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ऊंची डिविडेंड यील्ड के शेयर देंगे स्टेबल रिटर्न

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राहुल ओबरॉय, ईटीमार्केट्स.कॉम
पिछले कुछ समय से शेयर मार्केट में अस्थिरता है, लेकिन इसके बावजूद शेयर्स में इन्वेस्टमेंट से आप स्टेबल रिटर्न हासिल कर सकते हैं। अधिकतर ऐनालिस्टों का मानना है कि 2017 में बहुत अच्छा रिटर्न देने के बाद साल 2018 में रिटर्न के लिहाज से इन्वेस्टर्स को निराशा हाथ लग सकती है। इसके पीछे राजनीतिक घटनाएं, क्रूड ऑइल के दाम में तेजी और ग्लोबल ट्रेड वॉर मुख्य कारण हैं। 29 जनवरी से अभी तक इक्विटी बेंचमार्क सेंसेक्स लगभग 3,000 अंक गिर चुका है। कुछ विश्लेषक ग्राहकों को लार्ज कैप शेयरों में बने रहने की सलाह दे रहे हैं जबकि कुछ सुरक्षित माने जाने वाले शेयरों में शिफ्ट होने को कह रहे हैं।

हालांकि, मार्केट का लंबा अनुभव रखने वालों का कहना है कि अस्थिरता के दौर में भी इक्विटी इन्वेस्टर्स के लिए स्टेबल रिटर्न हासिल करने के विकल्प मौजूद हैं। इन्हीं में से एक डिविडेंड यील्ड स्टॉक्स का है। HDFC सिक्यॉरिटीज में कैपिटल मार्केट स्ट्रैटिजी के हेड वी के शर्मा का कहना है कि अगर मार्केट में अस्थिरता जारी रहती है तो निवेशक अच्छा रिटर्न हासिल करने के लिए हाई डिविडेंड यील्ड वाले शेयर्स में निवेश कर सकते हैं। उन्होंने बताया, 'यह आपको मार्केट में गिरावट जारी रहने की अवधि को लेकर पक्का अनुमान न हो तो अच्छी डिविडेंड यील्ड से स्टेबल इनकम मिल सकती है। इससे आपको इंडेक्स या शेयर के लेवल पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं होगी। जब आपको तय रिटर्न मिलता है तो आप शेयर को एक फिक्स्ड डिपॉजिट की तरह मानते हैं। इससे तनाव कम होता है।'

मार्केट में कुछ ऐसे शेयर्स हैं, जो हर साल अच्छा डिविडेंड देते रहे हैं। इंडियाबुल्स वेंचर्स, कोल इंडिया, हिंदुस्तान जिंक, इंडियाबुल्स हाउजिंग फाइनैंस और NMDC की डिविडेंड यील्ड पिछले पांच फाइनैंशल इयर में 6.50-17.97 पर्सेंट के बीच रही है। डिविडेंड पर शेयर (DPS) के लिहाज से कोल इंडिया ने फाइनैंशल इयर 2013-2017 के बीच प्रति वर्ष 22.20 रुपये प्रति शेयर का औसत लाभांश दिया है। फाइजर और इंडियाबुल्स हाउजिंग फाइनैंस ने समान अवधि में 88 रुपये और 29.40 रुपये प्रति शेयर प्रति वर्ष के एवरेज डिविडेंड से इन्वेस्टर्स को खुश किया है।

यह स्ट्रैटिजी कम जोखिम लेने वाले इन्वेस्टर्स के लिए अच्छी है। लेकिन इसके साथ कुछ सतर्कता बरतने की भी जरूरत है। एंजल ब्रोकिंग के फंड मैनेजरमयूरेश जोशी का कहना है, 'केवल डिविडेंड यील्ड रेकॉर्ड के आधार पर एक शेयर चुनने से पहले कंपनी की फाइनैंशल पोजिशन को देखना चाहिए। मजबूत बैलेंस शीट से यह सुनिश्चित हो सकता है कि कंपनी डिविडेंड का भुगतान करना जारी रखेगी।' शेयर्स से मिलने वाला सालाना 10 लाख रुपये तक का डिविडेंड इन्वेस्टर्स के लिए टैक्स-फ्री होता है। छोटे इन्वेस्टर्स को एक वर्ष में 10 लाख रुपये से अधिक का डिविडेंड मिलने की संभावना बहुत कम होती है।

अगर किसी इन्वेस्टर को 10 लाख रुपये से अधिक का डिविडेंड मिलता है तो उसकी डिविडेंड इनकम पर 10 पर्सेंट की दर से टैक्स लगेगा। यह 20-30 पर्सेंट के टैक्स ब्रैकिट में आने वाले लोगों के लिए काफी कम है। यह 15 पर्सेंट के शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स से भी कम है और 10 पर्सेंट के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स के बराबर है। उदाहरण के लिए, अगर आप डिविडेंड इनकम से 15 लाख रुपये कमाते हैं तो इसमें से पहले 10 लाख रुपये पर इनकम टैक्स से छूट मिलेगी और बाकी के 5 लाख रुपये पर 10 पर्सेंट की दर से 50,000 रुपये का टैक्स देना होगा। बीएसई 500 में हिंदुस्तान जिंक, SJVN, वेदांता, NLC इंडिया और कोल इंडिया फाइनैंशल इयर 2017 में डिविडेंड यील्ड के लिहाज से दिग्गज नाम थे।

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