[ उमा शशिकांत ] अक्सर यंग जेनरेशन की आलोचना उनकी लोन लेने की आदत को लेकर की जाती है। इस तरह की शिकायत आमतौर पर घर के बुजुर्ग करते हैं। अगर कुछ सेकेंड रुककर यह सवाल करें कि शिकायत करने वाले बुजुर्ग के पोर्टफोलियो में सबसे कीमती एसेट क्या है? मुमकिन है कि वह घर होगा, जिसे उन्होंने हाउसिंग लोन लेकर खरीदा होगा। बिना लोन के हममें से ज्यादातर लोग घर नहीं खरीद पाएंगे। इस बात को समझने की जरूरत है कि आप लोन किसी लेंडर से नहीं, बल्कि अपनी फ्यूचर इनकम से लेते हैं। हम नहीं जानते कि हमारा भविष्य क्या होगा। इसलिए लोन से एक रिस्क जुड़ा होता है। मुमकिन है कि किसी ने लोन न लिया हो। उसकी इनकम स्टेबल हो और वह नियमित तौर पर बचत करता हो। ऐसे लोग लोन लेने वालों की आलोचना कर सकते हैं, लेकिन अधिकतर लोगों के लिए यह मजबूरी है। लोन अलग-अलग तरह के होते हैं। अगर आप फौरी तौर पर कैश की कमी दूर करने के लिए लोन ले रहे हैं तो यह एक तरह का अरेंजमेंट हो सकता है। जब कोई कंपनी एंप्लॉयीज को सैलरी देने के लिए लोन लेती है तो वह तुरंत कैश की जरूरत पूरी करती है। सेल्स से कंपनी के पास पैसा आएगा और इससे वह लोन चुकाएगी। किसी फेयरवेल पार्टी के लिए दोस्त से उधार लेना भरोसे का मामला होता है। आपकी जेब में उस वक्त पैसा नहीं होता और किसी एटीएम से पैसा निकालकर दोस्त को आप वह लोन चुकाते हैं। घर या लॉन्ग टर्म एसेट खरीदने के लिए लिया गया लोन फ्यूचर इनकम के बदले लिया जाता है। यह फंडिंग कॉन्ट्रैक्ट होता है। इसमें लेंडर आपकी तरफ से पैसा देने को तैयार होता है और वह इसे वसूलने के लिए आपके साथ एक एग्रीमेंट करता है। इसमें एसेट को गिरवी रखा जाता है। किसी कमोडिटी या इंडेक्स की फ्यूचर वैल्यू बढ़ने पर लोन लेकर दांव लगाना सट्टेबाजी है। इसमें नफा या नुकसान दोनों हो सकता है। इसलिए लोन लेने से पहले यह समझिए कि आपकी जरूरत क्या है? दोस्तों से अक्सर लोन लेकर अगर कोई नहीं चुकाता है तो उसके दोस्त नहीं रहते। बॉरोअर्स की सायकोलॉजी पर रिसर्च से पता चला है कि ऐसे लोग लोन की याद को दबा देते हैं। वहीं लोन देने वाले को जब पैसा मिलने में देरी होती है तो उसकी नाराजगी बढ़ती है। बॉरोअर खुद को यकीन दिलाता है कि इसमें उसकी गलती नहीं है। उसे इस बात से भी राहत मिलती है कि दोस्त अब पैसा मांगने के लिए उसका पीछा नहीं कर रहा। लोन लेने वाले अक्सर उसे भुलाने की कोशिश करते हैं। वहीं पैसा देने वाले उसे अधिक रिकॉल करते हैं। दोस्तों या रिश्तेदारों से अगर आप लोन ले रहे हैं तो याद रखिए कि इसमें भरोसा जुड़ा है। आप जितनी जल्दी यह लोन चुकाते हैं, उतना ही अच्छा रहेगा। एसेट खरीदने के लिए लोन लेना लॉन्ग टर्म फॉर्मल कॉन्ट्रैक्ट होता है। इसमें लोन चुकाने के साथ बॉरोअर एसेट का मालिक भी बनता है। लेंडर इस बात से आश्वस्त रहता है कि अगर उसका पैसा नहीं मिला तो वह एसेट बेचकर रकम वसूल सकता है। होम लोन के मामले में बॉरोअर्स अपनी जेब से भी काफी पैसा एसेट में लगाते हैं। इससे डिफॉल्ट का रिस्क और कम हो जाता है। यही वजह है कि लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी अच्छा बिजनेस है। हालांकि, प्रॉपर्टी लोन समय के साथ हाउसिंग प्राइसेज पर सट्टेबाजी का जरिया भी बन जाते हैं। घर की कीमत डिमांड से तय होती है। जब लोन आसानी से मिलता है, तब घर की मांग बढ़ती है। एसेट की कीमत बढ़ने के साथ लोन को लेकर कंफर्ट लेवल बढ़ता है।
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