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Channel: Mutual Funds in Hindi - म्यूचुअल फंड्स निवेश, पर्सनल फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट के तरीके, Personal Finance News in Hindi | Navbharat Times
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4 इन्वेस्टमेंट, जिनके रिटर्न से बेखबर रहना अच्छा

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शिप्रा सिंह
सारे इन्वेस्टमेंट भविष्य के किसी गोल के लिए नहीं किए जाते। कुछ ऐसे भी निवेश होते हैं, जिनसे मिलने वाले रिटर्न की परवाह नहीं करनी चाहिए। हम आपको ऐसे ही चार निवेश विकल्पों के बारे में बताने जा रहे हैं।

इमर्जेंसी फंड
नौकरी जाने, मेडिकल इमर्जेंसी आने पर इस फंड का इस्तेमाल करना पड़ता है। इसलिए इमर्जेंसी फंड में पैसे की सुरक्षा सबसे अहम होती है। इस पर कितना रिटर्न मिल रहा है, इसकी परवाह नहीं करनी चाहिए। एयूएम वेल्थ मैनेजमेंट के सीईओ और चीफ फाइनैंशल प्लानर अमित सूरी ने बताया, 'इमर्जेंसी फंड से रिटर्न की ताक में जुटे तो वह इसकी सुरक्षा से समझौता होगा। मार्केट में उतार-चढ़ाव होता है। हो सकता है शॉर्ट टर्म में आपके फंड की वैल्यू में गिरावट आ जाए।' इमर्जेंसी फंड के लिए सेविंग अकाउंट या लिक्विड फंड बेहतर विकल्प है, क्योंकि उससे आप जरूरत पड़ने पर तुरंत पैसे निकाल सकते हैं। इनसे कम रिटर्न मिलता है, लेकिन यहां मकसद आपातकालीन परिस्थिति में तुरंत कैश हासिल करना है।

लाइफ इंश्योरेंस
टर्म प्लान में पॉलिसी होल्डर के दुनिया में नहीं रहने पर उसके परिवार को पहले से तय रकम का भुगतान किया जाता है। इंश्योरेंस पॉलिसी के मैच्योरिटी पीरियड के दौरान पॉलिसी होल्डर के जीवित रहने पर चुकाए गए प्रीमियम से एक भी रुपया वापस नहीं मिलता। इंश्योरेंस का यही मकसद भी है। कई बार लोग इंश्योरेंस प्रॉडक्ट से रिटर्न कमाने की ताक में रहते हैं तो इससे दोनों ही मकसद पूरे नहीं होते। एंडॉमेंट पॉलिसी ऐसी ही गलती है। इस पर आपको करीब 6 पर्सेंट का रिटर्न मिलता है, जो 20 साल की अवधि को देखते हुए बहुत कम है। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि आप इसमें छोटे से सम एश्योर्ड के लिए प्रीमियम के रूप में भारी रकम चुकाते हैं।

अगर एक 30 साल का व्यक्ति 20 लाख रुपये की एलआईसी की एंडॉमेंट पॉलिसी 25 साल के लिए लेता है तो उसे सालाना करीब 77,200 रुपये का प्रीमियम देना होगा। अगर आप कम प्रीमियम देना चाहते हैं तो आपको और छोटा इंश्योरेंस कवर प्लान लेना होगा। इंश्योरेंस को सिर्फ किसी की असमय मृत्यु के केस में परिवार को वित्तीय सुरक्षा देने के लिहाज से लिया जाना चाहिए।

गोल्ड जूलरी
गोल्ड खरीदने का सबसे पारंपरिक जरिया जूलरी है। गोल्ड बुरा इन्वेस्टमेंट नहीं है, लेकिन जूलरी खरीदना समझदारी नहीं है। पहली बात यह है कि गोल्ड जूलरी खरीदने पर आपको उसमें से 10-35% रकम को मेकिंग और वेस्टेज चार्जेज के रूप में निकालना होगा। दूसरा गोल्ड को बेचना कठिन होता है। ज्यादातर बड़े जूलरी गोल्ड के बदले कैश की जगह दूसरी जूलरी देते हैं। जिस जूलरी से आपने गोल्ड जूलरी को खरीदा है, हो सकता है कि वह आपको कैश में भुगतान कर दे। हालांकि, वह भी मेकिंग और वेस्टेज चार्जेज काटने के बाद बची रकम ही चुकाएगा। सूरी ने बताया, 'गोल्ड जूलरी को खरीदने और बेचने पर बायर नुकसान उठाता है।' हालांकि, बहुत से लोग जूलरी शादी-समारोहों में पहनने के मकसद से खरीदते हैं, न कि इनवेस्टमेंट के इरादे से। आप वित्तीय परेशानी के वक्त इसे जरूर बेच सकते हैं, लेकिन आप भविष्य में इसे वापस खरीदने का इरादा भी रखते हैं। जूलरी ऐसी संपत्ति है, जिससे प्रॉफिट नहीं होता। अगर आप इन्वेस्टमेंट के लिए गोल्ड में पैसे लगा रहे हैं तो ईटीएफ को चुनिए।

घर
जूलरी की तरह घर भी आपके कब्जे में रहता है, जिसका आप इस्तेमाल करते हैं। सिंघल ने कहा, 'आप किसी फाइनैंशल गोल की खातिर शायद ही अपना घर बेचेंगे। इसलिए यह ऐसेट है, न कि इन्वेस्टमेंट।' आप जिस घर में रहते हैं, उसे बेचने पर आपको दूसरा घर खरीदना होगा या किराये के घर में रहना होगा। इसलिए अगर आपके घर की वैल्यू घटती है, तो भी आपको परेशान नहीं होना चाहिए। हालांकि एक दूसरी प्रॉपर्टी आपके पर्सनल वेल्थ का हिस्सा हो सकती है और उसकी वैल्यू में उतार-चढ़ाव से आपकी नेट संपत्ति पर असर पड़ सकता है।

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