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इस रीयल्टी मार्केट से मिलेगा शानदार रिटर्न

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कैलाश बाबर / रवि तेजा शर्मा, मुंबई / नई दिल्ली

पिछले तीन साल से रियल एस्टेट सेक्टर में इन्वेस्टर्स की दिलचस्पी काफी कम हो गई थी, लेकिन 2016 में इसमें बढ़ोतरी हो सकती है। ऐनालिस्टों का कहना है कि रेग्युलेटरी रिफॉर्म के चलते इस सेक्टर में इन्वेस्टमेंट बढ़ेगा। नया साल होम बायर्स के लिए भी बढ़िया रह सकता है क्योंकि प्राइसेज स्टेबल हो गए हैं। हालांकि, घरों की डिलिवरी में देरी और उनकी अन-अफोर्डेबिलिटी से कन्जयूमर सेंटिमेंट पर बुरा असर हो सकता है।

इस बारे में नाइट फ्रैंक इंडिया में रेजिडेंशल एजेंसी के नैशनल डायरेक्टर एम. जैदी ने कहा, 'रियल एस्टेट साइक्लिकल इंडस्ट्री है। हमें लगता है कि इसमें स्लोडाउन खत्म होने को है। इस सेक्टर को लेकर पॉजिटिव सेंटिमेंट साफ देखा जा सकता है। वहीं, रिकवरी भी तेज हो रही है। रियल एस्टेट में रेग्युलेटरी बदलावों के साथ इन्वेस्टर्स इस पर पॉजिटिव हो रहे हैं। इससे उनका भरोसा बढ़ सकता है और वे देर-सबेर पैसा लगने में दिलचस्पी दिखाएंगे।'

उन्हें लगता है कि वॉल्यूम के लिहाज से प्रॉपर्टी मार्केट में अगले छह महीनों में कंसॉलिडेशन दिख सकता है। इसके बाद दाम में मामूली बढ़ोतरी होगी। आखिर में डिवेलपर्स का कॉन्फिडेंस बढ़ेगा और वे मांग बढ़ने पर कीमतें बढ़ाएंगे। जैदी ने कहा, 'इसलिए यह घर खरीदने का सबसे अच्छा समय है।' हालांकि, कन्जयूमर सेंटिमेंट के रिवाइवल के लिए डिवेलपर्स को अधूरे प्रॉजेक्ट्स की डिलिवरी बढ़ानी होगी और दाम में कमी करनी पड़ेगी। उन्हें अपनी बैलेंस शीट भी ठीक करनी होगी। अभी रियल एस्टेट कंपनियों पर बहुत ज्यादा कर्ज है। इससे इन्वेस्टर्स का रियल एस्टेट सेक्टर पर भरोसा बढ़ेगा।

2015 में सरकार ने प्रॉपर्टी सेक्टर के लिए ऐसी पॉलिसी बनाने की शुरुआत की, जिनसे सेक्टर में लॉन्ग टर्म में अच्छी ग्रोथ बनी रह सकती है। इसी वजह से इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर ने इसमें पैसा भी लगाना शुरू किया है। ये इन्वेस्टर्स रियल एस्टेट सेक्टर की रिकवरी पर बड़ा दांव लगा रहे हैं। उन्हें लगता है कि नए साल में इस सेक्टर में ग्रोथ का दौर लौट सकता है।

कुशमैन ऐंड वेकफील्ड के इंडिया मैनेजिंग डायरेक्टर संजय दत्त ने कहा, '2015 में प्राइवेट इक्विटी इन्वेस्टर्स की दिलचस्पी रियल एस्टेट सेगमेंट में बढ़ी थी। उन्होंने इस सेक्टर में 2.8 अरब डॉलर का इन्वेस्टमेंट पिछले साल किया, जो 8 साल में सबसे अधिक है। हमें मोमेंटम बने रहने की उम्मीद है। हमारा मानना है कि अभी ऑफिस सेगमेंट में जो तेजी दिख रही है, उसका फायदा आगे चलकर मीडियम से लॉन्ग टर्म में रेजिडेंशल मार्केट को भी मिलेगा। हमारे हिसाब से रेजिडेंशल सेगमेंट में यूनिट सेल्स बढ़ेगी।'

दत्त के मुताबिक, यह रिटेल इन्वेस्टर्स और एंड यूजर्स के लिए शानदार मौका है। उन्हें प्रॉपर्टी बाजार में पैसा लगाने पर अच्छा रिटर्न मिल सकता है। उन्होंने बताया कि मिड साइज और रिटेल इन्वेस्टर्स रिटेल शॉप्स, ऑफिस स्पेस और लीज्ड ऐसेट्स में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। वहीं, हालिया रिपोर्ट में नाइट फ्रैंक इंडिया ने मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन के मध-मारवे और उल्वे को भारत में टॉप रेजिडेंशल सेगमेंट बताया था। उसने कहा था कि 2020 तक इन क्षेत्रों से क्रमश: 94 पर्सेंट और 70 पर्सेंट का रिटर्न मिल सकता है। गुड़गांव में सेक्टर 81 से 95 को 8वां सबसे अट्रैक्टिव डेस्टिनेशन बताया गया है। इस क्षेत्र को न्यू गुड़गांव के नाम से भी जाना जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र में पैसा लगाने पर 2020 तक 47 पर्सेंट का रिटर्न मिल सकता है। इसके बाद गुड़गांव में गोल्फ कोर्स एक्सटेंशन रोड का नंबर है, जहां से 2020 तक 42 पर्सेंट रिटर्न मिलने का दावा किया गया है।

एचएनआई इनवेस्टर संदीप मदान ने भी कहा कि यह एंड यूजर्स के लिए बेहतरीन मौका है। उन्हें अभी बढ़िया डिस्काउंट मिल सकता है। बायर्स को कंप्लीट प्रॉजेक्ट्स या पजेशन के करीब पहुंच चुकीं प्रॉपर्टी पर फोकस करना चाहिए। मदान के मुताबिक, उन्हें बेस्ड डिस्काउंट हासिल करने की भी कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने बताया, 'इन्वेस्टर्स के लिए भी डील्स की कोई कमी नहीं है, लेकिन बिल्डरों के प्रॉजेक्ट को समय पर डिलिवर करने को लेकर सवाल बना हुआ है। इसलिए इन्वेस्टर्स ग्रुप बनाकर बिल्डर्स से थोक में अपार्टमेंट बुक कर रहे हैं और इस पर भारी डिस्काउंट ले रहे हैं।' बायर्स की पसंद ऐसे प्रॉजेक्ट हैं, जो पूरा होने के करीब हैं। दरअसल, प्राइस और पेमेंट प्लान को लेकर बिल्डर्स कई तरह की रियायत दे रहे हैं। इसकी वजह यह है कि ज्यादातर बिल्डर्स को अभी कैश की कमी का सामना करना पड़ रहा है।

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