धीरेंद्र कुमार
अगर आपने 15 साल पहले मध्यम दर्जे के किसी इक्विटी फंड में 10,000 रुपये का मंथली निवेश शुरू किया होता तो आज आपके पास 57 लाख रुपये होते। जिन लोगों को फिक्स्ड डिपॉजिट और पीपीएफ के कम रिटर्न की आदत पड़ी है, उन्हें यह बात चौंकाने वाली लग सकती है, लेकिन इक्विटी फंड्स में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के स्टैंडर्ड के लिहाज से यह बहुत अच्छा रिटर्न नहीं है। अगर आपने इतना पैसा टॉप क्लास इक्विटी फंड में लगाया होता तो आपके पास 65-70 लाख रुपये होते। मैंने इस कैलकुलेशन के लिए औसत दर्जे के फंड का जिक्र इसलिए किया है क्योंकि मैं यहां एक अलग बात आपके सामने रखना चाहता हूं।
आज लॉन्ग टर्म एसआईपी करनेवाले लोगों की संख्या अच्छी-खासी हो गई है। 15 साल का एसआईपी अभी कॉमन नहीं है, लेकिन कुछ साल में इतनी लंबी अवधि का निवेश करनेवालों की संख्या काफी ज्यादा होगी। उसकी वजह यह है कि एसआईपी कल्चर को बढ़ावा ही सात-आठ साल पहले मिलना शुरू हुआ था। एसआईपी में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ना अच्छी बात है, लेकिन मुझे लगता है कि लोग इसके जरिए बहुत कम पैसा म्यूचुअल फंड में लगा रहे हैं।
पिछले हफ्ते मेरी मुलाकात एक ऐसे शख्स से हुई, जिनकी मंथली इनकम लाख रुपए से अधिक है। हालांकि, वह एक इक्विटी फंड में एसआईपी रूट से सिर्फ 3,000 रुपये लगा रहे हैं। ऐसी गलती करने वाले वह अकेले शख्स नहीं हैं। लंबी अवधि के एसआईपी में कई लोग इतना कम पैसा लगा रहे हैं कि उससे उनकी वित्तीय सेहत पर बहुत फर्क नहीं पड़ेगा। अगर आप इक्विटी फंड में कुल इनकम का 3 पर्सेंट ही लगा रहे हैं तो यह आपके लिए मनोरंजन से अधिक कुछ नहीं है।
कुछ दिनों पहले एक दंपती मेरे पास आए, जो पहले मेरे पड़ोस में रहते थे। दंपती ने पिछले कई साल में ठीक-ठाक पैसा बचाया है, लेकिन उसमें से अधिकतर एफडी में है। मेरी सलाह पर उन्होंने 15 साल पहले एक अच्छे बैलेंस्ड फंड में एसआईपी के जरिए निवेश शुरू किया था। उन्होंने इसकी शुरुआत 2,500 रुपये से की थी। उन्होंने इस रकम में कुछ बार में मामूली बढ़ोतरी की। अब वे रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी के लिए तैयार हो रहे हैं। बैलेंस्ड फंड में लगाई गई रकम आज 12 लाख रुपये है। हर महीने मामूली रकम के निवेश से इतना पैसा जमा होने से वे हैरान हैं। अब अगर आप रिटायरमेंट के बाद की उनकी लंबी जिंदगी के बारे में सोचें तो 12 लाख रुपये से बहुत फर्क नहीं पड़ेगा। बैलेंस्ड फंड से उन्हें तगड़ा रिटर्न मिला है, लेकिन मामूली निवेश की वजह से इसका उनकी वित्तीय सेहत पर बहुत असर नहीं पड़ा।
मान लेते हैं कि एक शख्स ने 2004 में 10,000 रुपये के एसआईपी से शुरुआत की थी और वह इतना ही पैसा आज भी लगा रहे हैं। 2004 में 10,000 रुपये उनकी इनकम का 20 पर्सेंट था, जबकि आज यह 7 पर्सेंट है। अब पहले उदाहरण को याद करिए, जिसमें 10,000 रुपये का मंथली निवेश 15 साल में 57 लाख रुपये हो गया। अगर निवेश की रकम में सालाना 5 पर्सेंट की बढ़ोतरी की गई होती तो रकम आज 71 लाख रुपये होती। ज्यादातर लोग सैलरी या आमदनी में बढ़ोतरी के साथ एसआईपी की रकम में बढ़ोतरी नहीं करते। मेरा कहने का मतलब यह है कि फाइनेंशियल गोल हासिल करने के लिए ऊंचा रिटर्न ही मायने नहीं रखता, आपको अधिक पैसा भी लगाना होता है।
(लेखक वैल्यू रिसर्च के सीईओ हैं)
अगर आपने 15 साल पहले मध्यम दर्जे के किसी इक्विटी फंड में 10,000 रुपये का मंथली निवेश शुरू किया होता तो आज आपके पास 57 लाख रुपये होते। जिन लोगों को फिक्स्ड डिपॉजिट और पीपीएफ के कम रिटर्न की आदत पड़ी है, उन्हें यह बात चौंकाने वाली लग सकती है, लेकिन इक्विटी फंड्स में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के स्टैंडर्ड के लिहाज से यह बहुत अच्छा रिटर्न नहीं है। अगर आपने इतना पैसा टॉप क्लास इक्विटी फंड में लगाया होता तो आपके पास 65-70 लाख रुपये होते। मैंने इस कैलकुलेशन के लिए औसत दर्जे के फंड का जिक्र इसलिए किया है क्योंकि मैं यहां एक अलग बात आपके सामने रखना चाहता हूं।
आज लॉन्ग टर्म एसआईपी करनेवाले लोगों की संख्या अच्छी-खासी हो गई है। 15 साल का एसआईपी अभी कॉमन नहीं है, लेकिन कुछ साल में इतनी लंबी अवधि का निवेश करनेवालों की संख्या काफी ज्यादा होगी। उसकी वजह यह है कि एसआईपी कल्चर को बढ़ावा ही सात-आठ साल पहले मिलना शुरू हुआ था। एसआईपी में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ना अच्छी बात है, लेकिन मुझे लगता है कि लोग इसके जरिए बहुत कम पैसा म्यूचुअल फंड में लगा रहे हैं।
पिछले हफ्ते मेरी मुलाकात एक ऐसे शख्स से हुई, जिनकी मंथली इनकम लाख रुपए से अधिक है। हालांकि, वह एक इक्विटी फंड में एसआईपी रूट से सिर्फ 3,000 रुपये लगा रहे हैं। ऐसी गलती करने वाले वह अकेले शख्स नहीं हैं। लंबी अवधि के एसआईपी में कई लोग इतना कम पैसा लगा रहे हैं कि उससे उनकी वित्तीय सेहत पर बहुत फर्क नहीं पड़ेगा। अगर आप इक्विटी फंड में कुल इनकम का 3 पर्सेंट ही लगा रहे हैं तो यह आपके लिए मनोरंजन से अधिक कुछ नहीं है।
कुछ दिनों पहले एक दंपती मेरे पास आए, जो पहले मेरे पड़ोस में रहते थे। दंपती ने पिछले कई साल में ठीक-ठाक पैसा बचाया है, लेकिन उसमें से अधिकतर एफडी में है। मेरी सलाह पर उन्होंने 15 साल पहले एक अच्छे बैलेंस्ड फंड में एसआईपी के जरिए निवेश शुरू किया था। उन्होंने इसकी शुरुआत 2,500 रुपये से की थी। उन्होंने इस रकम में कुछ बार में मामूली बढ़ोतरी की। अब वे रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी के लिए तैयार हो रहे हैं। बैलेंस्ड फंड में लगाई गई रकम आज 12 लाख रुपये है। हर महीने मामूली रकम के निवेश से इतना पैसा जमा होने से वे हैरान हैं। अब अगर आप रिटायरमेंट के बाद की उनकी लंबी जिंदगी के बारे में सोचें तो 12 लाख रुपये से बहुत फर्क नहीं पड़ेगा। बैलेंस्ड फंड से उन्हें तगड़ा रिटर्न मिला है, लेकिन मामूली निवेश की वजह से इसका उनकी वित्तीय सेहत पर बहुत असर नहीं पड़ा।
मान लेते हैं कि एक शख्स ने 2004 में 10,000 रुपये के एसआईपी से शुरुआत की थी और वह इतना ही पैसा आज भी लगा रहे हैं। 2004 में 10,000 रुपये उनकी इनकम का 20 पर्सेंट था, जबकि आज यह 7 पर्सेंट है। अब पहले उदाहरण को याद करिए, जिसमें 10,000 रुपये का मंथली निवेश 15 साल में 57 लाख रुपये हो गया। अगर निवेश की रकम में सालाना 5 पर्सेंट की बढ़ोतरी की गई होती तो रकम आज 71 लाख रुपये होती। ज्यादातर लोग सैलरी या आमदनी में बढ़ोतरी के साथ एसआईपी की रकम में बढ़ोतरी नहीं करते। मेरा कहने का मतलब यह है कि फाइनेंशियल गोल हासिल करने के लिए ऊंचा रिटर्न ही मायने नहीं रखता, आपको अधिक पैसा भी लगाना होता है।
(लेखक वैल्यू रिसर्च के सीईओ हैं)
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