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ट्रिगर फैसिलिटी में कुछ नफा तो कुछ नुकसान

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[ संजय कुमार सिंह | नई दिल्ली ]

अविनाश शर्मा (39 साल) दिल्ली में एचआर प्रोफेशनल हैं। मार्केट में करेक्शन से अपने इक्विटी पोर्टफोलियो को नुकसान पहुंचने के कारण वह चिंतित हैं। अविनाश के म्यूचुअल फंड एजेंट ने उन्हें ट्रिगर फंड के बारे में बताया। शर्मा को यह कॉन्सेप्ट पसंद आया, लेकिन उन्होंने पहले अपने फाइनेंशियल प्लानर से इस बारे में सलाह करने का फैसला किया। इस बारे में उन्हें कुछ इस तरह की जानकारी मिली।

ट्रिगर्स के फायदे

इनवेस्टर्स को हर छह महीने पर अपने पोर्टफोलियो को रीबैलैंस करना चाहिए। जिन एसेट्स की वैल्यू में तेज बढ़ोतरी हुई है, उसकी बिक्री करनी चाहिए। मसलन मौजूदा समय में इक्विटी से पैसा निकालकर वैसे एसेट में लगाना चाहिए, जो अंडरपरफॉर्म कर रहे हैं। ऐसा करने से इनवेस्टर को एसेट एलोकेशन को ओरिजिनल लेवल पर लाने में मदद मिलेगी। इससे मार्केट में करेक्शन आने पर निवेशक को कम नुकसान होगा। हालांकि, कई इनवेस्टर्स इसमें लापरवाही बरतते हैं, जिससे मार्केट के टूटने पर उनका फायदा खत्म हो जाता है। अगर गिरावट का दौर लंबे वक्त तक जारी रहता है, तो वे निराश होकर निवेश से निकल जाते हैं। इस तरह के अनुभव से कई निवेशक हमेशा के लिए इक्विटी मार्केट से बाहर निकल जाते हैं।

ट्रिगर फैसिलिटी के जरिये आप बढ़ते बाजार में प्रॉफिट बुक करने की प्रक्रिया को ऑटोमैटिक कर देते हैं। जैसे ही आपका फंड पहले से तय लेवल पर पहुंचता है, तो ट्रिगर एक्टिवेट हो जाता है। यूनियन केबीसी एएमसी के सीईओ जी प्रदीप कुमार ने बताया, 'ट्रिगर फंडों के जरिये इनवेस्टर्स को शेयर बाजार का पॉजिटिव अनुभव होता है।' ट्रिगर आपको मार्केट में गिरावट के दौरे में आकर्षक वैल्यूएशन का फायदा उठाने में मदद करता है।

किस तरह काम करता है ट्रिगर सिस्टम

ट्रिगर फंडों में इन बिल्ट ट्रिगर फैसिलिटी होती है। यह आपको किसी खास इवेंट से जुड़ने में मदद करता है, जो टाइम या वैल्यू से जुड़ा हो सकता है और जब यह इवेंट होता है, तो ट्रिगर एक्टिवेट हो जाता है। हाल में लॉन्च हुए यूनियन के केबीसी एएमसी के क्लोज एंडेड इक्विटी फंड में इस तरह का ऑफर पेश किया गया है। फंड के एनएवी में 30 फीसदी तक की बढ़ोतरी होने या इसके तीन साल पूरा होने पर इसमें ट्रिगर एक्टिवेट हो जाएगा। बड़ौदा पायनियर जल्द ऐसा ही फंड लॉन्च करेगा, जिसके तहत इसमें 50 फीसदी तक बढ़ोतरी होने या इसके तीन साल पूरा होने पर यह ट्रिगर लिमिट तक पहुंच जाएगा।

डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड भी यह फैसिलिटी ऑफर करते हैं। यहां आप अपनी पसंद के हिसाब से ट्रिगर सेट कर सकते हैं। मिसाल के तौर पर आईसीआईसीआई प्रूडेंशिल म्यूचुअल फंड स्कीमों में आप अपना पैसा डेट फंड में लगा सकते हैं और सेंसेक्स के निश्चित लेवल तक गिरने या फंड के एनएवी में निश्चित पर्सेंटेज तक गिरावट की सूरत में इसे इक्विटी फंड में निवेश किया जा सकता है। इसी तरह, मार्केट में तेजी की हालत में आप रिडेम्प्शन या इक्विटी फंड से बाहर निकलने जैसे विकल्प चुन सकते हैं।

खामियां

ट्रिगर फंड वैल्यूएशन के पैमानों के आधार पर ऑपरेट नहीं करते। शेयर बाजार में आपको प्रॉफिट बुकिंग तभी करनी चाहिए, जब वैल्यूएशन अधिक हो गया हो। प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स में चीफ फाइनेंशियल प्लानर विशाल धवन कहते हैं, 'सिर्फ सेंसेक्स के 25 या 30 फीसदी ऊपर पहुंचने या इसके निश्चित लेवल तक पहुंचने का मतलब यह नहीं है कि आपको इक्विटी से बाहर निकल जाना चाहिए। अगर इक्विटी के लिए आउटलुक पॉजिटिव बना हुआ है और वैल्यूएशन ज्यादा नहीं हैं, तो क्या होगा? अगर आप बाजार के बहुत महंगा नहीं होने के बावजूद इससे बाहर निकलते हैं तो अधिक रिटर्न से वंचित रह सकते हैं।'

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