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'सरकारी बैंकों में धैर्य के साथ करें निवेश'

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ग्लोबल स्टॉक्स की तर्ज पर इंडियन मार्केट्स में भी रिकवरी आई है, लेकिन निकट भविष्य में कुछ तकलीफ हो सकने की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता है। यह कहना है रिलायंस कैपिटल के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट मधुसूदन केला का। निशांत वासुदेवन को दिए गए साक्षात्कार में केला ने कहा कि हालिया गिरावट के बाद सरकारी बैंकों के शेयर्स में निवेश का अच्छा मौका बना है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

क्या मार्केट का सबसे बुरा दौर बीत चुका है या हालिया बाउंस बैंक अस्थायी है?
अभी हम इंडिया में एक बड़े बुल मार्केट के भीतर गिरावट के गवाह बन रहे हैं। इससे पहले पिछले दशक के बुल मार्केट में भी हमारे बाजार में 2004 और 2006 में इसी तरह के पुलबैक्स आए थे जब मार्केट्स में तेज गिरावट आई थी, लेकिन अगले सालभर में ही दमदार ढंग से रिकवरी हुई क्योंकि तेजी का मोटा रुझान बना हुआ था। अभी जो बाउंस बैक दिख रहा है, वह केवल इंडियन मार्केट में नहीं है, बल्कि दूसरे ग्लोबल मार्केट्स में भी है क्योंकि ग्लोबल सेंट्रल बैंकों का रुख नरम हो गया है और ऑइल में भी स्थिरता आती दिख रही है। हालांकि निकट भविष्य में कुछ तकलीफ होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि वोलैटिलिटी पूरी तरह सेटल नहीं हुई है। फिर भी कुछ ऐसे स्टॉक्स हो सकते हैं, जिन्होंने हालिया सेल-ऑफ में ड्यरेबल बॉटम बनाया हो। हम अभी इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं कि आने वाले हफ्तों में इंडेक्स की दिशा क्या होगी। हम अभी रिस्क-रिवॉर्ड के कुछ चुनिंदा मौकों का आकलन कर रहे हैं।

ऑइल मार्केट में क्रैश का असर दूसरी असेट क्लासेज पर भी पड़ता दिख रहा है। क्या इसके चलते भीषण वैश्विक मंदी का खतरा है?
जरूरी नहीं है कि ग्लोबल डिमांड में कमजोरी के चलते ऑइल में यह स्थिति बनी हो। इसके बजाय सप्लाई बढ़ने से डिमांड और सप्लाई के बीच छोटा ही सही एक अंतर बना हुआ है। इसका असर फाइनैंशल इकॉनमी पर पड़ रहा है। मौजूदा कीमतें OPEC देशों से बाहर के मुख्य प्राइवेट प्रॉड्यूसर्स की नकद लागत से काफी नीचे हैं। यह स्थिति बरकरार नहीं रह सकती है और आने वाले समय में 1.5% की मौजूदा अतिरिक्त सप्लाई बैलेंस्ड हो जाएगी। हम ऑइल प्राइसेज में स्थिरता की उम्मीद तो कर रहे हैं, लेकिन ऑइल में किसी बुल मार्केट की संभावना नहीं है।

हाल में आपने कहा था कि अगर निफ्टी 7500 से नीचे चला जाए तो बड़े पैमाने पर लिवाली की जा सकती है। क्या अब भी इस रुख पर आप कायम हैं?
करेक्शन के बाद वैल्यूएशंस बेहतर दिख रहे हैं और ग्रोथ के लिए लगाई जा रही उत्साहजनक उम्मीदों का मामला भी ठंडा पड़ा है। जो लोग 3-6 महीनों के बजाय 3-5 वर्षों के लिए निवेश करना चाहते हों, उनके लिए मेरी सलाह कायम है। अर्निंग्स में 12-24 महीनों में रिकवरी दिखेगी और जो निवेशक मौजूदा गिरावट का फायदा उठाएंगे, उन्हें मार्केट इनाम देगा।

बजट में सरकार से आपकी क्या उम्मीदें हैं?
मुझे केवल आम बजट से नहीं, पूरे बजट सत्र से काफी उम्मीद है। जीएसटी और बैंकरप्सी कोड जैसे दो अहम बिल हो सकता है कि पास हो जाएं। चूंकि अभी किसी बड़े राज्य में चुनाव नजदीक नहीं हैं और यह बजट सरकार के कार्यकाल के बीच का है, लिहाजा उस पर लोकलुभावन कदम उठाने की मजबूरी भी नहीं है। मुझे बजट के सुधार के पक्ष में होने की उम्मीद है।

मिड और स्मॉल शेयर्स में मौजूदा लेवल से कितनी गिरावट आ सकने का अनुमान है?
कुछ ऐसी बेहतरीन कंपनियां हैं, जो आज भले छोटी हैं लेकिन उनमें आगे बढ़ने का दमखम है। मौजूदा गिरावट जैसे मौकों पर ही ऐसी चुनिंदा कंपनियों को मनमाफिक वैल्यूएशंस पर खरीदा जा सकता है। लिहाजा पूरे मिड और स्मॉल कैप इंडाइसेज के बारे में चिंतित होने की बजाय ऐसी अच्छी कंपनियों में 3-5 साल के लिए निवेश करना चाहिए।

क्या आप सरकारी बैंकों में निवेश करेंगे?
कई सरकारी बैंक इन स्तरों पर शानदार वैल्यू ऑफर कर रहे हैं। स्ट्रेस के बारे में बेहद खराब स्थिति की कल्पना कर के भी देखें तो कई सरकारी बैंक धीरज रखने वाले निवेशकों के लिए बेहतर दिख रहे हैं। हालांकि भूसे से अनाज को अलग करना होगा क्योंकि इनमें से कई बैंकों की बैलेंस शीट बेहद खराब स्थिति में है।

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