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रेकरिंग डिपॉजिट इनकम पर भी कटेगा TDS

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[ बिंदिशा सारंग ]

अब फिक्स्ड डिपॉजिट के साथ रेकरिंग डिपॉजिट पर भी टीडीएस कटेगा। अगर फाइनेंशियल ईयर में इस स्कीम से इंटरेस्ट इनकम 10,000 रुपये से ज्यादा होती है, तो इस पर टीडीएस लागू होगा। फिक्स्ड डिपॉजिट से जुड़े टीडीएस नियमों में भी बदलाव किया गया है। अब तक इस स्कीम के तहत टीडीएस तभी कटता था, जब किसी किसी फाइनेंशियल ईयर में किसी खास ब्रांच में एफडी से इनकम 10,000 रुपये से ज्यादा होती थी। ऐसे में निवेशक टीडीएस से बचने के लिए अलग-अलग ब्रांच में एफडी एकाउंट खोलते थे। बजट में प्रस्ताव किया गया है कि अगर सभी ब्रांचों के एफडी की ज्वाइंट इंटरेस्ट इनकम साल में 10,000 रुपये से ज्यादा होती है, तो इस पर टीडीएस काटा जाएगा।

नया नियम 1 जून से अमल में आएगा, लेकिन बैंकों में समय से पहले एफडी और आरडी बंद करने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। टैक्सस्पैनर के को-फाउंडर और सीएफओ सुधीर कौशिक ने बताया, 'टीडीएस के नए नियम से टैक्स चोरी पर लगाम लगाने और टैक्स कलेक्शन बढ़ाने में मदद मिलेगी।'

हालांकि, टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि नए नियम से ईमानदार टैक्सपेयर्स को चिंतित होने की जरूरत नहीं है। वे पहले से अपने आरडी और एफडी पर टैक्स का भुगतान करते रहे हैं। टीडीएस नियमों में तीसरा बड़ा बदलाव यह है कि को-ऑपरेटिव बैंकों के डिपॉजिट पर भी अब छूट नहीं मिलेगी। बजट प्रस्तावों के मुताबिक, को-ऑपरेटिव बैंकों के डिपॉजिट पर भी टीडीएस का नियम लागू होगा। कर्नाटक इनकम टैक्स ट्राइब्यूनल ने पिछले साल अपने फैसले में कहा था कि अगर को-ऑपरेटिव बैंकों में भी इंटरेस्ट इनकम साल में 10,000 रुपये से ज्यादा होती है, तो इस पर टीडीएस कटना चाहिए।

इस फैसले के बाद कई को-ऑपरेटिव बैंकों को 2013-14 में टीडीएस काटने के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस मिला था। अब बजट में इस नियम पर मुहर लग गई है। कौशिक के मुताबिक, 'इससे सरकार को टीडीएस के जरिये ज्यादा रेवेन्यू मिल सकेगा और टैक्स का दायरा बढ़ेगा।'

टीडीएस सिर्फ अंतरिम टैक्स है

निवेशकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि टीडीएस सिर्फ अंतरिम टैक्स है। अगर निवेशक ने पैन नंबर नहीं दिया है, तो 20 फीसदी तक टीडीएस कट सकता है। हालांकि, आरडी और एफडी से हुई इंटरेस्ट इनकम पूरी तरह टैक्सेबल है। अगर इनकम 10,000 से कम है और टीडीएस नहीं कटा है, तो आपको अपनी टोटल इनकम में इसे जोड़ना होगा और इसके मुताबिक टैक्स देना होगा।

टीडीएस कटने के बाद भी वास्तविक टैक्स लायबिलिटी किसी शख्स की इनकम पर निर्भर करती है। अगर आप 20-30 फीसदी टैक्स ब्रैकेट में आते हैं, तो आपको अपनी इनकम पर ज्यादा टैक्स देना होगा। अगर निवेश की इनकम 10 लाख सालाना से ज्यादा है, तो आरडी या एफडी पर 30 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा। अगर किसी शख्स की इनकम 2.5 लाख से कम है, तो रिटर्न फाइल करने के बाद टीडीएस वापस हो जाएगा।

क्या टीडीएस से बचा जा सकता है?

अगर आप की इनकम बुनियादी छूट के लेवल से कम है, तो आप टैक्स देने के लिए जिम्मेदार नहीं है। आप बैंक को डिक्लेरेशन फॉर्म भरकर टीडीएस से बच सकते हैं। मुंबई के सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर सुरेश सदगोपन ने बताया, 'जो लोग टैक्स के दायरे में नहीं आते हैं और उनकी उम्र अगर 60 साल से कम है, तो वे टीडीएस से बचने के लिए 15जी फॉर्म भर सकते हैं। 60 साल से ऊपर के ऐसे शख्स को 15एच फॉर्म भरना पड़ेगा।' यह फॉर्म आपको हर ब्रांच में भरना होगा, जहां आपकी रकम जमा है।

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