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Channel: Mutual Funds in Hindi - म्यूचुअल फंड्स निवेश, पर्सनल फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट के तरीके, Personal Finance News in Hindi | Navbharat Times
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गिल्ट और शॉर्ट टर्म फंड में निवेश से फायदा

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नरेंद्र नाथन, मुंबई

हालिया मॉनिटरी पॉलिसी रिव्यू में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रीपो रेट और कैश रिजर्व रेशियो में कोई बदलाव नहीं किया और इन्हें क्रमश: 6.75 फीसदी और 4 फीसदी पर बनाए रखा गया। हालांकि, आरबीआई की सरकार को इन्फ्लेशन और वित्तीय अनुशासन को लेकर दी गई सलाह से मार्केट में खलबली मच गई। 10 साल के सरकारी बॉन्ड की यील्ड 0.06 फीसदी बढ़कर 7.85 फीसदी पर पहुंच गई। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने पर महंगाई दर बढ़ेगी, लेकिन रिटेल इन्फ्लेशन के 2016-17 के RBI के 5 फीसदी के टारगेट के करीब बने रहने के आसार हैं।

एक्सिस बैंक म्यूचुअल फंड के फिक्स्ड इनकम के हेड आर शिवकुमार के मुताबिक, 'कमोडिटी प्राइसेज में गिरावट का पूरा फायदा अभी तक कंज्यूमर्स को नहीं मिल पाया है। ऐसे में रिटेल इन्फ्लेशन में कमी आ सकती है।' लगातार दो साल तक मॉनसून की बारिश सामान्य से कम रही। इस साल बारिश सामान्य रहने की उम्मीद है। अगर ऐसा होता है तो महंगाई कम रखने में मदद मिलेगी।

आरबीआई ने कहा है कि अगर सरकार अपने खर्च को बेकाबू नहीं होने देती तो वह लोन और सस्ता कर सकता है। सातवें वेतन आयोग के लिए आगामी बजट में सरकार रकम तय करेगी। मॉनिटरी पॉलिसी में इसका बड़ा रोल होगा। हालांकि, सरकार के लिए वित्तीय अनुशासन बनाए रखना मुश्किल हो सकता है क्योंकि उसे पब्लिक सेक्टर के बैंकों को फंड भी देना है।

इसका सीधे तौर पर डेट मार्केट से लना-देना नहीं है, फिर भी स्टॉक मार्केट का फरवरी में परफॉर्मेंस काफी अहम होगा। स्टॉक मार्केट का खराब प्रदर्शन रुपये पर प्रेशर पैदा कर सकता है, जिससे रिजर्व बैंक के लिए रेट कट करना मुश्किल भरा हो सकता है। वहीं, इकॉनमी को रफ्तार देने के लिए सरकारी खर्च बढ़ाने और करों में कटौती के वित्तीय बुरे परिणाम हो सकते हैं। मार्केट एक्सपर्ट पंकज शर्मा के मुताबिक, 'वित्तीय अनुशासन की राह से सरकार हटी तो महंगाई बढ़ सकती है। ऐसा होने पर आरबीआई ब्याज दरों को घटाने पर अपने कदम रोक सकता है।'

फिर इनवेस्टर्स को क्या करना चाहिए? बहुत कुछ इंटरेस्ट रेट स्ट्रक्चर पर डिपेंड करेगा, जिसके नीचे आने के आसार हैं। एक्सपर्ट्स को उम्मीद है कि बजट के बाद दरों में चौथाई फीसदी कटौती हो सकती है। इसके बाद और भी रेट कट किए जा सकते हैं।

लंबे वक्त के गिल्ट फंड्स में पैसा लगाएं

RBI के पिछले एक साल में 1.25 फीसदी रेट कट के बावजूद, सरकारी बॉन्ड यील्ड अभी भी एक साल के लेवल पर बनी हुई है। यहां तक कि बेस्ट परफॉर्म करने वाले लंबे वक्त के गिल्ट फंड्स भी अच्छा रिटर्न देने में सफल नहीं रहे हैं। हालांकि, इससे लॉन्ग-टर्म इनवेस्टर्स के लिए अच्छा मौका पैदा हुआ है। उधारी दरें और बॉन्ड यील्ड्स सेंट्रल बैंक की उम्मीद से भी ऊंचे लेवल पर बनी हुई हैं। हालांकि, इंटरेस्ट रेट्स नीचे की ओर जा रहे हैं, लेकिन बजट के आसपास इनमें शॉर्ट-टर्म उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। इसका सामना करने के लिए तैयार इनवेस्टर्स लंबे वक्त के गिल्ट फंड्स में पैसा लगा सकते हैं। इनका अच्छा-खासा लंबा होल्डिंग पीरियड होना चाहिए।

शॉर्ट-ड्यूरेशन फंड

स्मॉल होल्डिंग पीरियड वाले या कम जोखिम चाहने वाले इनवेस्टर्स के लिए यह बेस्ट ऑप्शन है। इस कैटिगरी में गुजरे वक्त में अच्छा परफॉर्मेंस किया है और चूंकि शॉर्ट-टर्म रेट्स अभी ऊंचे लेवल्स पर हैं, ऐसे में इस सेगमेंट के अच्छा रिटर्न देते रहने की उम्मीद है। हालांकि, इनमें चुनिंदा फंड्स पर ही दांव लगाना चाहिए। शिवकुमार के मुताबिक, 'ऐसे शॉर्ट-ड्यूरेशन फंड्स को देखें जिनकी असेट क्वॉलिटी अच्छी है।' इकॉनमी स्ट्रेस पीरियड से गुजर रही है और क्रेडिट माहौल अच्छा नहीं है। आपको ऐसी किसी भी स्कीम से बचना चाहिए जो कि एग्रेसिव स्ट्रैटेजी पर चलती है और जिसके पास कम रेटिंग वाले बॉन्ड्स हैं।

डायनेमिक फंड्स

एक सामान्य सुझाव यह है कि इनवेस्टर्स को डायनेमिक फंड्स के लिए जाना चाहिए और टाइमिंग को फंड मैनेजर्स पर छोड़ देना चाहिए।

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