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2019 में लोगों ने जमकर लिया उधार, लेकिन सावधानी के साथ: स्टडी

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आदिल शेट्टी
बीता हुआ साल काफी उथल-पुथल से भरा था और हर सेक्टर के शेयर में उतार-चढ़ाव देखने को मिला था लेकिन एक अध्ययन से पता चला कि घटती मांग भी भारत के लोगों को अपने जीवन के महत्वपूर्ण लक्ष्यों को पूरा करने से रोक न सकी क्योंकि उन्होंने उधार लेने में सावधानी बरती। बैंकबाज़ार डॉट कॉम ने हाल में मनीमूड® 2020 का लेटेस्ट एडिशन लॉन्च किया जो 2019 में भारत के लोगों के द्वारा उधार लेने के तौर-तरीकों से संबंधित रुझानों पर प्रकाश डालने के लिए इंटरनल डेटा पर आधारित एक वार्षिक अध्ययन है। पिछले एडिशन की तरह इस साल के एडिशन में भी कई दिलचस्प बातें और आंकड़ें सामने आए। आइए जानें, इस स्टडी में सामने आईं कुछ ऐसी बातें. जो देश में पर्सनल फाइनैंस के ट्रेंड्स के बारे में एक ख़ास नजरिया बनाने में मदद कर सकती हैं

पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने लिया उधार
लगातार दूसरे साल, महिलाओं ने महत्वपूर्ण लोन और क्रेडिट कार्ड कैटिगरी में पुरुषों से ज्यादा उधार लिया। महिलाओं (रु. 2.55 लाख) और पुरुषों (रु.2.67 लाख) के औसत पर्सनल लोन में बहुत कम अंतर था। औसत होम लोन के मामले में महिलाओं (रु.25.64 लाख) का लोन पुरुषों (रु.23.66 लाख) से अधिक रहा। महिलाएं क्रेडिट कार्ड्स की मुख्य उपभोक्ता थीं और मिले आंकड़ों के अनुसार फ्यूल, प्रीमियम और ट्रेवल कार्ड्स के लिए महिला आवेदकों की संख्या में पिछले साल की तुलना में क्रमशः 49.07%, 32.78%, और 21.99% की बढ़ोतरी हुई।

अफोर्डेबल हाउसिंग (किफायती आवास), उम्मीद की किरण बनी रही
आंकड़ों के अनुसार 2019 में अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए होम लोन की मांग में काफी बढ़ोतरी देखी गई, जबकि हाई वैल्यू लोन का आंकड़ा वैसे का वैसा ही रहा क्योंकि घटती मांग के कारण हाउसिंग सेक्टर को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। 30 लाख रुपये से कम के होम लोन का आंकड़ा, होम लोन ऐप्लिकेशनों की कुल संख्या का 72% तक बढ़ गया जो काफी हद तक पहली बार घर खरीदने वालों के कारण बढ़ा था। इन आंकड़ों से यह साफ़ पता चलता है कि भारत के लोगों ने बड़ी सावधानी और परिपक्वता के साथ अपने प्रमुख वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपनी योजनाओं को लागू करना जारी रखा है और 2018 की तरह, महिलाओं ने होम लोन के औसत परिमाण की दृष्टि से पुरुषों को पीछे छोड़ दिया। महिलाओं के होम लोन का औसत परिमाण 25.64 लाख रुपये था, जबकि पुरुषों का 23.66 लाख रुपये था।

बेहतरीन सुविधाओं वाले क्रेडिट कार्ड की ओर रुझान
2019 में प्रीमियम क्रेडिट कार्ड ऐप्लिकेशनों की संख्या में 2018 के आंकड़ों की तुलना में 30% की बढ़ोतरी देखने को मिली। मिलेनियल ऐप्लिकैंट्स (26 से 35 साल के) के लिए यह बढ़ोत्तरी काफी अधिक थी जो कि साल दर साल 43% की दर से बढ़ रहा है। इस तरह के ट्रेंड्स से साफ़ पता चलता है कि लगातार बढ़ती संख्या में भारत के लोग, सीमित लाभों वाले अपने शुरुआती, बेसिक क्रेडिट कार्ड्स से आगे सोचने लगे हैं। वे प्रीमियम कार्ड्स से जुड़ी तरह-तरह की बेहतरीन सुविधाओं जैसे कॉम्प्लिमेंटरी लाउंज ऐक्सेस, तेजी से रिवॉर्ड पॉइंट्स कमाने की संभावना के साथ-साथ कई अन्य ख़ास लाइफस्टाइल सम्बन्धी विशेषाधिकारों का लाभ उठाकर एक अच्छी जिंदगी जीने की ख्वाहिश रखते हैं।

मेट्रो और नॉन-मेट्रो शहरों के बीच क्रेडिट गैप को ख़त्म करना
क्रेडिट प्रॉडक्ट्स की दृष्टि से, मेट्रो और नॉन-मेट्रो शहरों के बीच का गैप कम होने लगा है। कुछ मामलों में यह आंकड़ा बदलने लगा है। उदाहरण के लिए, नॉन-मेट्रो ऐप्लिकेंट्स के पर्सनल लोन का औसत परिमाण 2.79 लाख रुपये था जो कि मेट्रो ऐप्लिकैंट्स के औसत परिमाण 2.61 लाख रुपये से अधिक था। दूसरी तरफ, नॉन-मेट्रो ऐप्लिकेंट्स के कार लोन का औसत परिमाण 5.5 लाख रुपये था, जो मेट्रो के आंकड़े यानी 5.7 लाख रुपये से बस थोड़ा-सा ही पीछे था।

कार लोन की मांग कम रही
साल 2019, ऑटोमोटिव इंडस्ट्री के लिए काफी चुनौती भरा रहा और यही बात मनीमूड की रिपोर्ट में भी सामने आई है। इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि पिछले साल की तुलना में 2019 में सबसे बड़े कार लोन में 63% की भारी गिरावट देखने को मिली, इस साल दिया जाने वाला सबसे बड़े कार लोन 18.22 लाख रुपये था लेकिन कार लोन का औसत मूल्य, मेट्रो और नॉन-मेट्रो शहरों में क्रमशः 5.7 लाख और 5.5 लाख रुपये के साथ स्थिर बना रहा। यह दर्शाता है कि भारतीय युवा अब छोटी कारों से संतुष्ट नहीं हैं। वे प्रीमियम हैचबैक और सेडान लेना चाहते हैं और उनके लिए बड़े लोन लेने से हिचकिचाते नहीं।

भारत, क्रेडिट स्कोर के मामले में माहिर हो गया
अपना क्रेडिट स्कोर चेक करने वाले लोगों में साल-दर-साल 111% की बढ़ोतरी के कारण साल 2019 इस सेगमेंट के लिए अभूतपूर्व बना रहा और अपना क्रेडिट स्कोर देखने वाले लोगों में से 68% लोगों का क्रेडिट स्कोर 750 और उससे अधिक था। उनमें से कुल 45% लोग नॉन-मेट्रो शहरों के थे। इन आंकड़ों से, अपनी क्रेडिट प्रोफाइल के बारे में सचेत होने वाले, मनी मैनेजमेंट में एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम उठाने वाले और महत्वपूर्ण वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने की रणनीतियों को लागू करने वाले लोगों की बढ़ती संख्या का साफ़ पता चलता है।

अंत में
कुल मिलाकर, रिपोर्ट से पता चलता है कि क्रेडिट की कमी के बावजूद, भारत के लोगों की इच्छाओं में कोई कमी नहीं आई है। हम देख रहे हैं कि मिलेनियल्स, क्रेडिट के मामले में बुद्धिमानी से काम ले रहे हैं, जिससे उन्हें अस्थायी वित्तीय चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलेगी। हमें उम्मीद है कि इस तरह के क्रेडिट ट्रेंड्स के कारण 2020 में मजबूती आएगी क्योंकि इसकी मदद से अर्थव्यवस्था इस मंदी से खुद को बाहर निकाल लेगी।

(लेखक, बैंकबाज़ार डॉट कॉम के सीईओ हैं, जो लोन्स और क्रेडिट कार्ड्स के लिए भारत का प्रमुख ऑनलाइन मार्केटप्लेस है।)

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