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लैप्स पॉलिसी 5 साल तक रिवाइव करने की मिलेगी इजाजत

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मुंबई
इंश्योरेंस प्रॉडक्ट्स खरीदने वालों के अच्छे दिन आने वाले हैं। इंडस्ट्री रेग्युलेटर (इंश्योरेंस रेग्युलेटरी ऐंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी IRDAI) ने पॉलिसी को रिवाइव कराने और मच्योरिटी से पहले पॉलिसी सरेंडर करते वक्त गारंटीड बेनिफिट्स बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। अभी पॉलिसी रिवाइवल के लिए दो साल का समय तय है, जिसे बढ़ाकर 5 साल करने का प्रस्ताव है। अभी तीन साल के बाद ही गारंटीड सरेंडर वैल्यू मिलती है, जिसे घटाकर दो साल किया जा सकता है।

मिनिमम डेथ बेनेफिट भी बढ़ाने का प्रस्ताव

IRDAI ने इस प्रस्ताव पर सभी पक्षों की राय मांगी है। उसने रेग्युलर प्रीमियम प्रॉडक्ट्स पर मिनिमम डेथ बेनेफिट को बढ़ाकर 7 गुना और सिंगल प्रीमियम प्रॉडक्ट्स पर सभी आयु वर्ग के लिए इसे 1.25 गुना करने का प्रस्ताव भी रखा है। अभी यह पॉलिसी होल्डर की उम्र के आधार पर पांच से 10 गुना तक है। रेग्युलेटर ने कहा है कि नॉन-लिंक्ड पॉलिसी के लिए दो साल के बाद गारंटीड सरेंडर वैल्यू मिलेगी। उसने नॉन-लिंक्ड प्रॉडक्ट्स के रिवाइवल पीरियड को भी अभी के दो साल से बढ़ाकर पांच साल करने की बात कही है।

'लैप्स पॉलिसी रिवाइवल में होगी वृद्धि'
इस बारे में एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस में एक्चुरियल ऐंड रिस्क मैनेजमेंट के प्रेजिडेंट संजीव पुजारी ने कहा, 'हर साल करीब 10 पर्सेंट लैप्स पॉलिसी को रिवाइव किया जाता है। रिवाइवल पीरियड को दो साल से बढ़ाकर पांच साल किए जाने पर इनकी संख्या बड़ सकती है।' वहीं, पेंशन प्रॉडक्ट्स को एनपीएस की बराबरी पर लाने के लिए रेग्युलेटर ने 60 पर्सेंट तक कम्युटेशन और लिंक्ड पेंशन प्रॉडक्ट्स से आंशिक निकासी का प्रस्ताव रखा है। उसने एन्युइटी प्रॉडक्ट्स को भी सभी इंश्योरेंस कंपनियों के लिए खोल दिया है। पहले पॉलिसी होल्डर्स को उसी से एन्युइटी खरीदनी पड़ती थी, जिससे उसने पेंशन प्रॉडक्ट खरीदा था।

'बीमाधारकों के हक में है प्रस्ताव'
इन बदलावों के बारे में इंडियाफर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ आर एम विशाखा ने बताया, 'ये बदलाव पॉलिसी होल्डर्स के हक में हैं। कस्टमर्स को अब पांच साल तक पॉलिसी रिवाइव करने की इजाजत होगी और वे एक्युमुलेशन फेज के बाद किसी भी इंश्योरेंस कंपनी से एन्युइटी खरीद पाएंगे।'

बीमा कंपनियों को प्रॉडक्ट्स डिजाइन करने की छूट?
रेग्युलेटर ने सेटलमेंट पीरियड के दौरान स्विचिंग की इजाजत देने का भी प्रस्ताव रखा है। इससे यूनिट लिंक्ड पॉलिसी (यूलिप) लेने वालों को मार्केट में उतार-चढ़ाव के दौरान अपना फंड मैनेज करने में सुविधा होगी। बीमा कंपनियों को इंडिविजुअल टर्म, ग्रुप टर्म और क्रेडिट एवं माइक्रो इंश्योरेंस प्रॉडक्ट्स डिजाइन करने की इजाजत दी जाएगी। उसने ग्राहकों की जरूरत को देखते हुए कई ग्रुप प्रॉडक्ट्स के प्रावाधन बदले हैं। इसके साथ लिंक्ड वेरिएबल इंश्योरेंस प्रॉडक्ट्स की कैटिगरी खत्म कर दी गई है और नॉन-लिंक्ड वेरिएबल इंश्योरेंस प्रॉडक्ट्स के प्रविजन आसान बनाए गए हैं।

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