नई दिल्ली
इस साल फरवरी से मार्च के बीच ठीक-ठाक गिरावट के बाद अब शेयर बाजार में रिकवरी हो रही है। हालांकि, मौजूदा लेवल से इसमें बहुत तेजी आने की उम्मीद नहीं है क्योंकि मैक्रो-इकनॉमिक इंडिकेटर्स कमजोरी का संकेत दे रहे हैं। इसके साथ जियोपॉलिटिकल रिस्क और आनेवाले वक्त में देश में होनेवाले चुनावों का भी इस पर असर पड़ सकता है। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच में इंडिया इक्विटीज के सेल्स हेड दीपक रामचंद्र ने सनम मीरचंदानी को दिए इंटरव्यू में ये बातें कहीं। पेश हैं इस इंटरव्यू के खास अंश...
1. भारतीय शेयर बाजार में हाल के हफ्तों में अच्छी रिकवरी हुई है। आपके हिसाब से आगे बाजार की चाल कैसी रहेगी?
इस साल मार्केट में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है। हमारा मानना है कि यहां से इसमें बहुत तेजी नहीं आएगी। भारत की मैक्रो-इकनॉमी कुछ कमजोर दिख रही है। हालांकि, इसकी वजहें ग्लोबल हैं। कच्चे तेल के दाम में तेजी के साथ दुनिया भर में ब्याज दरों में बढ़ोतरी हो रही है, जिसकी अगुवाई अमेरिका का फेडरल रिजर्व (भारत के आरबीआई जैसी संस्था) कर रहा है। जियोपॉलिटिक्स रिस्क भी दिख रहे हैं और प्रगतिशील देशों की करंसी में ट्रेड वॉर तेज होने की आशंका के चलते कमजोरी आ रही है।
भारत में मार्च क्वॉर्टर के बाद नोटबंदी के लो बेस इफेक्ट का फायदा खत्म हो जाएगा। इस साल भारतीय शेयर बाजार के वैल्यूएशन में कमी आई है, लेकिन यह अभी भी महंगा है। फाइनैंशल सेक्टर कई समस्याओं का सामना कर रहा है, जिसमें विदेशी निवेशकों की काफी दिलचस्पी रहती है। बैड लोन और कॉर्पोरेट गवर्नेंस को लेकर कई सवाल खड़े हुए हैं। इन सबका ग्लोबल इन्वेस्टर्स सेंटीमेंट पर बुरा असर पड़ा है।
2. इस साल जनवरी में बेंचमार्क इंडेक्स नए शिखर पर पहुंच गए थे। क्या हम उस लेवल तक फिर पहुंचेंगे?
बेंचमार्क इंडेक्स एक लेवल से ऊपर नहीं जाएंगे। एक ही अच्छी बात दिख रही है कि छोटे निवेशक अभी भी म्यूचुअल फंड के रास्ते बाजार में पैसा लगा रहे हैं। इससे मार्केट को लोअर लेवल पर सपोर्ट मिलेगा। हमें यह सवाल करना चाहिए कि क्या कंपनियों के फंडामेंटल में भी सुधार होगा? इसके कुछ पॉजिटिव सिग्नल दिख रहे हैं। मॉनसून इस साल सामान्य रह सकता है। कच्चे तेल के दाम में भी नरमी आ रही है। इन वजहों से मार्केट में कुछ रिकवरी हो सकती है, लेकिन पिछले दो साल जैसी रैली नहीं दिखने जा रही है। मार्केट ऐनालिस्टों की नजर आनेवाले विधानसभा चुनावों पर है और 2019 लोकसभा चुनाव से पहले निवेशक ‘वेट ऐंड वॉच’ मोड में हैं।
3. विदेशी निवेश कैसा रहेगा?
बेंचमार्क इंडेक्स में 16-17 के पी/ई पर ट्रेडिंग हो रही है। यह पहले के 18-18.5 के पी/ई से कम है लेकिन कंपनियों की अनुमानित प्रॉफिट ग्रोथ को देखते हुए बाजार अभी भी काफी महंगा है। इस महीने अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से पैसे निकाले हैं। वे इसे दूसरे इमर्जिंग मार्केट्स में लगा रहे हैं। इमर्जिंग मार्केट्स में अभी जो पैसा आ रहा है, उसका छोटा हिस्सा ही भारत के लिए ऐलकेट किया जा रहा है।
4. आप किन सेक्टर्स पर बुलिश हैं और किनसे बचने की सलाह देंगे?
बैड लोन की समस्या के बावजूद फाइनैंशल सर्विसेज सेक्टर में निवेश करके इंडिया की ग्रोथ स्टोरी का फायदा उठाया जा सकता है। आपको कुछ मजबूत बैंकिंग स्टॉक्स खरीदने चाहिए। हमें वैसी कंपनियां भी पसंद हैं, जिन्हें आमदनी का बड़ा हिस्सा रूरल मार्केट्स से मिलता है। आईटी सेक्टर में भी डिफेंसिव इन्वेस्टमेंट किया जा सकता है। आईटी कंपनियों की आमदनी में भी बढ़ोतरी के संकेत दिख रहे हैं। हमें वैसे स्टॉक्स भी पसंद हैं, जिनमें संगठित कंपनियों का बाजार बढ़ रहा है।
इस साल फरवरी से मार्च के बीच ठीक-ठाक गिरावट के बाद अब शेयर बाजार में रिकवरी हो रही है। हालांकि, मौजूदा लेवल से इसमें बहुत तेजी आने की उम्मीद नहीं है क्योंकि मैक्रो-इकनॉमिक इंडिकेटर्स कमजोरी का संकेत दे रहे हैं। इसके साथ जियोपॉलिटिकल रिस्क और आनेवाले वक्त में देश में होनेवाले चुनावों का भी इस पर असर पड़ सकता है। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच में इंडिया इक्विटीज के सेल्स हेड दीपक रामचंद्र ने सनम मीरचंदानी को दिए इंटरव्यू में ये बातें कहीं। पेश हैं इस इंटरव्यू के खास अंश...
1. भारतीय शेयर बाजार में हाल के हफ्तों में अच्छी रिकवरी हुई है। आपके हिसाब से आगे बाजार की चाल कैसी रहेगी?
इस साल मार्केट में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है। हमारा मानना है कि यहां से इसमें बहुत तेजी नहीं आएगी। भारत की मैक्रो-इकनॉमी कुछ कमजोर दिख रही है। हालांकि, इसकी वजहें ग्लोबल हैं। कच्चे तेल के दाम में तेजी के साथ दुनिया भर में ब्याज दरों में बढ़ोतरी हो रही है, जिसकी अगुवाई अमेरिका का फेडरल रिजर्व (भारत के आरबीआई जैसी संस्था) कर रहा है। जियोपॉलिटिक्स रिस्क भी दिख रहे हैं और प्रगतिशील देशों की करंसी में ट्रेड वॉर तेज होने की आशंका के चलते कमजोरी आ रही है।
भारत में मार्च क्वॉर्टर के बाद नोटबंदी के लो बेस इफेक्ट का फायदा खत्म हो जाएगा। इस साल भारतीय शेयर बाजार के वैल्यूएशन में कमी आई है, लेकिन यह अभी भी महंगा है। फाइनैंशल सेक्टर कई समस्याओं का सामना कर रहा है, जिसमें विदेशी निवेशकों की काफी दिलचस्पी रहती है। बैड लोन और कॉर्पोरेट गवर्नेंस को लेकर कई सवाल खड़े हुए हैं। इन सबका ग्लोबल इन्वेस्टर्स सेंटीमेंट पर बुरा असर पड़ा है।
2. इस साल जनवरी में बेंचमार्क इंडेक्स नए शिखर पर पहुंच गए थे। क्या हम उस लेवल तक फिर पहुंचेंगे?
बेंचमार्क इंडेक्स एक लेवल से ऊपर नहीं जाएंगे। एक ही अच्छी बात दिख रही है कि छोटे निवेशक अभी भी म्यूचुअल फंड के रास्ते बाजार में पैसा लगा रहे हैं। इससे मार्केट को लोअर लेवल पर सपोर्ट मिलेगा। हमें यह सवाल करना चाहिए कि क्या कंपनियों के फंडामेंटल में भी सुधार होगा? इसके कुछ पॉजिटिव सिग्नल दिख रहे हैं। मॉनसून इस साल सामान्य रह सकता है। कच्चे तेल के दाम में भी नरमी आ रही है। इन वजहों से मार्केट में कुछ रिकवरी हो सकती है, लेकिन पिछले दो साल जैसी रैली नहीं दिखने जा रही है। मार्केट ऐनालिस्टों की नजर आनेवाले विधानसभा चुनावों पर है और 2019 लोकसभा चुनाव से पहले निवेशक ‘वेट ऐंड वॉच’ मोड में हैं।
3. विदेशी निवेश कैसा रहेगा?
बेंचमार्क इंडेक्स में 16-17 के पी/ई पर ट्रेडिंग हो रही है। यह पहले के 18-18.5 के पी/ई से कम है लेकिन कंपनियों की अनुमानित प्रॉफिट ग्रोथ को देखते हुए बाजार अभी भी काफी महंगा है। इस महीने अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से पैसे निकाले हैं। वे इसे दूसरे इमर्जिंग मार्केट्स में लगा रहे हैं। इमर्जिंग मार्केट्स में अभी जो पैसा आ रहा है, उसका छोटा हिस्सा ही भारत के लिए ऐलकेट किया जा रहा है।
4. आप किन सेक्टर्स पर बुलिश हैं और किनसे बचने की सलाह देंगे?
बैड लोन की समस्या के बावजूद फाइनैंशल सर्विसेज सेक्टर में निवेश करके इंडिया की ग्रोथ स्टोरी का फायदा उठाया जा सकता है। आपको कुछ मजबूत बैंकिंग स्टॉक्स खरीदने चाहिए। हमें वैसी कंपनियां भी पसंद हैं, जिन्हें आमदनी का बड़ा हिस्सा रूरल मार्केट्स से मिलता है। आईटी सेक्टर में भी डिफेंसिव इन्वेस्टमेंट किया जा सकता है। आईटी कंपनियों की आमदनी में भी बढ़ोतरी के संकेत दिख रहे हैं। हमें वैसे स्टॉक्स भी पसंद हैं, जिनमें संगठित कंपनियों का बाजार बढ़ रहा है।
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