नई दिल्ली
अगर आप सब कुछ पर कंट्रोल रखना चाहते हैं और आप अपनी गलती तुरंत नहीं मानते तो आपको इक्विटी इन्वेस्टमेंट से दूर रहना चाहिए। ऐसा क्यों? उमा शशिकांत कहती हैं कि
बाजार में गहमागहमी बढ़ती है तब निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ती है। अब निफ्टी 10,000 की तरफ बढ़ रहा है। ऐसे में कुछ को दो-एक मल्टीबैगर पाकर फटाफट करोड़पति बनने के सपने आने लगेंगे। मैं हमेशा से यही कहती रही हूं कि शेयरों निवेश करना कोई हंसी-ठठा नहीं। यह काम तभी करें, जब आप हमेशा डटे और कुछ सीखने को तैयार रहते हों।
कामयाब निवेशक बनने का नुस्खा क्या है?
शेयर में निवेश करना बिजनस में पैसा लगाने जैसा है। कारोबार कैसे चलता है, क्या चुनौतियां आती हैं, यह सब जानने में दिलचस्पी होनी चाहिए। कामयाब इक्विटी इन्वेस्टर्स वो होते हैं, जो अपना बिजनस करते हैं और उसको कामयाब बनाने में जिंदगी झोंक देते हैं। उनके बिजनस की वैल्यू उन शेयरों में दिखती है जो वे प्रमोटर, मैनेजर और शेयरहोल्डर इक्विटी के तौर पर रखते हैं। आम निवेशकों, जिसका कंपनी के कामकाज, कारोबारी फैसलों पर कोई कंट्रोल नहीं होता, उन्हें ऐसी कामयाबी पाने के लिए यह जानना होगा कि वो क्या चीजें हैं जिनसे बिजनस कामयाब होता है। यह सब लॉन्ग टर्म गेम है।
दूसरा, आपको फाइनैंशल ऐनालिसिस करना आना चाहिए। बिजनस को आंकड़ों से समझना आना चाहिए। कंपनी कैसे प्रॉफिट कमाती है इसका पता होना चाहिए। निवेश करने से पहले जानना चाहिए कि आप किन आंकड़ों और तथ्यों के आधार पर शेयर में पैसा लगा रहे हैं।
तीसरा, शॉर्टलिस्ट में शामिल शेयरों को लेकर अपनी निवेश रणनीति को अंजाम देने का हौसला और धैर्य होना चाहिए। मान लिया कि आप अपनी रणनीति के तहत ऐसी कंपनियों पर फोकस कर रहे हैं जो लगातार ग्रोथ कर रही है (आंकड़ा), कारोबार में लगाई पूंजी पर ज्यादा रिटर्न (आंकड़ा) मिल रहा है और मैनेजमेंट का फोकस बिना कर्ज या लागत बढ़ाए ग्रोथ (आंकड़ा) हासिल करने पर है। ऐसे सैकड़ों शेयर होंगे जो आपकी इस निवेश रणनीति पर खरा उतरते हैं। आपको लगातार छंटनी करनी होगी। इससे आपकी निवेश रणनीति में मजबूती बढ़ती जाएगी।
चौथा, आपमें उन शेयरों पर जोखिम लेने की क्षमता होनी चाहिए, जो आपकी निवेश रणनीति की मुश्किल शर्तें पूरी करती हों। मीडिया की सुर्खियों में रहने वाले शेयरों, दोस्तों-रिश्तेदारों के सुझाव या किसी से बातचीत और टीवी अखबार की लिस्ट पर बनाई राय पर शेयर खरीदने का कोई मतलब नहीं बनता। अगर आपको पता नहीं होगा कि आप कोई चीज क्यों ले रहे हैं, उसको लेकर कोई प्रतिबद्धता नहीं होगी तो आप रिस्क नहीं लेंगे। ऐसे में लिस्ट बड़ी होगी। इसमें दिक्कत ये है कि अगर इनमें से कोई जबरदस्त रिटर्न देता है, रिटर्न इतना नहीं होगा कि उससे आपके मूल निवेश पर कोई खास फर्क पड़ेगा। आपका मकसद इंडेक्स से ज्यादा रिटर्न लेना है तो फिर पोर्टफोलियो में इंडेक्स जितने शेयर क्यों रखें?
पांचवां, आपको निवेश और उसके प्रदर्शन पर नजर रखने में अनुशासन बरतना होगा। बिजनस और डेटा की समझ और ठोस निवेश रणनीति नहीं होने पर आप तय नहीं कर पाएंगे परफॉर्मेंस के हिसाब से किसी शेयर में बने रहें या निकल जाएं। लेकिन बिजनस ग्रोथ का पक्का अनुमान निवेश जगत के सूरमां भी नहीं दे सकते।
छठा, आपको ऐसा स्टूडेंट बनना होगा जो गलती मानने को हमेशा तैयार रहता है। अगर आपका स्वभाव ऐसा है कि सबकुछ कंट्रोल में रखना चाहते और सब कुछ प्लान से चाहते हैं तो इक्विटी इन्वेस्टमेंट आपके लिए नहीं है। गलती समझ में आने पर सक्रियता दिखाते हुए उसमें सुधार लाने को तैयार रहना चाहिए। शेयर में कितनी तेजी आ सकती है, इसका सही अंदाजा मुश्किल है। हर कामयाब इक्विटी निवेशक की एक कहानी होगी जिसमें वह किसी-न-किसी कंपनी की अप्रत्याशित प्रगति से अभिभूत होगा। गलती होने पर आपको घाटा कम-से-कम रखना भी आना चाहिए।
सातवां, एक निवेशक में किसान और माली जैसा धैर्य होना चाहिए। इस पर कबीर का एक दोहा भी है। 'धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय, माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय।' आपमें उस बिजनस को फलता फूलता देखने का धीरज होना चाहिए, जिसमें आपने शेयर के जरिए हिस्सेदारी ली है। आपको पता होना चाहिए कि मैनेजमेंट कंपनी को किन चुनौतियों की मझधार से कैसे निकाल रहा है।
अगर आप सब कुछ पर कंट्रोल रखना चाहते हैं और आप अपनी गलती तुरंत नहीं मानते तो आपको इक्विटी इन्वेस्टमेंट से दूर रहना चाहिए। ऐसा क्यों? उमा शशिकांत कहती हैं कि
बाजार में गहमागहमी बढ़ती है तब निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ती है। अब निफ्टी 10,000 की तरफ बढ़ रहा है। ऐसे में कुछ को दो-एक मल्टीबैगर पाकर फटाफट करोड़पति बनने के सपने आने लगेंगे। मैं हमेशा से यही कहती रही हूं कि शेयरों निवेश करना कोई हंसी-ठठा नहीं। यह काम तभी करें, जब आप हमेशा डटे और कुछ सीखने को तैयार रहते हों।
कामयाब निवेशक बनने का नुस्खा क्या है?
शेयर में निवेश करना बिजनस में पैसा लगाने जैसा है। कारोबार कैसे चलता है, क्या चुनौतियां आती हैं, यह सब जानने में दिलचस्पी होनी चाहिए। कामयाब इक्विटी इन्वेस्टर्स वो होते हैं, जो अपना बिजनस करते हैं और उसको कामयाब बनाने में जिंदगी झोंक देते हैं। उनके बिजनस की वैल्यू उन शेयरों में दिखती है जो वे प्रमोटर, मैनेजर और शेयरहोल्डर इक्विटी के तौर पर रखते हैं। आम निवेशकों, जिसका कंपनी के कामकाज, कारोबारी फैसलों पर कोई कंट्रोल नहीं होता, उन्हें ऐसी कामयाबी पाने के लिए यह जानना होगा कि वो क्या चीजें हैं जिनसे बिजनस कामयाब होता है। यह सब लॉन्ग टर्म गेम है।
दूसरा, आपको फाइनैंशल ऐनालिसिस करना आना चाहिए। बिजनस को आंकड़ों से समझना आना चाहिए। कंपनी कैसे प्रॉफिट कमाती है इसका पता होना चाहिए। निवेश करने से पहले जानना चाहिए कि आप किन आंकड़ों और तथ्यों के आधार पर शेयर में पैसा लगा रहे हैं।
तीसरा, शॉर्टलिस्ट में शामिल शेयरों को लेकर अपनी निवेश रणनीति को अंजाम देने का हौसला और धैर्य होना चाहिए। मान लिया कि आप अपनी रणनीति के तहत ऐसी कंपनियों पर फोकस कर रहे हैं जो लगातार ग्रोथ कर रही है (आंकड़ा), कारोबार में लगाई पूंजी पर ज्यादा रिटर्न (आंकड़ा) मिल रहा है और मैनेजमेंट का फोकस बिना कर्ज या लागत बढ़ाए ग्रोथ (आंकड़ा) हासिल करने पर है। ऐसे सैकड़ों शेयर होंगे जो आपकी इस निवेश रणनीति पर खरा उतरते हैं। आपको लगातार छंटनी करनी होगी। इससे आपकी निवेश रणनीति में मजबूती बढ़ती जाएगी।
चौथा, आपमें उन शेयरों पर जोखिम लेने की क्षमता होनी चाहिए, जो आपकी निवेश रणनीति की मुश्किल शर्तें पूरी करती हों। मीडिया की सुर्खियों में रहने वाले शेयरों, दोस्तों-रिश्तेदारों के सुझाव या किसी से बातचीत और टीवी अखबार की लिस्ट पर बनाई राय पर शेयर खरीदने का कोई मतलब नहीं बनता। अगर आपको पता नहीं होगा कि आप कोई चीज क्यों ले रहे हैं, उसको लेकर कोई प्रतिबद्धता नहीं होगी तो आप रिस्क नहीं लेंगे। ऐसे में लिस्ट बड़ी होगी। इसमें दिक्कत ये है कि अगर इनमें से कोई जबरदस्त रिटर्न देता है, रिटर्न इतना नहीं होगा कि उससे आपके मूल निवेश पर कोई खास फर्क पड़ेगा। आपका मकसद इंडेक्स से ज्यादा रिटर्न लेना है तो फिर पोर्टफोलियो में इंडेक्स जितने शेयर क्यों रखें?
पांचवां, आपको निवेश और उसके प्रदर्शन पर नजर रखने में अनुशासन बरतना होगा। बिजनस और डेटा की समझ और ठोस निवेश रणनीति नहीं होने पर आप तय नहीं कर पाएंगे परफॉर्मेंस के हिसाब से किसी शेयर में बने रहें या निकल जाएं। लेकिन बिजनस ग्रोथ का पक्का अनुमान निवेश जगत के सूरमां भी नहीं दे सकते।
छठा, आपको ऐसा स्टूडेंट बनना होगा जो गलती मानने को हमेशा तैयार रहता है। अगर आपका स्वभाव ऐसा है कि सबकुछ कंट्रोल में रखना चाहते और सब कुछ प्लान से चाहते हैं तो इक्विटी इन्वेस्टमेंट आपके लिए नहीं है। गलती समझ में आने पर सक्रियता दिखाते हुए उसमें सुधार लाने को तैयार रहना चाहिए। शेयर में कितनी तेजी आ सकती है, इसका सही अंदाजा मुश्किल है। हर कामयाब इक्विटी निवेशक की एक कहानी होगी जिसमें वह किसी-न-किसी कंपनी की अप्रत्याशित प्रगति से अभिभूत होगा। गलती होने पर आपको घाटा कम-से-कम रखना भी आना चाहिए।
सातवां, एक निवेशक में किसान और माली जैसा धैर्य होना चाहिए। इस पर कबीर का एक दोहा भी है। 'धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय, माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय।' आपमें उस बिजनस को फलता फूलता देखने का धीरज होना चाहिए, जिसमें आपने शेयर के जरिए हिस्सेदारी ली है। आपको पता होना चाहिए कि मैनेजमेंट कंपनी को किन चुनौतियों की मझधार से कैसे निकाल रहा है।
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।