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'15% तक रिटर्न दे सकता है बढ़िया पोर्टफोलियो'

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नई दिल्ली
भारत की अर्थव्यवस्था नॉमिनल टर्म में 12-13 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रही है। अगर आप ऐसे सेक्टर में पैसा लगाते हैं, जिसकी ग्रोथ इससे तेज रहती है तो आपको फायदा हो सकता है। बैंकिंग ऐसा ही एक सेक्टर है। 12-13 पर्सेंट की नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ का मतलब यह है कि बैंकिंग सेक्टर के मुनाफे में 15-20 पर्सेंट की ग्रोथ होगी। भारत में एक अच्छे पोर्टफोलियो से डॉलर टर्म में सालाना 13-15 पर्सेंट का रिटर्न मिल सकता है।

भारत में मैक्रो-इकॉनमी और माइक्रो-इकॉनमी में द्वंद्व चल रहा है। अगर मैक्रो-इकॉनमी सिचुएशन और बिगड़ती है और माइक्रो में सुधार होता रहता है तो इससे शेयर बाजार के गिरने की आशंका बढ़ेगी। मॉर्गन स्टैनली इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट के मैनेजिंग डायरेक्टर स्वानंद केलकर ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि ऐसे मार्केट में निवेश करना मुश्किल होता है। निशांत वासुदेवन को दिए इंटरव्यू में केलकर ने कहा कि अगर मैक्रो इकॉनमी संभल जाती है और माइक्रो सिचुएशन में सुधार होता रहता है तो अगले साल-डेढ़ साल में शेयर बाजार का प्रदर्शन बढ़िया रह सकता है। पेश हैं इंटरव्यू के खास अंश:

क्या शेयर बाजार का सबसे बुरा दौर खत्म हो गया है?
2016 से 2018 की शुरुआत तक भारतीय शेयर बाजार ने उभरते बाजारों से काफी कम रिटर्न दिया था। हालांकि, 2016 तक इन मार्केट्स की तुलना में भारत का प्रदर्शन काफी बढ़िया था और उसने इनसे अच्छा-खासा ज्यादा रिटर्न जेनरेट किया था। अब स्थिति बदल रही है। मुझे लगता है कि आने वाले कुछ महीनों में भारतीय बाजार का आकर्षण बढ़ेगा। उभरते बाजारों की रैली को दो चीजों से सपॉर्ट मिल रहा है। इनमें से एक कमोडिटी है। इसके दाम और मांग में बढ़ोतरी से कमोडिटी एक्सपोर्ट करने वाले देशों को फायदा हो रहा है। दूसरी चीज टेक्नॉलजी है। अमेरिका और इमर्जिंग मार्केट्स में कुछ टेक्नॉलजी कंपनियों का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। अब लग रहा है कि भारतीय बाजार रिटर्न में इस गैप को कम करने की कोशिश करेगा।

निवेशकों को भारत से किस तरह के रिटर्न की उम्मीद करनी चाहिए?
2017 कमाल का वर्ष था। भारतीय बाजार ने पिछले साल डॉलर टर्म में 38 पर्सेंट रिटर्न दिया। इस साल वैसे रिटर्न की उम्मीद करना नादानी होगी। हम निवेशकों से लॉन्ग टर्म के लिए पैसा लगाने को कहते हैं। भारत की अर्थव्यवस्था नॉमिनल टर्म में 12-13 पर्सेंट की रफ्तार से बढ़ रही है। अगर आप ऐसे सेक्टर में पैसा लगाते हैं, जिसकी ग्रोथ इससे तेज रहती है तो आपको फायदा हो सकता है। बैंकिंग ऐसा ही एक सेक्टर है। 12-13 पर्सेंट की नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ का मतलब यह है कि बैंकिंग सेक्टर के मुनाफे में 15-20 पर्सेंट की ग्रोथ होगी। भारत में एक अच्छे पोर्टफोलियो से डॉलर टर्म में सालाना 13-15 पर्सेंट का रिटर्न मिल सकता है।

क्या आपने पोर्टफोलियो में इस लिहाज से कोई बदलाव किया है?

आप यहां प्राइवेट सेक्टर के बैंकों, एनबीएफसी, ऑटो और मीडिया सेक्टर में निवेश कर सकते हैं। इनमें कुछ अच्छे मौके हैं। इकॉनमी में इन्वेस्टमेंट भी बढ़ रहा है और कमर्शल वीइकल्स की मांग तेजी से बढ़ रही है।

आपके जैसे विदेशी फंड्स की भारतीय बाजार के बारे में अभी क्या राय है? पिछले साल के मुकाबले आपके लिए क्या बदला है?
पिछले साल जुलाई में हमने यह फैसला किया था कि भारत की मैक्रो-इकॉनमी में सुधार पीक लेवल पर पहुंच गया है। 2013 से 2017 के बीच चालू खाता घाटा, वित्तीय घाटा और महंगाई दर तीनों ही मामलों में स्थिति बेहतर हुई थी। अब यह स्थिति पलट रही है। हालांकि, इसे लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है क्योंकि हालात 2013 की तरह नहीं हुए हैं। हालांकि, इसकी दिशा बदल गई है। पिछले दो हफ्ते में ऐसी धारणा बनी है कि मैक्रो इकॉनमी की हालत उतनी भी खराब नहीं है। बॉन्ड यील्ड 7.80 पर्सेंट के साथ पीक पर पहुंच चुकी है। हम जीएसटी के मंथली डेटा पर नजर बनाए हुए हैं क्योंकि उससे फिस्कल डेफिसिट के बारे में अंदाजा लगाने में मदद मिलेगी।

दूसरे इमर्जिंग मार्केट्स के मुकाबले भारत की क्या स्थिति है?
विदेशी निवेशक भारत में बड़ा निवेश नहीं करना चाहते। उसकी वजह यह है कि मैक्रो इकनॉमिक सिचुएशन खराब हुई है। यह जरूरी नहीं है कि मैक्रो इकॉनमी में लगातार सुधार होता रहे, लेकिन इसका स्टेबल होना जरूरी है। जब तक मैक्रो या करंसी मामलों को लेकर बड़ा मसला खड़ा नहीं होता, तब तक भारतीय मार्केट से 13-15 पर्सेंट रिटर्न मिलने की संभावना बनी रहेगी।

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