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Channel: Mutual Funds in Hindi - म्यूचुअल फंड्स निवेश, पर्सनल फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट के तरीके, Personal Finance News in Hindi | Navbharat Times
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म्यूचुअल फंड में SIP से भी शेयरों में निवेश रिस्क-फ्री नहीं

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नरेंद्र नाथन, नई दिल्ली
सेंसेक्स और निफ्टी जैसे प्रमुख संवेदी सूचकांक अपने सर्वकालिक सर्वोच्च स्तर के आसपास हैं। बावजूद इसके ज्यादातर म्यूचुअल फंड निवेशकों में उत्साह नहीं देखा जा रहा है। उन निवेशकों में निराशा का भाव कुछ ज्यादा ही है जिन्होंने इस विश्वास के साथ सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लांस (एसआईपी) के जरिए शेयरों में निवेश किए हैं कि एसआईपी से इक्विटी में निवेश पर कोई खतरा नहीं रहता है।

बैंकों के रिलेशनशिप मैनेजर करते हैं दुष्प्रचार
दरअसल, इसका काफी बढ़-चढ़कर दुष्प्रचार करने वाले बैंक रिलेशनशिप मैनेजर अब भी लोगों को एसआईपी के जरिए निवेश को राजी करने के लिए हर तरह की चालबाजियां कर रहे हैं। इस आर्टिकल के लेखक को हाल ही में एक बड़े विदेशी बैंक के रिलेशनशिप मैनेजर से कॉल आई जिन्होंने नया एसआईपी शुरू करने पर 700 रुपये का गिफ्ट वाउचर ऑफर किया।

रिस्क फ्री नहीं होता है SIP से इक्विटी इन्वेस्टमेंट
हां, यह सही है कि एसआईपी से मार्केट टाइमिंग से जुड़ा जोखिम घट जाता है। साथ ही, इससे निवेशकों को दाम घटने पर ज्यादा शेयर खरीदने का मौका मिल जाता है। लेकिन, यह भी सही है कि इससे शेयरों में निवेश रिस्क फ्री नहीं हो जाता। एटिका वेल्थ अडवाइजर्स के एमडी और सीईओ गजेंद्र कोठारी कहते हैं, 'बड़े शहरों में एसआईपी की समझ साल-दर-साल बढ़ रही है। हालांकि, छोटे शहरों के निवेशक अब भी एसआईपी को लेकर पर्याप्त समझ नहीं रखते और अब भी मानते हैं कि एसआईपी इक्विटी में निवेश को जोखिम मुक्त कर देगा।'

मई में SIP की रकम में गिरावट
कुछ निवेशकों ने तो शेयरों में निवेश करना ही यही सोचकर शुरू किया कि एसआईपी से उनका इक्विटी इन्वेस्टमेंट रिस्क फ्री हो जाएगा। ऐसे निवेशक अब अपने शेयरों के भाव गिरते देख हैरान हैं, खासकर वैसे लोग जिन्होंने 2-3 वर्ष की पर्याप्त अवधि तक एसआईपी किया था। झटके से सचेत निवेशकों ने एसआईपी से हाथ खींचना शुरू कर दिया है। इस वजह से अप्रैल के 8,238 करोड़ रुपये के एसआईपी इन्वेस्टमेंट के मुकाबले मई महीने में यह घटकर 8,138 करोड़ रुपये रह गया। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि एसआईपी इन्वेस्टमेंट में सालाना आधार पर गिरावट आई है और मई महीने में 12% के निम्नतम स्तर पर पहुंच गया है।

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इसलिए भी मायूस हैं निवेशक
निवेशकों की मायूसी का एक और बड़ा कारण है कि ज्यादातर नए एसआईपीज मिड और स्मॉल कैप स्कीम्स में किए गए थे और ज्यादातर स्कीम्स से रिटर्न में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। कोठारी ने कहा, 'कुछ वर्ष पहले हाई रिटर्न्स के कारण ज्यादा नए एसआईपीज ने मिड और स्मॉल कैप स्कीम्स में पैसे लगाने शुरू किए थे और तब से इनमें ज्यादातर को मामूली रिटर्न मिले। इस वजह से निवेशकों का मूड बिगड़ा हुआ है।' कुछ स्कीम्स तो तीन वर्ष के बाद भी घाटे में चले गए। (देखें चार्ट)

सबसे ज्यादा निराश करने वाले मिड और स्मॉल कैप फंड्स
पिछला प्रदर्शन के आधार पर मिड और स्मॉल कैप सेगमेंट में एसआईपी शुरू करना फायदेमेंद नहीं रहा।
नोट: 1,000 करोड़ रुपये से ऊपर के स्कीम्स का ही आकलन किया गया है। स्रोत: एसीई म्यूचुअल फंड। ETIG डेटाबेस से संग्रहित।

निवेशक खासकर इस बात से मायूस हैं कि उन्होंने नया एसआईपी शुरू कर शेयरों में निवेश की हिस्सेदारी बढ़ा दी थी क्योंकि मौजूदा एसआईपी से अच्छा रिटर्न मिला था। हालांकि, नया एसआईपी उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। मोबीक्विक में वेल्थ मैनेजमेंट के हेड कुणाल बजाज ने कहा, 'निवेशकों को मौजूदा एसआईपी पर झटका लगता है तो वे नया एसआईपी शुरू नहीं करते हैं। इसी से पता चलता है कि अभी एसआईपी से निवेश की रकम में वृद्धि क्यों नहीं हो रही है।'

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एसआईपी बंद नहीं करें
एसआईपी कलेक्शन अब भी बढ़ रहा है क्योंकि निवेशकों ने अपने एसआईपीज बंद नहीं किए हैं। हालांकि, इसकी गति थोड़ी धीमी है। अगर उनको लगातार घाटा होता रहा तो संभव है कि निवेशक अब एसआईपी में पैसे डालना बंद भी कर दें। हालांकि, एक्सपर्ट्स की राय है कि एसआईपी में निवेश करना बंद नहीं करना चाहिए। बजाज कहते हैं, 'गिरते बाजार में एसआईपी घटाने का विचार भी चढ़ते बाजार में एसआईपी की संख्या बढ़ाने जैसा ही बुरा है।' बीएसई मिडकैप और बीएसई स्मॉकैप इंडिसेज से तीन वर्ष का एसआईपी रिटर्न्स करीब-करीब शून्य है।

मीडियम टर्म रिटर्न्स में उथल-पुथल
चूंकि अतीत में प्रदर्शन सुधरा है, इसलिए एसआईपी करते रहें।

हालांकि, अतीत में लड़खड़ाने के बाद स्मॉल और मिड कैप शेयरों के प्रदर्शन में सुधार आया। इसलिए, लंबी अवधि के लिए एसआईपी शुरू करने वालों को रुकना नहीं चाहिए। कोठारी कहते हैं, 'कुछ निवेशक लंबी अवधि तक निवेश करने के विचार से एसआईपी शुरू करते हैं, लेकिन 2-3 वर्षों तक घाटा होते देख हाथ खींच लेते हैं। यह खराब रणनीति है। आपको एसआईपी का भरपूर लाभ उठाने के लिए गिरते बाजार में भी पैसे लगाते रहने चाहिए।'

हालांकि, निवेशकों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अगर आप एसआईपी से शेयरों में 10 साल तक भी निवेश करते रहते हैं तो भी लाभ की कोई गारंटी नहीं है। (चार्ट देखें)

अच्छे रिटर्न्स की कोई गारंटी नहीं
10 वर्ष के एसआईपी पर भी गिरावट का जोखिम बना रहा।

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