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अभी क्वॉलिटी स्टॉक्स खरीदने का मौका

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नरेंद्र नाथन/संकेत धानोरकर, मुंबई

पिछले हफ्ते जब सेंसेक्स 20 जनवरी को 52 हफ्ते के लो लेवल 23,840 पर पहुंचा, तो स्टॉक मार्केट की बेयर टेरिटरी यानी मंदी के दौर में एंट्री हो गई। सेंसेक्स ने 4 मार्च 2015 को 52 हफ्ते का पीक लेवल छुआ था, जो 30,025 है। पिछले हफ्ते वह इससे 20.6 पर्सेंट नीचे आ गया था। इंडेक्स जब पीक से 20 पर्सेंट से अधिक गिरता है तो उसे मंदी के दौर की शुरुआत माना जाता है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि शॉर्ट टु मीडियम टर्म में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन यह लॉन्ग टर्म के लिए खरीदारी का मौका है। निर्मल बंग सिक्यॉरिटीज के प्रिसिंपल और हेड (पीसीजी) मेहराबून ईरानी ने कहा, 'इस मुश्किल दौर से ही अगले बुल फेज की शुरुआत होगी। अगला बुल फेज बहुत ताकतवर होगा।' हालांकि, उन्हीं लोगों को अभी मार्केट में पैसा लगाना चाहिए, जो लंबे समय तक निवेश करने के लिए तैयार हैं।

इस बारे में सेंट्रम कैपिटल के एग्जिक्युटिव डायरेक्टर और सीआईओ कुंज बंसल ने कहा, 'मौजूदा स्तरों से मार्केट में अंग्रेजी के वी शब्द जैसी तेजी की उम्मीद मत करिए। यह यू शब्द जैसा होगा। इसमें भी मार्केट ठीक-ठाक समय तक लोअर लेवल पर रह सकता है।' पहले ऐसा देखा गया है कि अगले फेज की बुल रैली शुरू होने से पहले मार्केट का वैल्यूएशन काफी कम हो जाता है। सेंसेक्स का पीई अभी 20 साल के एवरेज पर है। इसलिए इसमें और कमी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। यहां हम बेयर मार्केट से फायदा उठाने के 5 तरीके बता रहे हैं।

स्टॉक चुनने में सावधानी

सिर्फ इसी वजह से किसी शेयर को मत खरीदिए क्योंकि इसमें बहुत ज्यादा गिरावट आ चुकी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इनवेस्टर्स को क्वॉलिटी शेयरों पर ध्यान देना चाहिए। कोटक सिक्यॉरिटीज में प्राइवेट क्लाइंट ग्रुप रिसर्च के हेड और सीनिर वाइस प्रेजिडेंट दीपन शाह ने कहा, 'जिन कंपनियों के रिजल्ट अच्छे लग रहे हैं, उन्हें धीरे-धीरे खरीदना शुरू करिए। वहीं, जिन स्टॉक्स में सरकार की पॉलिसी के चलते ग्रोथ की उम्मीद है, उनमें भी पैसा लगाया जा सकता है।' शाह को लार्ज कैप आईटी स्टॉक्स और कुछ रोड कंस्ट्रक्शन कंपनियां पसंद हैं।

लार्ज कैप स्टॉक्स और फंड में स्विच करिए

हालिया करेक्शन के चलते मिड कैप स्टॉक्स सस्ते हो गए हैं, लेकिन लार्ज कैप स्टॉक्स से कहीं ज्यादा रिटर्न मिल सकता है। आनंद राठी फाइनैंशल सर्विसेज में प्राइवेट वेल्थ मैनेजमेंट के डिप्टी सीईओ फिरोज अजीज ने कहा, 'इनवेस्टर्स को लार्ज कैप स्टॉक्स के साथ बने रहना चाहिए। इस सेगमेंट से मिड और स्मॉल कैप कंपनियों की तुलना में कहीं ज्यादा रिटर्न मिल सकता है।' वहीं, अर्थवेद फंड मैनेजमेंट के विकास गुप्ता को भी लगता है कि मिड कैप स्टॉक्स की तुलना में लार्ज कैप स्टॉक्स अंडरवैल्यूएड हैं। उनका यह भी कहना है कि रिकवरी होने पर लार्ज कैप स्टॉक्स से कहीं तेजी से फायदा होगा। बंसल ने कहा, 'सबसे पहले लार्ज कैप स्टॉक्स में तेजी आएगी। इसलिए शॉर्ट टु मीडियम टर्म में इस सेगमेंट से काफी फायदा हो सकता है।'

रोटेशन के लिए तैयार रहिए

हर बुल मार्केट में टॉप परफॉर्मिंग सेक्टर्स बदल जाते हैं। 1992 और 2008 की रैली में बैंक और कमोडिटी स्टॉक्स ने यह रोल अदा किया था। इसी तरह से 2000 से 2015 तक एफएमसीजी, फार्मा और आईटी सेक्टर्स ने शेयर बाजार में तेजी की अगुवाई की। इनवेस्टर्स को अब पिटे हुए सेक्टर्स पर ध्यान देना चाहिए। उन्हें ऐसे शेयर खरीदने चाहिए, जो अट्रैक्टिव लेवल पर ट्रेड कर रहे हैं। कमोडिटी कंपनियों को उबरने में अभी समय लगेगा। इसलिए उनसे फिलहाल दूर रहना चाहिए। हालांकि, सरकारी बैंकों में पैसा लगाने के बारे में सोचा जा सकता है। ये स्टॉक्स बुक वैल्यू के 0.3-0.4 गुना पर ट्रेड कर रहे हैं। ओपीसी एसेट सॉल्यूशंस के एग्जिक्युटिव चेयरमैन अजय बग्गा ने कहा, 'जो लोग एक से दो साल के लिए पैसा लगा सकते हैं, उन्हें सरकारी बैंकों के शेयर खरीदने के बारे में सोचना चाहिए।'

पोर्टफोलियो को सेफ बनाइए

2016 में शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रहने की आशंका है। इसलिए बड़े और डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो रखने वाले इनवेस्टर्स को निफ्टी आउट ऑफ द मनी पुट ऑप्शंस खरीदने के बारे में सोचना चाहिए। इससे उन्हें पोर्टफोलियो की वैल्यू बचाने में मदद मिलेगी। जो लोग मौजूदा लेवल पर शेयर खरीदने की योजना बना रहे हैं, वे भी इस स्ट्रैटेजी को फॉलो कर सकते हैं। अगर आप किसी अच्छे स्टॉक की पहचान करते हैं, तो भी एक्सपर्ट उसे बिना प्रोटेक्शन के खरीदने की सलाह नहीं दे रहे हैं।

डायनेमिक असेट ऐलोकेशन

इनवेस्टर्स को भी अपना पोर्टफोलियो अधिक डायनेमिक तरीके से मैनेज करना चाहिए। स्मॉल इनवेस्टर्स में शायद यह काबिलियत न हो। इसलिए उन्हें डायनेमिक असेट ऐलोकेशन फंड में पैसा लगाना चाहिए। मार्केट जब पीक पर होता है तो ये फंड्स अधिक पैसा डेट प्रॉडक्ट्स में लगाते हैं। वहीं, मार्केट का वैल्यूएशन कम होने पर ये शेयरों में निवेश बढ़ा देते हैं। इस कैटेगरी में वोलैटिलिटी बहुत कम होती है। इसलिए रिटेल इनवेस्टर्स इसमें पैसा लगाने की सोच सकते हैं।

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