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8 बातों को ध्यान में रखते हुए बच्चों को शुरू से ही सिखाएं वित्तीय अनुशासन

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उमा शशिकांत
वित्तीय अनुशासन के बारे में बच्चों को कम उम्र से ही समझाना बेहतर रहता है और इससे उन्हें बाद में मुश्किलों से निपटने में मदद मिलती है। इस बारे में आज हम आपको जाकारी देंगे। धन और खर्च के बारे में अनुशासन कम आयु से ही बनता है और जीवनभर रहता है। धन से जुड़ी सही आदतें डालना अभिभावकों की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। इसके लिए उन्हें परिवार की संस्कृति और अपने व्यवहार में भी वित्तीय अनुशासन लाने की जरूरत होती है।

हम धन को कैसे रखते हैं, इसे कैसे खर्च करते हैं, संशय की स्थिति होने पर धन पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। इन सभी से हमारी इच्छाओं, लालच, अनुशासन और स्वयं पर नियंत्रण के बारे में कई संकेत मिलते हैं। धन के बारे में हमारे रवैये के पीछे तीन प्रमुख बिंदु हैं। ये बचपन के अनुभव, अभिभावकों का व्यवहार और वह वातावरण है जिसमें परिवार में धन से संबंधित चयन किए जाते हैं।

बच्चों में धन को लेकर बेहतर रवैया बनाने के लिए हम कैसे व्यवहार कर सकते हैं?
पहला, ईमानदारी पर बरकरार रहें। अगर आप लापरवाही से खर्च करते हैं तो अपने बच्चों को बताएं कि आपको इस पर खेद है और आप खर्च पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रहे हैं। वे आपकी बात को समझेंगे। धन को लेकर अपने स्वयं के रवैये को पहचानना एक महत्वपूर्ण पहला कदम है।

दूसरा, सख्ती केवल शुरुआती वर्षों में चल सकती है। अपने बच्चों को आदेश देकर कार्य कराने की कोशिश न करें। बड़ा होने के साथ ही वे इस तरह के व्यवहार का विरोध शुरू कर देंगे। इसके बजाय उन्हें अपने निर्णय पर डटे रहने के जरिए सीख दें। इसमें अंतर यह है कि आप उनकी प्रतिक्रिया पर नियंत्रण नहीं करेंगे, लेकिन कार्यों की कमान संभालेंगे।

तीसरा, सब कुछ बताने की जरूरत नहीं। बच्चों को यह जानने की जरूरत नहीं है कि आपकी आमदनी कितनी है, आपकी संपत्ति कितनी है, या उन्हें विरासत में क्या मिलेगा। धन के बारे में रवैये बनाने के लिए ऐसी जानकारी की जरूरत नहीं है। अगर आप उन्हें इसके बारे में बताते हैं तो वे लापरवाह और खर्चीले बन सकते हैं।

चौथा, मुश्किल दौर आने पर बच्चों को उससे निपटने में शामिल करें। उन्हें बताएं कि किस तरह की कोशिशों की जरूरत है। लेकिन इसे लेकर तनावपूर्ण स्थिति न बनाएं। जीवन में आसान के साथ ही मुश्किल दौर भी आते हैं। यह बचपन में ही जान लेना अच्छा रहता है।

पांचवां, वित्तीय तौर पर नैतिक बनें। यह धन को लेकर आपके बच्चे के रवैये में आपका सबसे बड़ा योगदान होगा। अगर आप जाली बिल बनाते हैं, टैक्स से बचते हैं, छोटी चीजों को लेकर धोखाधड़ी करते हैं और अपने साथ कार्य करने वालों को कम भुगतान देते हैं, तो आपके बच्चों का भी व्यवहार आगे जाकर ऐसा ही हो सकता है। इस वजह से उन्हें जीवन में मुश्किलें भी आ सकती हैं। हालांकि, ऐसा भी हो सकता है कि वे गुस्से में इसके खिलाफ विद्रोह कर दें और व्यस्क होने पर सही रास्ता चुनें, लेकिन प्रत्येक मामले में ऐसा नहीं होगा। न्याय, समानता, बलिदान और कड़ी मेहनत जैसे गुण घर से ही मिलते हैं।

छठा, गुजरे हुए समय की बहुत अधिक बात न करें। बच्चे इसे ज्यादा पसंद नहीं करेंगे क्योंकि वे वहां कभी नहीं रहे। हमारे समय में, हमने ऐसा किया था और हम कितने खुश थे, इन सब बातों का अब कोई मतलब नहीं है। हमारे में से कोई भी संघर्ष या खुशी के उन दिनों में वापस नहीं जाएगा। बीते दौर को ज्यादा याद न करें। बच्चों को धन से जुड़े सही और जिम्मेदार फैसले लेने में मदद करें।

सातवां, बच्चों के जीवन में धन की भूमिका उससे मिलने वाली सुरक्षा से जुड़ी होती है। धन को केवल चीजें खरीदने के उसके मूल कार्य तक ही सीमित न करें। बच्चों को उनकी कोशिशों और योगदान से बेहतर भविष्य के बारे में कल्पना करने में सहायता करें। इसे यह कहकर बहुत अधिक आसान न बनाएं कि प्रत्येक चीज के लिए पर्याप्त धन है या खर्च चलाने के लिए भी यह पर्याप्त नहीं है।

आठवां,
बच्चों को धन से संबंधित अपने निर्णयों को समझाने में मदद करें। बच्चे को यह पता होना चाहिए कि जन्मदिन के लिए खर्च एक बजट में होना है। इससे उसे खर्च करने के विकल्प चुनने में मदद मिलेगी।

बच्चों को वित्तीय अनुशासन सिखाने के तरीके सिखाने के तय नियम नहीं हैं। हम सभी जो अच्छा हो सकता है वह करते हैं लेकिन अभिभावकों को यह पता होता है कि बच्चा उनके व्यवहार और गतिविधियों को देखकर सीखता है। इस जिम्मेदारी को हल्के में नहीं लिया जा सकता।

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