंका के चलते सरकार ऐसे कदम से बच सकती है। विपिन खंडेलवाल के मुताबिक, 'यह इंटरेस्ट रेट्स आमतौर पर सामाजिक और आर्थिक टूल के तौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं। इनका सिर्फ आर्थिक महत्व नहीं होता है।'
फाइनैंस प्लानर बलवंत जैन ने कहा, 'सरकारी बॉन्ड्स से होने वाली आय में बहुत ज्यादा गिरावट नहीं आई है, लेकिन इसके बावजूद नई तिमाही में सरकार छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दर में कटौती की ओर बढ़ सकती है।' हालांकि रेट कट के बाद भी कई ऐसी स्मॉल सेविंग स्कीम्स हैं, जो लोगों के लिए बैंक में पैसे जमा कराने से बेहतर सेविंग ऑप्शन हैं।
पीपीएफ और सुकन्या समृद्धि योजना टैक्स फ्री हैं। वहीं, बैंक में जमा राशि पूरी तरह टैक्सेबल होती है। सबसे अधिक 30 पर्सेंट टैक्स ब्रैकेट में आने वाले लोगों की बात करें तो उन्हें टैक्स कटौती के बाद बैंक में जमा पैसे से बमुश्किल पांच पर्सेंट ब्याज ही मिलता है। वहीं सुकन्या और पीपीएफ खातों में जमा राशि पर 8 और 8.5 पर्सेंट ब्याज मिलता है। नागपाल कहते हैं कि मौजूदा माहौल में अब भी पीपीएफ की तुलना में कोई दूसरा तरीका नहीं है, जिससे फिक्स्ड इनकम हासिल की जा सके।
एक बार फिर से स्मॉल सेविंग्स के इंटरेस्ट रेट में 10 बेसिस पॉइंट्स की कमी हो सकती है। इससे मिडिल क्लास लोगों में गुस्से की स्थिति देखने को मिल सकती है। लेकिन पीओके में घुसकर भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद मचे शोर में शायद इस पर चर्चा ही न हो। सच यह है कि 10 बेसिस पॉइंट्स की कटौती का अनुमान भी कम है, इससे कहीं ज्यादा कमी की जा सकती है। बीते साल मार्च में रेट कट के बाद से पीपीएफ के इंटरेस्ट रेट में 75 बेसिस पॉइंट्स तक की कमी हो चुकी है।
आउटलुक एशिया कैपिटल के सीईओ मनोज नागपाल ने कहा, 'सरकार यदि अपनी पूर्व निर्धारित पॉलिसी पर चलती है तो रेट में बड़ी कटौती संभव है।' कुछ लोगों का मानना है कि राजनीतिक नुकसान की आशंका के चलते सरकार ऐसे कदम से बच सकती है। विपिन खंडेलवाल के मुताबिक, 'यह इंटरेस्ट रेट्स आमतौर पर सामाजिक और आर्थिक टूल के तौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं। इनका सिर्फ आर्थिक महत्व नहीं होता है।'
फाइनैंस प्लानर बलवंत जैन ने कहा, 'सरकारी बॉन्ड्स से होने वाली आय में बहुत ज्यादा गिरावट नहीं आई है, लेकिन इसके बावजूद नई तिमाही में सरकार छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दर में कटौती की ओर बढ़ सकती है।' हालांकि रेट कट के बाद भी कई ऐसी स्मॉल सेविंग स्कीम्स हैं, जो लोगों के लिए बैंक में पैसे जमा कराने से बेहतर सेविंग ऑप्शन हैं।
पीपीएफ और सुकन्या समृद्धि योजना टैक्स फ्री हैं। वहीं, बैंक में जमा राशि पूरी तरह टैक्सेबल होती है। सबसे अधिक 30 पर्सेंट टैक्स ब्रैकेट में आने वाले लोगों की बात करें तो उन्हें टैक्स कटौती के बाद बैंक में जमा पैसे से बमुश्किल पांच पर्सेंट ब्याज ही मिलता है। वहीं सुकन्या और पीपीएफ खातों में जमा राशि पर 8 और 8.5 पर्सेंट ब्याज मिलता है। नागपाल कहते हैं कि मौजूदा माहौल में अब भी पीपीएफ की तुलना में कोई दूसरा तरीका नहीं है, जिससे फिक्स्ड इनकम हासिल की जा सके।
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