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Channel: Mutual Funds in Hindi - म्यूचुअल फंड्स निवेश, पर्सनल फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट के तरीके, Personal Finance News in Hindi | Navbharat Times
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कम रिस्क में वाजिब रिटर्न के लिए बैलेंस्ड फंड में पैसा लगाएं

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[ नरेंद्र नाथन ]

इक्विटी मार्केट करेक्शन मोड में दिख रहा है। 4 मार्च को 30,025 का लेवल टच करने वाला बीएसई सेंसेक्स अब करीब 5 पर्सेंट गिर चुका है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि आने वाले दिनों में और उतार-चढ़ाव दिख सकते हैं। क्वॉन्टम म्यूचुअल फंड के इक्विटी फंड्स हेड अतुल कुमार का कहना है, 'करेक्शन दिखा तो है, लेकिन यह ठीक-ठाक नहीं रहा।' यह फंड हाउस और गिरावट का इंतजार कर रहा है। क्वॉन्टम लॉन्ग टर्म इक्विटी फंड में कैश लेवल्स इस वक्त 30 पर्सेंट से ज्यादा पर हैं।

मार्केट में बेचैनी का मुख्य कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से रेट बढ़ाए जाने का डर है। इसके चलते फंड हाउसेज कैश पर कुंडली मारे बैठे हैं। बेमौसम की बारिश से फसलें खराब हुई हैं, जिससे महंगाई बढ़ने का खतरा बना है। इससे इन उम्मीदों पर भी पानी फिर गया है कि आरबीआई रेट कट की राह पर तेजी से कदम बढ़ाएगा। यही वजह है कि 10 साल का सरकारी बॉन्ड अब भी 7.7% के आसपास कोट कर रहा है, जबकि आरबीआई 50 बेसिस प्वाइंट रेट कर चुका है। जहां मार्केट अपने ऑल-टाइम हाई लेवल के आसपास घूम रहा है, वहीं कॉरपोरेट अर्निंग्स में तेजी नहीं आ रही है। इससे बाजार पर दबाव बन रहा है। तीसरे क्वॉर्टर में इंडिया इंक का सामूहिक मुनाफा 30% घटा था। अब कमोडिटी की कीमतों में नरमी बने रहने के साथ चौथे क्वॉर्टर में भी मुनाफे में गिरावट की आशंका है। 'बिजनेस फ्रेंडली' गवर्नमेंट बनने से मांग में सुधार होने की जो उम्मीद थी, वह भी परवान नहीं चढ़ी।

ऐसे माहौल में इनवेस्टर्स को क्या करना चाहिए? एक विकल्प तो यह है कि प्रॉफिट बुक करें और कैश तब तक बचाए रखें, जब तक कि बढ़िया करेक्शन न हो। इस स्ट्रैटेजी में हालांकि जोखिम यही है कि आप इस टाइमिंग का अंदाजा ठीक-ठीक नहीं लगा सकते कि मार्केट में कब पैसा लगाना है। फिर किसी आम इक्विटी या बैलेंस्ड फंड में पैसा लगाने से भी बात नहीं बनेगी क्योंकि मौजूदा माहौल में इनमें से ज्यादातर एक्टिव कैश कॉल लेने को तैयार नहीं हैं। मॉर्निंगस्टार इनवेस्टमेंट एडवाइजर (इंडिया) के डायरेक्टर (इनवेस्टमेंट एडवाइजरी) धवल कपाड़िया ने कहा, 'कैश कॉल्स लेने वाली म्यूचुअल फंड स्कीम्स की अपनी सीमाएं हैं। 2009 के इलेक्शंस के पहले कैश कॉल्स लेने वाली कई स्कीम्स चुनावी नतीजे के ऐन बाद स्टॉक मार्केट में आई रैली को मिस कर गई थीं।'

अगर फंड मैनेजर शॉर्ट टर्म में अपने इक्विटी एक्सपोजर को घटना चाहते हों तो उन्हें फ्यूचर एंड ऑप्शंस मार्केट का यूज करना होगा। इसका अर्थ यह हुआ कि अगर मार्केट में अचानक गिरावट आई तो एक्टिव डेरिवेटिव स्ट्रैटेजी वाले फंड मैनेजर ही अपने इनवेस्टर्स के पोर्टफोलियो को बचा सकेंगे। इस समय अपने फंड के कुछ हिस्से की हेजिंग करने के लिए सक्रिय रूप से एफएंडओ स्ट्रैटेजी का इस्तेमाल करने वाली कई स्कीम्स आई हैं, लेकिन चूंकि इन स्कीम्स की इक्विटी होल्डिंग्स कम हैं, इसलिए इनसे मिलने वाला रिटर्न भी बैलेंस्ड फंड्स की तुलना में कम ही रहेगा। फंड्सइंडिया की हेड (म्यूचुअल फंड रिसर्च) विद्या बाला ने कहा, 'इन स्कीम्स का मकसद कम वोलैटिलिटी के साथ रिटर्न हासिल करना है।'

आईसीआईसीआई प्रू बैलेंस्ड एडवांटेज फंड एफएंडओ स्ट्रैटेजी अपनाने वाली स्कीम्स का अच्छा उदाहरण है। इसका इक्विटी एलोकेशन मार्केट की वैल्यूएशंस के आधार पर 30 से 80 पर्सेंट के बीच रहता है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी के फंड मैनेजर मनीष गुनवानी ने कहा, 'इक्विटी-डेट अनुपात को डेली बेसिस पर बैलेंस किया जाता है। इसके लिए एक इन-हाउस मॉडल यूज होता है। जब यह मॉडल इक्विटी लेवल्स के 65% से नीचे होने का संकेत देता है, तो हम निफ्टी फ्यूचर्स या स्टॉक फ्यूचर्स का यूज करते हुए रीबैलेंसिंग करते हैं।' 28 फरवरी को नेट इक्विटी एक्सपोजर 38.64% था।

इडलवाइज एब्सॉल्यूट रिटर्न फंड रिटर्न बढ़ाने के लिए कई स्ट्रैटेजी अपनाता है। यह लार्ज इक्विटी एक्सपोजर पर कदम बढ़ाने के साथ रिस्क घटाने के लिए विशेष मौकों पर आर्बिट्राज के अवसरों में निवेश करता है और मार्केट की स्थिति के मुताबिक डायनेमिक हेजिंग भी करता रहता है। एलएंडटी इक्विटी सेविंग्स फंड भी इसी कैटेगरी में है, हालांकि इनवेस्टर्स को यह देखने के लिए मार्केट में बड़ी गिरावट का इंतजार करना चाहिए कि यह फंड जिन सिस्टम्स को अपनाता है, वे ठीक से काम करते हैं या नहीं।

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