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Channel: Mutual Funds in Hindi - म्यूचुअल फंड्स निवेश, पर्सनल फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट के तरीके, Personal Finance News in Hindi | Navbharat Times
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जानिए, स्मॉल कैप फंड्स में कैसे निवेश करें

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संकेत धनोरकर, मुंबई
शेयर बाजार में स्मॉल और मिड कैप सेगमेंट पर इन दिनों मंदड़ियों की गिरफ्त काफी मजबूत है। निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स इस साल अब तक 27 पर्सेंट गिरा है। इससे पहले तीन-चार साल में इसमें लगातार तेजी बनी हुई थी। इस करेक्शन के बाद म्यूचुअल फंड हाउस फिर से इस सेगमेंट में नई स्कीम लॉन्च कर रहे हैं या पुराने फंड को सब्सक्रिप्शन के लिए खोल रहे हैं। क्या यह आम निवेशकों के लिए एक संकेत है? आइए जानते हैं।

आकर्षक हुआ वैल्यूएशन
इस सेगमेंट में हाल में दो नई स्कीम लॉन्च हुई हैं। इनवेस्को स्मॉल कैप का सब्सक्रिप्शन हाल में बंद हुआ है, जबकि टाटा स्मॉल कैप का न्यू फंड ऑफर 2 नवंबर तक खुला हुआ है। कई स्मॉल कैप फंड्स ने ऊंचे वैल्यूएशन और निवेश के मौके नहीं होने की वजह से और निवेश स्वीकार करने से मना कर दिया था। अब वे फिर से नया इन्वेस्टमेंट स्वीकार कर रहे हैं। डीएसपी ब्लैकरॉक स्मॉल कैप (पिछला नाम डीएसपी ब्लैकरॉक माइक्रो कैप), एलएंडटी इमर्जिंग बिजनेस और एसबीआई स्मॉल कैप इस लिस्ट में शामिल हैं।

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स्मॉल कैप में बढ़िया अवसर
फंड मैनेजरों का मानना है कि तेज गिरावट के बाद इस सेगमेंट में फिर से निवेश के आकर्षक मौके बने हैं। 1,000-8,000 करोड़ के मार्केट कैप वाली 500 कंपनियों में से 230 के शेयर प्राइस में इस साल 30 पर्सेंट से अधिक की गिरावट आई है। 60 शेयरों में तो 50 पर्सेंट से अधिक का करेक्शन हुआ है।
इनवेस्को म्यूचुअल फंड के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर (इक्विटीज) ताहेर बादशाह ने कहा, ‘निफ्टी की तुलना में साल भर पहले स्मॉल कैप इंडेक्स का वैल्यूएशन 70 पर्सेंट अधिक था, जो अब घटकर 15 पर्सेंट रह गया है। इस वैल्यूएशन पर स्मॉल कैप सेगमेंट से अच्छा पैसा बनाया जा सकता है।’ फंड्सइंडिया की म्यूचुअल फंड रिसर्च हेड विद्या बाला ने कहा, ‘करेक्शन इतना तेज हुआ है कि कई अच्छी स्मॉल कैप कंपनियां आकर्षक वैल्यूएशन पर आ गई हैं। फंड मैनेजरों के पास इस सेगमेंट में अब निवेश के काफी मौके बने हैं।’

निवेश का बढ़ा स्कोप
हाल में नियमों में जो बदलाव हुए हैं, उनसे भी म्यूचुअल फंड्स के लिए स्मॉल कैप सेगमेंट में निवेश करने का स्कोप बढ़ा है। पहले ये फंड्स 4,000-5,000 करोड़ के मार्केट कैप से कम या टॉप 400 के बाद के मार्केट कैप वाली कंपनियों में निवेश करते थे। नए रूल्स में उन्हें टॉप 250 स्टॉक्स के बाद की कंपनियों में निवेश करने की इजाजत दी गई है। इस रूल के मुताबिक, फंड का 65 पर्सेंट पोर्टफोलियो ऐसे स्टॉक्स में होना चाहिए। इससे उनके पास निवेश करने लायक स्टॉक्स की संख्या बढ़ी है। पहले जिन कंपनियों को मिडकैप माना जाता था, अब वे नए रूल की वजह से क्वॉलिटी स्मॉल कैप बन गई हैं।

यह भी पढ़ेंः क्या टैक्स फ्री है SIP? जानें- नियमों में हुए कौन से बदलाव

निवेशकों को क्या करना चाहिए?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि फंड्स के नया इनवेस्टमेंट लेने की वजह से इस सेगमेंट में पैसा नहीं लगाना चाहिए। यह बात सही है कि स्मॉल कैप सेगमेंट में वैल्यूएशन आकर्षक हो गया है, लेकिन निवेशकों को एसेट एलोकेशन को ध्यान में रखते हुए ही पैसा लगाना चाहिए। अगर पहले आपने इस सेगमेंट में कम निवेश किया है, तो अभी उसे बढ़ाया जा सकता है। यह भी याद रखें कि स्मॉल कैप सेगमेंट में काफी उतार-चढ़ाव होता है। जानकारों का कहना है कि इस सेगमेंट में सिर्फ एसआईपी के जरिये ही निवेश करना चाहिए। इससे आप लंबे समय में हेल्दी रिटर्न हासिल कर पाएंगे।

जारी रखें एसआईपी
जिन लोगों ने पिछले एक से डेढ़ साल में स्मॉल कैप फंड्स में एसआईपी शुरू किया है, वे अभी घाटे में होंगे। ऐसे लोगों को एसआईपी जारी रखना चाहिए। लॉन्ग टर्म में उन्हें मायूसी नहीं होगी। विद्या ने कहा, ‘जो लोग लॉन्ग टर्म के लिए वेल्थ क्रिएशन करना चाहते हैं, उन्हें सिर्फ मिडकैप फंड्स के भरोसे नहीं रहना चाहिए। स्मॉल कैप फंड्स से कहीं अधिक वेल्थ जेनरेट किया जा सकता है।’ हालांकि, निवेशकों को उन्हीं स्मॉल कैप फंड्स में पैसा लगाना चाहिए, जिनका लंबा ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। साथ ही, इनमें पोर्टफोलियो का 20 पर्सेंट से अधिक इनवेस्टमेंट नहीं करना चाहिए।

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