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5 साल में पलटी बाजी, टॉप 5 संस्थागत निवेशकों में सिर्फ एक विदेशी

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पवन बुरुगुला/प्रशांत महेश, मुंबई
देश के कुछ बड़े म्यूचुअल फंड भारत के बड़े संस्थागत निवेशक बन गए हैं। उन्होंने इस मामले में लंबे समय से चले आ रहे विदेशी फंडों के दबदबे को खत्म किया है। एलआईसी को छोड़कर भारतीय शेयर बाजार के टॉप 5 संस्थागत निवेशकों में से चार डोमेस्टिक ऐसेट मैनेजर हैं। पिछले चार साल से भारतीय निवेशक रियल एस्टेट और गोल्ड के बजाय शेयरों में निवेश बढ़ा रहे हैं। इस वजह से भारतीय म्यूचुअल फंड्स को दबदबा बाजार में बढ़ा है।

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5 साल पहले अलग था नजारा
पांच साल पहले नजारा बिल्कुल अलग था। 2015 में देश के पांच सबसे बड़े संस्थागत निवेशकों में दो विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (एफपीआई)- कैपिटल ग्रुप और सिंगापुर सरकार- शामिल थे। अब सिर्फ कैपिटल ग्रुप की इस लिस्ट में बचा हुआ है और वह चौथे नंबर पर है। उसके अलावा टॉप पांच संस्थागत निवेशकों में एसबीआई, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई प्रूडेंशल और रिलायंस निपॉन जैसे भारतीय म्यूचुअल फंड शामिल हैं। इसमें देश की सबसे बड़ी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी एलआईसी को शामिल नहीं किया गया है। एलआईसी भारतीय शेयर बाजार में सबसे बड़ी संस्थागत निवेशक है।

मिराए एसेट मैनेजमेंट के सीईओ स्वरूप मोहंती ने बताया, 'गोल्ड और रियल एस्टेट जैसे एसेट क्लास से रिटर्न कम होने के बाद पिछले पांच साल में फाइनैंशल सेविंग्स में भारतीय निवेशकों ने अधिक दिलच्सपी दिखाई है। इनमें से कई निवेशक म्यूचुअल फंड के रास्ते शेयर बाजार में पैसे लगा रहे हैं।'

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बदला नजारा
एसबीआई म्यूचुअल फंड की ऐसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) 2015 में 29,911 करोड़ रुपये थी। तब वह देश का चौथा सबसे बड़ा म्यूचुअल फंड था और उसका साइज देश के सबसे बड़े एफपीआई कैपिटल ग्रुप की तुलना में करीब आधा था। आज एसबीआई एमएफ भारत के सबसे बड़े संस्थागत निवेशकों में शामिल हो गया है। एंप्लॉयी प्रविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (ईपीएफओ) से उसे काफी पैसा मिल रहा है। एसबीआई एमएफ का एयूएम आज 1.4 लाख करोड़ रुपये है और उसका साइज कैपिटल ग्रुप से 50 पर्सेंट अधिक है। 2015 में एचडीएफसी एमएफ और कैपिटल ग्रुप का साइज करीब-करीब बराबर था, लेकिन अब एचडीएफसी एमएफ के पास कैपिटल ग्रुप से 30 पर्सेंट अधिक ऐसेट्स हैं।

विदेशी निवेशकों को मिली पटखनी
आदित्य बिड़ला एमएफ और सिंगापुर सरकार 2015 में करीब-करीब एक बराबर रकम मैनेज कर रहे थे। आज दोनों की ऐसेट्स अंडर मैनेजमेंट में 30 पर्सेंट का गैप है। इस दौरान बिड़ला एमएफ की ऐसेट्स में 156 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई, जबकि सिंगापुर सरकार की ऐसेट्स में 65 पर्सेंट का इजाफा हुआ है। एफपीआई की ऐसेट्स में पिछले चार साल में 50-60 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई है। टॉप म्यूचुअल फंड्स का कॉर्पस इस बीच दोगुना हो गया।

SIP की धूम
2015 के बाद शेयर बाजार में आई तेजी से भी विदेशी और भारतीय संस्थागत निवेशकों को फायदा हुआ है, लेकिन लोकल फंड्स के बढ़त बनाने की वजह यह है कि उन्हें निवेशकों से लगातार पैसे मिल रहे हैं। आज बड़ी संख्या में भारतीय निवेशक सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के रास्ते निवेश कर रहे हैं।

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