प्रशांत महेश, नई दिल्ली जो लोग फिक्स्ड इनकम स्कीम्स में पैसा लगाने की सोच रहे हैं, उन्हें वैसे डेट फंड्स के बारे में सोचना चाहिए जो सिर्फ शॉर्ट टर्म और मीडियम टर्म पेपर में निवेश करते हैं। उसकी वजह यह है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) अभी ब्याज दरों में कटौती करने की जल्दबाजी नहीं दिखा रहा है। इस बारे में जीईपीएल कैपिटल के डिस्ट्रिब्यूशन हेड रूपेश भंसाली ने कहा, 'अगले छह महीने तक ब्याज दरों में कटौती के आसार नहीं दिख रहे हैं। इसलिए ड्यूरेशन के बजाय निवेशकों को अक्रुअल पर ध्यान देना चाहिए।' इससे उन्हें कैपिटल बचाने में मदद मिलेगी और रिटर्न गंवाने का भी रिस्क नहीं रहेगा।
भंसाली ने इन्वेस्टर्स को सिर्फ शॉर्ट टर्म और मीडियम टर्म डेट फंड्स में निवेश की सलाह दी है। उनका कहना है कि इन्वेस्टर्स को लॉन्ग टर्म गिल्ट फंड्स से दूर रहना चाहिए। आरबीआई ने जब से पॉलिसी स्टैंड को अकॉमडेटिव से न्यूट्रल किया है, ड्यूरेशन फंड्स के रिटर्न में गिरावट आई है। वैल्यू रिसर्च के डेटा से पता चलता है कि पिछले तीन महीने में डाइनैमिक बॉन्ड फंड कैटेगरी में 1.13 पर्सेंट की गिरावट आई है, जबकि मीडियम से लॉन्ग टर्म कैटेगरी में 1.51 पर्सेंट।
पिछले हफ्ते आरबीआई ने रेपो रेट को 6.25 पर्सेंट पर बनाए रखा और मॉनेटरी पॉलिसी पर न्यूट्रल रुख भी मेंटेन रखा। फंड मैनेजरों का मानना है कि लिक्विडिटी और इंट्रेस्ट रेट मैनेजमेंट के लिए रिवर्स रेपो रेट में 0.25 पर्सेंट की बढ़ोतरी करना ठीक रहेगा।
इस बारे में क्वॉन्टम असेट मैनेजमेंट में फिक्स्ड इनकम के हेड अरविंद चारी ने बताया, '2017 से 2021 के बीच महंगाई दर का 4 पर्सेंट लक्ष्य हासिल करना है। हालांकि, आरबीआई इसे टिकाऊ बनाना चाहता है। हमें आरबीआई की तरफ से रेट कट की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। वह पॉलिसी रेट को 6.25 पर्सेंट पर बनाए रख सकता है और इसमें आगे चलकर बढ़ोतरी के आसार दिख रहे हैं क्योंकि उसका फोकस महंगाई दर को काबू में रखने पर है।'
भंसाली ने इन्वेस्टर्स को सिर्फ शॉर्ट टर्म और मीडियम टर्म डेट फंड्स में निवेश की सलाह दी है। उनका कहना है कि इन्वेस्टर्स को लॉन्ग टर्म गिल्ट फंड्स से दूर रहना चाहिए। आरबीआई ने जब से पॉलिसी स्टैंड को अकॉमडेटिव से न्यूट्रल किया है, ड्यूरेशन फंड्स के रिटर्न में गिरावट आई है। वैल्यू रिसर्च के डेटा से पता चलता है कि पिछले तीन महीने में डाइनैमिक बॉन्ड फंड कैटेगरी में 1.13 पर्सेंट की गिरावट आई है, जबकि मीडियम से लॉन्ग टर्म कैटेगरी में 1.51 पर्सेंट।
पिछले हफ्ते आरबीआई ने रेपो रेट को 6.25 पर्सेंट पर बनाए रखा और मॉनेटरी पॉलिसी पर न्यूट्रल रुख भी मेंटेन रखा। फंड मैनेजरों का मानना है कि लिक्विडिटी और इंट्रेस्ट रेट मैनेजमेंट के लिए रिवर्स रेपो रेट में 0.25 पर्सेंट की बढ़ोतरी करना ठीक रहेगा।
इस बारे में क्वॉन्टम असेट मैनेजमेंट में फिक्स्ड इनकम के हेड अरविंद चारी ने बताया, '2017 से 2021 के बीच महंगाई दर का 4 पर्सेंट लक्ष्य हासिल करना है। हालांकि, आरबीआई इसे टिकाऊ बनाना चाहता है। हमें आरबीआई की तरफ से रेट कट की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। वह पॉलिसी रेट को 6.25 पर्सेंट पर बनाए रख सकता है और इसमें आगे चलकर बढ़ोतरी के आसार दिख रहे हैं क्योंकि उसका फोकस महंगाई दर को काबू में रखने पर है।'
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