[ चंद्रलेखा मुखर्जी ] आप मनी ट्रांसफर करने के लिए पिछली बार बैंक कब गए थे? अभी 80-85 पर्सेंट NEFT और RTGS ट्रांजैक्शंस नेटबैंकिंग या एप्स के जरिए हो रहे हैं। ऑनलाइन ट्रांसफर सुविधाजनक और तेज है। इसके लिए एक्सट्रा कॉस्ट भी नहीं लगती। आपको सिर्फ एक व्यक्ति को उसके एकाउंट नंबर और बैंक IFSC कोड के साथ बेनेफिशियरी के तौर पर रजिस्टर करना होता है। इसके बाद आप उसे मनी ट्रांसफर कर सकते हैं। हालांकि अगर आप गलती से रकम किसी अन्य के बैंक एकाउंट में भेज देते हैं, फिर क्या होगा? गलतियों की आशंका कम करने के लिए कस्टमर्स को बेनेफिशियरी एकाउंट नंबर दो बार दर्ज करना होता है। अगर IFSC कोड और एकाउंट नंबर मेल नहीं खाता तो एंट्री स्वीकार नहीं होती। बेनेफिशियरी जोड़ने के 30 मिनट बाद का समय कूलिंग पीरियड होता है, जिसमें आप ट्रांजैक्शन नहीं कर सकते। कूलिंग पीरियड के दौरान कुछ बैंक कस्टमर्स को उनके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर टेक्स्ट नोटिफिकेशन भेजते हैं, जिसमें उस बेनेफिशियरी की पुष्टि की जाती है जिसे उन्होंने जोड़ा है। कस्टमर्स इस फेज के दौरान नंबर दोबारा जांच सकते हैं। कुछ बैंक आपको बेनेफिशियरी का मोबाइल नंबर जोड़ने का भी ऑप्शन देते हैं, जिससे उन्हें एसएमएस के जरिए सूचना दी जा सकती है। हालांकि, इसके बाद भी गलतियां हो सकती हैं। अगर भूल से एक डिजिट गलत दर्ज करते हैं और वह एकाउंट होल्डर के नाम से मेल नहीं खाती, तो भी ट्रांजैक्शन नहीं की जा सकेगी। यह भी संभव है कि आपने शुरुआत में भी गलत एकाउंट नंबर दर्ज किया हो। आप ट्रांसफर किए जाने वाले एमाउंट में एक अतिरिक्त जीरो भी गलती से लगा सकते हैं। आरबीआई के मुताबिक, पेमेंट ट्रांजैक्शंस में सही इनपुट, विशेषतौर पर बेनेफिशियरी का एकाउंट नंबर देने की जिम्मेदारी रेमिटर या ट्रांजैक्शन करने वाले की होती है। इस गलती की सूचना आपको बैंक को तुरंत देनी चाहिए। टर्नअराउंड टाइम इस बात पर भी निर्भर करता है कि कस्टमर कितनी तेजी से बैंक को सतर्क करता है और ट्रांजैक्शन किस स्टेज पर है। एक्सिस बैंक के प्रेसिडेंट (रिटेल लेंडिंग एंड पेमेंट्स) जयराम श्रीधरन ने बताया, 'अगर रेमिटर और बेनेफिशियरी एकाउंट्स समान बैंक के साथ हैं तो प्रोसेस तेज होता है। अगर आप बैंक को एक घंटे के अंदर सतर्क करते हैं तो मनी तुरंत रिवर्स हो सकती है।' बेनेफिशियरी को भी सूचना देनी होती है। बेनेफिशियरी की अनुमति के बिना बैंक ट्रांजैक्शन रिवर्स नहीं कर सकता। अगर बेनेफिशियरी सहयोग करने से मना कर देता है तो आपको कानूनी रास्ता अपनाना होगा। आरबीआई स्पष्ट तौर पर कहता है, 'जिन मामलों में क्रेडिट गलत एकाउंट में जाता है, वहां बैंकों को इस तरह के क्रेडिट को रिवर्स करने और गलती ठीक करने के लिए तुरंत काम करने की जरूरत होती है।' हालांकि, बैंक आमतौर पर इतनी तेजी से काम नहीं करते। श्रीधरन ने कहा, 'इस तरह के मामले काफी कम होते हैं और उनकी संख्या एक क्वॉर्टर में दो से तीन की रहती है और इस वजह से बैंकों के पास इससे निपटने के लिए अलग से कोई प्रोसेस नहीं है।' कस्टमर के लिए सावधानी बरतना महत्वपूर्ण होता है। उसे एकाउंट नंबर को टाइप करने के बजाय कॉपी-पेस्ट करना चाहिए। इससे बाद में होने वाली मुश्किल से काफी हद तक बचा जा सकता है।
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