Quantcast
Channel: Mutual Funds in Hindi - म्यूचुअल फंड्स निवेश, पर्सनल फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट के तरीके, Personal Finance News in Hindi | Navbharat Times
Viewing all articles
Browse latest Browse all 1906

जानें, बच्चों के लिए कैसे बचाएं, कहां लगाएं पैसे

$
0
0

ऋजु मेहता, नई दिल्ली
बच्चों के भविष्य की चिंता किसे नहीं होती है? हर माता-पिता अपने बच्चों की शिक्षा और उनके विवाह आदि के लिए पर्याप्त धन की व्यवस्था को लेकर तरह-तरह की योजनाएं बनाते रहते हैं। इस दौरान कई पैरंट्स अज्ञानता एवं गलत सलाह के कारण गलत कदम उठा लेते हैं। HSBC वैल्यु ऑफ एजुकेशन सर्वे 2018 में करीब 61% पैरंट्स ने इस बात पर अफसोस जताया कि उन्होंने बच्चों के लिए और पहले से बचत शुरू नहीं की। वहीं, बिरला सन लाइफ इंश्योरेंस कंपनी प्रॉटेक्शन सर्वे 2017 में सामने आया कि 1,540 प्रतिभागियों में से करीब 35% की मूल चिंता बच्चों की शिक्षा का खर्च जुटाने की थी। ऐसे में सवाल उठता है कि इस चिंता को दूर करने के लिए क्या करें?

पहला कदम, अपने बच्चों से संबंधित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए पर्याप्त धन जुटाने की दिशा में पहला कदम लक्ष्यों का स्पष्ट रेखांकन करना है। किसी निश्चित मौके पर कितनी रकम की जरूरत होगी,यह लक्ष्य निर्धारित करते वक्त महंगाई के मुताबिक रुपये की कीमत का ध्यान जरूर रखें। उसके बाद देखें कि आपके पास बचत एवं निवेश के लिए कितना समय बचा है। अगर आपके पास लक्ष्य तक पहुंचने के लिए पर्याप्त समय है तो इक्विटी में निवेश करें, लेकिन समय कम बचा हो तो डेट में निवेश करना होगा।

दूसरा कदम, अब इक्विटी, डेट, रीयल एस्टेट, गोल्ड आदि में से किस मद में, कितनी रकम निवेश करनी है, इसका सटीक पोर्टफोलियो तैयार कर लें। उसके बाद पोर्टफोलियो के मुताबिक, उचित इंस्ट्रूमेंट्स का चुनाव करें। आप चाहें तो इक्विटी और डेट इंस्ट्रूमेंट्स को अलग-अलग करके निवेश करें या चाहें तो म्यूचुअल फंड्स में भी निवेश कर सकते हैं जिनमें आपके रिस्क प्रोफाइल के मुताबिक इक्विटि एवं डेट का सही संयोजन होता है।

एक बार आपने मूलभूत निवेश प्रक्रिया समझ ली तो बच्चों के लिए बचत एवं निवेश के सारे उलझन सुलझने लगेंगे। इसलिए, अगर आप भी बच्चों के लिए भविष्य में होने वाले खर्चों को लेकर चिंतित हैं तो नीचे के छह सवाल और उनके जवाब पढ़िए। आपको समझ में आ जाएगा कि किसी खास इंस्ट्रूमेंट्स को क्यों चुनना चाहिए और किसी अन्य को क्यों नहीं...

प्रश्न 1: बच्चों के भविष्य के खर्चों के लिहाज से किस म्यूचुअल फंड में निवेश करें?

उत्तर: ज्यादातर लोग निवेश शुरू कर तो देते हैं, लेकिन लंबे समय तक बरकरार नहीं रख पाते। पीकअल्फा इन्वेस्मेंट सर्विसेज की डायरेक्टर प्रिया सुंदर कहती हैं, 'निवेश को ऑटोमैटिक मोड पर डाल दें और इसके लिए म्यूचुअल फंड्स सर्वोत्तम साधन हैं।' वहां आपको अल्पकालिक, मध्यकालिक एवं दीर्घकालिक, तीनों तरह के फंड्स मिल जाते हैं, लेकिन आपको इसकी जानकारी रखनी होगी कि किस लक्ष्य के लिए कौन से फंड्स मुफीद हैं।

अर्थयंत्र के फाउंडर और सीईओ नितिन व्याकरणम कहते हैं, 'अवधि के लिहाज से इक्विटी एवं डेट मिश्रित पोर्टफोलियो बनाना बेहतर है। दीर्घवाधि लक्ष्यों (लॉन्ग टर्म गोल्स) के लिए इक्विटी फंड्स में पैसे डालना सही है जबकि अल्पावधि लक्ष्यों (शॉर्ट टर्म गोल्स) के लिए डेट में ज्यादा रकम डालने की जरूरत है।'

8 से 10 वर्ष के दीर्घकालिक लक्ष्यों के लिए इक्विटी फंड्स या डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड्स पर विचार किया जा सकता है। इनमें करीब 80 प्रतिशत रकम इक्विटी में डाली जाती है। ऐसा करना इसलिए समझदारी है क्योंकि ये फंड्स 12% का मोटा रिटर्न दे देंगे जिससे 10 वर्षों के बाद कुछ खास जोखिम भी नहीं रह जाता। 5nance के को-फाउंडर दिनेश रोहिरा ने कहा, 'आप लॉर्ज और मिड-कैप फंड्स का समन्वय कर सकते हैं क्योंकि दोनों ही अच्छा रिटर्न देते हैं।' इसमें इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट का फायदा भी मिल जाता है और इसमें तीन वर्षों का लॉक-इन पीरियड होता है।

कौन से लक्ष्य के लिए कौन सा म्यूचुअल फंड?

उत्तर: कौन सा फंड सर्वोत्तम होगा, यह मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि बच्चे को रकम की जरूरत कब पड़ेगी। इसके हिसाब से आप फैसला कर सकते हैं...

दीर्घावधि (8 वर्ष से ज्यादा) - इक्विटी या इक्विटी ऑरियेंटेड फंड, ELSS फंड
इक्विटी- 80-85%
डेट- 15-20%

मध्यावधि (5 से 7 वर्ष) - बैलेंस्ड या हाइब्रिड फंड
इक्विटी- 60-65%
डेट- 35-40%

अल्पावधि (2 से 3 वर्ष) - डेट फंड (लिक्विड/अल्ट्रा शॉर्ट ड्युरेशन), आर्बिट्रेज
इक्विटी- 25 से 30%
डेट- 70 से 75%

मध्यावधि लक्ष्यों (मिड टर्म गोल्स) के लिए बैलेंस्ड या हाइब्रिड फंड्स का चयन करें जो इक्विटी और डेट में अक्सर 60:40 के अनुपात में निवेश करते हैं। 2 से 3 साल की कम अवधि के लिए अल्पकालिक डेट फंड्स का चयन करें क्योंकि इसमें आपके पैसे सुरक्षित रहते हैं और बैंक अकाउंट से ज्यादा ब्याज देते हैं। आप आर्बिट्रेज फंड्स का रुख भी कर सकते हैं जिनका रिस्क प्रोफाइल डेट फंड्स से मिलता-जुलता है, लेकिन इस पर टैक्स इक्विटी फंड्स की तरह लगता है।

प्रश्न 2: रिटायरमेंट का पैसा लगाएं या एजुकेशन लोन ले लें?
उत्तर: HSBC के सर्वे में पता चला कि करीब 31% पैरंट्स ने बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए अल्पावधि ऋण लिया था जबकि 26% माता-पिता ने दोस्तों या परिवार से उधार लिया था। आम तौर पर माता-पिता बच्चे के जन्म के वक्त से ही निवेश करना शुरू नहीं करने की गलती करते हैं। रोहिरा कहते हैं, 'पैरंट्स की एक और गलती होती है कि वे निवेश करते भी हैं तो बहुत कम क्योंकि उनके दिमाग में महंगाई के मद्देनजर भविष्य में पैसे की कीमत की बात नहीं रहती है।'

ऐसे में जरूरत पड़ने पर बचत की रकम कम पड़ जाती है। तब रिटायरमेंट के पैसे खर्च करना ही विकल्प बच जाता है क्योंकि रिटायरमेंट के बाद कोई बैंक लोन नहीं देना चाहता। ऐसे में अच्छा उपाय यह है कि एजुकेशन लोन लिया जाए ताकि काम भी हो जाए और रिटायरमेंट के पैसे से दुनियादारी के खर्चे भी पूरे होते रहें। साथ ही, एजुकेशन लोन लेने पर बच्चे के दिमाग यह रहता है कि कर्ज मुझे ही चुकाना है, इसलिए वह बेहद अनुशासित हो जाते हैं। एक और फायदा यह है कि एजुकेशन लोन पर चुकाए गए ब्याज पर टैक्स बेनिफिट पाया जा सकता है। आइए जानते हैं एजुकेशन लोन के बारे में 5 बड़ी बातें...

1. पात्रता: 16 से 35 वर्ष के भारतीय को ही एजुकेशन लोन मिल सकता है।
2. ब्याज दर: बैंक अक्सर 1 वर्ष के MCLR से 1.3-3% तक ज्यादा ब्याज लेते हैं जो 8% से 15% सालाना तक होता है।
3. लोन चुकाने का नियम: RBI के नियम के मुताबिक कोर्स पूरा होने के 1 वर्ष बाद से एजुकेशन लोन का रीपेमेंट शुरू करना होगा।
4. गारेंटर/कोलेटरल: 4 लाख रुपये तक के लोन पर किसी कोलेटरल (जमीन, मकान आदि) या थर्ड पार्टी गारंटी (आपके लिए कोई गारंटर) की जरूरत नहीं पड़ती है। 4 से 7.5 लाख रुपये के लोन के लिए थर्ड पार्टी गारंटी देनी होती है। 7.5 लाख रुपये से ज्यादा लोन के लिए कोलेटरल की आवश्यकता होती है।
5. टैक्स छूट: लोन पर चुकाए जा रहे ब्याज की रकम पर सेक्शन 80E के तहत टैक्स छूट का दावा किया जा सकता है। लोन रीपमेंट शुरू होने से 8 साल तक या पूरा ब्याज चुका देने तक, इनमें जो पहले हो, उसी अवधि तक टैक्स छूट का फायदा लिया जा सकता है।

3. प्रश्न: अपने बच्चों के भविष्य के खर्च पूरा करने के लिए रियल एस्टेट में निवेश करना चाहिए?
उत्तर: सुंदर कहती हैं, 'बहुत से कराणों की वजह से रियल स्टेट में निवेश के ज्यादा फायदे नहीं हैं।' पिछले दशक में रिटर्न रेट कम रहा और आगे इसकी वृद्धि
कैसी होगी यह आप नहीं जानते हैं। इसके अलावा कई बार इसे समय पर बेचने में भी दिक्कत होती है। इतना ही नहीं, बिक्री के दौरान प्रॉपर्टी टैक्स, रखरखाव खर्च, हाई ट्रांजैक्शन खर्च या कैपिटल गेन्स के रूप में आपको खर्च करना पड़ता है। इस तर्क से सहमत व्याकरणम कहते हैं, 'रियल एस्टेट को जल्दी भंजाया नहीं जा सकता है। साथ ही तात्कालिक जरूरत को पूरा करने के लिए आप अपने फ्लैट या घर का एक रूम नहीं बेच सकते हैं।'

यह एक जुआ है और अनिश्चितता अधिक होती है, क्योंकि ग्रोथ डिमांड और सप्लाई पर निर्भर है। इसलिए, पैरंट्स के लिए रियल स्टेट में निवेश से बेहतर विकल्प बैलेंस्ड फंड है। किराये को जोड़ भी लें तो एक घर से अधिक वैल्यू बैलेंस्ड फंड की होगी।

4. प्रश्न: चाइल्ड यूलिप या एंडोमेंट प्लान
आदर्श रूप से ये दोनों आपके पोर्टफोलियो में ना हो, क्योंकि ये दोनों ही इंश्योरेंस प्लान्स हैं। व्याकरणम ने कहा, 'इंश्योरेंस प्लान और निवेश प्लान को मिक्स ना करें।' happynessfactory.in के फाउंडर अमर पंडित कहते हैं, 'वास्तव में एंडोनमेंट और मनी बैक पॉलिसीज में रिटर्न बेद कम 4-6 फीसदी होता है। इसलिए पैरेंट्स को बच्चों के लिए विशेष इंश्योरेंस प्रॉडक्ट और चाइल्ड प्लान आकर्षित नहीं होना चाहिए। कम रिटर्न के अलावा, ये बहुत महंगे और कम इंश्योरेंस कवर वाले होते हैं।' इसलिए इन रास्तों का परहेज करें।

म्यूचुअल फंड ना केवल अधिक रिटर्न देते हैं, बल्कि अधिक पारदर्शी होते हैं। एजुकेशन और इन्फ्लेशन की दर 10 फीसदी की रफ्तार से भी बढ़े तो इक्विटी
म्यूचुअल फंड में निवेश बेहतर है ताकि आपके बच्चे के सामने फंड की कमी ना हो।

यूलिप और एंडोमेंट प्लान
फीचर यूलिप एंडोमेंट प्लान
रिटर्न म्यूचुअल फंड की तुलना में अधिक रिटर्न 4-6 फीसदी रिटर्न
टैक्स बेनिफिट सेक्शन 80 सी के तहत 1.5 करोड़ तक छूट सेक्शन 80C बेनिफिट 1.5 लाख तक
तरलता 5 साल का लॉक इन पीरियड, 5 साल के बाद
पॉलिसी के बदले 8-9% पर लोन
निकासी 5 साल के बाद 20 फीसदी तक निकासी 2 साल तक प्रीमियम के बाद ही सरेंडर वैल्यू
इन्वेस्टमेंट स्विच फंड में स्विच कर सकते हैं निवेश अनुपात बदलने का विकल्प नहीं

5. प्रश्न: सुकन्या समृद्धि योजना, पीपीपी और एफडी में निवेश करें
उत्तर: सुकन्या समृद्धि योजना, पीपीएफ और फिक्स्ड डिपॉजिट डेट इंस्ट्रूमेंट हैं, जिन्हें रिस्क कम करने के लिए लेना चाहिए। ब्याज और मैच्यूरिटी आकर्षक दिखता है, लेकिन यह मुद्रास्फीति को नहीं हरा सकता है।

क्या आपको इनमें निवेश करना चाहिए?

इंस्ट्रूमेंट सुकन्या समृद्धि योजना
रिटर्न 8.5%
फायदा निवेश, ब्याज, मच्योरिटी टैक्स मुक्त, निश्चित रिटर्न, निवेश अनुशासन
खामी
  • 10 साल से छोटी अधिकतम 2 बेटी के नाम ही निवेश
  • 21 साल का लॉक इन पीरियड
  • बेटी के 18 साल होने पर कुल बचत का 50 फीसदी हिस्सा ही निकासी
  • बचत की ऊपरी सीमा 1.5 लाख रुपये

क्या निवेश करें? लॉन्ग टर्म गोल्स के लिए इसे पोर्टफोलियो में डेट कंपोनेंट के रूप में रखें
इंस्ट्रूमेंट एफडी
रिटर्न 7-8.5%
खूबी पूरे टर्म के लिए फिक्स रेट, निश्चित रिटर्न
खामी
  • ब्याज पर टैक्स लगता है
  • तरलता में कमी
निवेश करें? 2-3 साल के शॉर्ट टर्म गोल्स के लिए ही करें इस्तेमाल
इंस्ट्रमेंट पीपीएफ
रिटर्न 8%
खूबी
  • निवेश, ब्याज और मच्योरिटी पर टैक्स छूट
  • निश्चित रिटर्न और पूंजी की सुरक्षा
खामी
  • 15 साल का लॉक इन पीरियड
  • ब्याज दर निश्चित नहीं
  • बीच में पैसे निकालने की दिक्कत
क्या निवेश करें? लंबी अवधि के लक्ष्यों के लिए अच्छा विकल्प

एक और खामी यह है कि यदि कोई बच्ची के 9 साल के होने के बाद निवेश करता है तो उसे अधिक समय नहीं मिलेगा। बच्ची के 18 साल पूरे होने पर बचत का केवल 50 फीसदी हिस्सा ही निकाल सकते हैं।

6. प्रश्न: बच्चों की शादी के लिए सोने के गहने खरीद लें?

उत्तर: बच्चों की शादी के लिए सोने में निवेश कभी जरूरी माना जाता था, लेकिन फाइनैंशल अडवाइजर अब इसकी सलाह नहीं देते हैं। फिजिकल गोल्ड में निवेश की कई खामियां हैं। व्याकरणम कहते हैं, 'आप ना केवल मेकिंग चार्जेज में वैल्यू खोते हैं, बल्कि इसके साथ सुरक्षा का मसला भी है। बॉन्ड और ईटीएफ के मुकाबले रखरखाव खर्च भी ज्यादा है। शुद्धता सबसे बड़ी चिंता है। बेचने के दौरान यह भी हो सकता है कि आपको सही कीमत ना मिले।'

गोल्ड बॉन्ड है बेहतर

गोल्ड जूलरी
मेकिंग चार्जेज प्रति ग्राम सोने पर निश्चित दर या वजन %, + GST
टैक्स लाभ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स तीन साल के बाद
शुद्धता शुद्धता की कोई गारंटी नहीं
स्टोरेज जगह की आवश्यकता, लॉकर चार्ज
तरलता कभी भी बेच सकते हैं

सॉवरन गोल्ड बॉन्ड
मेकिंग चार्जेज
लागू नहीं
टैक्स लाभ
  • मच्योरिटी पर कैपिटल गेन्स टैक्स नहीं
  • 5 साल के बाद बेचने पर LTCG और इंडेक्सेशन बेनिफिट
शुद्धता कीमत सोने पर 0.999 शुद्धता के साथ
स्टोरेज डीमैट रूप में रखा जाता है
तरलता 8 साल के लिए लॉक, 5 साल के बाद सौदा कर सकते हैं

Unovest के फाउंडर विपिन खंडेलवाल इससे सहमत हैं। वह कहते हैं, 'यदि आप बच्चों को शादी पर गोल्ड जूलरी गिफ्ट करना चाहते हैं तो ठीक है, लेकिन निवेश के मकसद से यह सलाह नहीं दी जा सकती है। व्यावहारिक उद्देश्यों से सॉवरेन गोल्ड में निवेश अच्छा विकल्प है।' ऐसा इसलिए क्योंकि बॉन्ड्स को बेचते समय आपको मार्केट प्राइस के अतिरिक्त 2.5 फीसदी सालाना ब्याज भी मिलता है। आपको रखरखाव पर खर्च नहीं करना होता है और कैपिटल गेन्स टैक्स नहीं देना पड़ता।

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।


Viewing all articles
Browse latest Browse all 1906

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>