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Channel: Mutual Funds in Hindi - म्यूचुअल फंड्स निवेश, पर्सनल फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट के तरीके, Personal Finance News in Hindi | Navbharat Times
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जटिल नहीं, सरल विचारों पर करें निवेश

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धीरेंद्र कुमार
पिछले लगभग दो दशक में टेक्नॉलजी कंपनियां दुनिया पर छा गईं और उन्होंने एक तरह से दूसरी इंडस्ट्री को निगलना शुरू कर दिया। हालांकि, दुनिया के दिग्गज निवेशकों ने उन्हें एकदम भाव नहीं दिया। वॉरेन बफेट और चार्ली मंगर ने कई वजहों से टेक्नॉलजी कंपनियों से दूरी बनाए रखी। उन्होंने ऐपल और आईबीएम में हाल में निवेश करना शुरू किया है क्योंकि ऐपल ने खुद को कन्ज्यूमर ड्यूरेबल कंपनी के रूप में ढाल लिया है जबकि आईबीएम सर्विसेज बिजनस में आ गई है। ऐसी क्या वजहें हैं, जिनके चलते दिग्गज निवेशकों से टेक्नॉलजी से दूरी बनाए रखी थी? सबसे बड़ी बात यह है कि हम उनसे क्या सीख सकते हैं?

बरसों पहले बफेट और मंगर कहा करते थे कि वह उन कंपनियों के शेयरों में निवेश नहीं करते, जिनका बिजनस उन्हें समझ में नहीं आता। निवेश के प्रति अपनी इसी सोच के चलते ये दोनों कई शानदार मौकों से हाथ धो बैठे होंगे। उनके पास निवेश के लिए हमेशा अरबों डॉलर का सरप्लस रहता है, लेकिन उन्होंने गूगल और ऐमजॉन जैसी कंपनियों से एक दमड़ी भी नहीं लगाई जबकि इनसे दूसरे निवेशकों को 20 गुना तक रिटर्न मिला है।

इसके बावजूद दोनों को ऐसे मौके गंवाने का दुख नहीं है क्योंकि अब भी उनकी गिनती दुनिया के सबसे कामयाब निवेशकों में होती है। वे इसलिए कामयाब हुए क्योंकि उन्होंने उन कारोबार में पैसा लगाया, जिन्हें वे समझते थे। अभी तो कोई भी कह सकता है कि वह ऐमजॉन और गूगल में निवेश करने का मौका चूक गए। हालांकि, साल 2000 में बुलबुला फूटने पर इस सेक्टर की कई कंपनियों का नामोनिशान भी मिट गया था। ऐमजॉन और गूगल के बिजनस के बारे में उन्हें पता नहीं था, अगर वे उनमें निवेश भी करते तो हो सकता है कि नाकाम रहते।

मीडिया इंडस्ट्री के बेताज बादशाह रूपर्ट मर्डोक ने 58 करोड़ डॉलर में मायस्पेस को खरीदा था, लेकिन चार साल बाद उन्हें 3.5 करोड़ डॉलर में बेचकर उससे निकलना पड़ा। इस 94% लॉस से बचने के लिए मर्डोक को बस बफेट और मंगर की बातों पर गौर करना चाहिए था और उस कारोबार में पैसा नहीं लगाना चाहिए था जो उनकी समझ से बाहर था। हमें भी बिलकुल वैसा ही करना चाहिए।

हम जो भी प्रॉडक्ट या सर्विस लेते हैं, उनके फीचर, उनको लेकर लंबी-चौड़ी बातें और उनकी जटिलता बहुत लुभाती हैं। तकनीक की मॉडर्न दुनिया ने हमारे दिमाग को इस तरह कस दिया है कि इस दुनिया के नए अजूबे ज्यादातर लोगों की समझ से बाहर होते हैं और ऐसी चीजें अच्छी मानी जाती हैं। बदकिस्मती से पर्सनल फाइनैंस में यह सोच नुकसानदेह साबित होती है। पर्सनल फाइनैंस प्रॉडक्ट में सहज और सरल चीजें अच्छी ही नहीं, एकदम जरूरी भी होती हैं। इसकी वजह एकदम साफ है। अगर निवेशक किसी वित्तीय उत्पाद या सेवा को पूरी तरह नहीं समझ पाता है तो वह नही बता पाएगा कि यह उसके लिए उपयोगी है या नहीं, चाहे उसके बारे में विक्रेता जो भी दावे करे।

लेकिन यह कैसे पता चलेगा कि आप किसी चीज को पूरी तरह समझते हैं? सबसे आसान तरीका यह है कि उसे सहज और सरल रखा जाए। बदकिस्मती से हमें जो बताया जाता है वह उलटा ही होता है। बाजार में उपलब्ध सेविंग्स और इन्वेस्टमेंट प्रॉडक्ट्स को देखने से समझ में आता है हमें अपने बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने और चीजों को आसान बनाए रखने की जरूरत है। मौजूदा मार्केटिंग स्ट्रैटिजी में बायर को यह बताया जाता है कि पोर्टफोलियो में इन्वेस्टमेंट की जितनी वरायटी होगी, वह उतना बेहतर होगा।
(लेखक वैल्यू रिसर्च के सीईओ हैं)

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