Quantcast
Channel: Mutual Funds in Hindi - म्यूचुअल फंड्स निवेश, पर्सनल फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट के तरीके, Personal Finance News in Hindi | Navbharat Times
Viewing all articles
Browse latest Browse all 1906

टेंशन से बचना है तो इमर्जेंसी फंड की अनदेखी न करें

$
0
0

नेहा पांडे देवरस, नई दिल्ली

आज के अनिश्चित जॉब मार्केट में छंटनी से कई महीने तक बेरोजगार रहना पड़ सकता है। किसी गंभीर बीमारी की वजह से अक्षमता से व्यक्ति की कमाने की क्षमता पर लंबे समय तक असर पड़ सकता है। जीवन में वित्तीय मुश्किलें आने की स्थिति से निपटने के लिए एक योजना तैयार रखें। इसमें एक पर्याप्त इमर्जेंसी फंड आपकी मदद कर सकता है।

हालांकि, क्रेडिट कार्ड से इमर्जेंसी फंड की जरूरत कुछ कम हुई है, लेकिन आप इनका इस्तेमाल तभी कर सकते हैं, जब आप रकम चुकाने के लिए फंड की व्यवस्था करने में सक्षम हों। क्रेडिट कार्ड को इमर्जेंसी फंड के विकल्प के तौर पर नहीं देखना चाहिए।

फाइनैंशल प्लानर आमतौर पर इमर्जेंसी के लिए अपने छह महीने के खर्च को अलग रखने की सलाह देते हैं। हालांकि, यह नियम अलग-अलग इंसान के हिसाब से अलग हो सकता है। अगर आपके पास हेल्थ इंश्योरेंस है तो मेडिकल इमर्जेंसी पड़ने पर इमर्जेंसी फंड की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर हेल्थ इंश्योरेंस कैशलेस है तो आपको एक रुपया भी खर्च नहीं करना होगा।

इमर्जेंसी फंड का साइज इस बात पर भी निर्भर करेगा कि आपकी जॉब कितनी सुरक्षित है और परिवार में कमाने वाले कितने सदस्य हैं। आपको ईएमआई और इंश्योरेंस प्रीमियम की रकम को भी ध्यान में रखने की जरूरत होगी। बड़ी रकम वाली ईएमआई चुकाने वाले परिवारों को इनकम कम होने पर काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता है। उनका इमर्जेंसी फंड भी उतना ही बड़ा होना चाहिए। बिगडिसिजंस डॉटकॉम के हेड (प्रॉडक्ट्स) गौरव रॉय ने बताया, 'इमर्जेंसी फंड से डेट चुकाने में काफी मदद मिलती है और इस दौरान बकाया लोन की रिस्ट्रक्चरिंग जैसे विकल्पों पर काम किया जा सकता है।'

इमर्जेंसी फंड कहां रखें?

फंड का साइज तैयार करने के बाद आपको इन्वेस्टमेंट के लिए सही ऑप्शन चुनना होगा। याद रखें कि यहां रिटर्न महत्वपूर्ण नहीं है। आपको देखना चाहिए कि जरूरत पड़ने पर पैसा आसानी से उपलब्ध हो। फाइनैंशल प्लानर मल्हार मजूमदार इमर्जेंसी फंड का कम से कम 25 पर्सेंट सेविंग्स बैंक अकाउंट में रखने का सुझाव देते हैं। आप इस रकम को किसी भी समय निकाल सकते हैं। पर्याप्त कैश विड्रॉल लिमिट वाला एक डेबिट कार्ड भी रखें।

सेविंग्स बैंक अकाउंट में आपको बैलेंस पर केवल चार पर्सेंट इंटरेस्ट मिलता है। एक बेहतर विकल्प स्वीप-इन अकाउंट का है जिसमें अतिरिक्त फंड अपने आप एक फिक्स्ड डिपॉजिट में ट्रांसफर हो जाता है और आपको सात-आठ पर्सेंट का रिटर्न मिलता है। जब आप पैसा निकालते हैं तो आपको फिक्स्ड डिपॉजिट तोड़कर रकम दी जाती है। अगर आपके बैंक में स्वीप-इन सुविधा नहीं है तो आप फंड ऐसे फिक्स्ड डिपॉजिट में रख सकते हैं जिसे आसानी से किसी भी समय तोड़ा जा सके।

एक अन्य विकल्प लिक्विड फंड का है। इसमें आपको अच्छा रिटर्न मिलने के साथ ही पैसा किसी भी समय निकाला जा सकता है। लिक्विड फंड्स में पिछले एक वर्ष में 8.24 पर्सेंट का रिटर्न मिला है और इसी अवधि में अल्ट्रा शॉर्ट-टर्म फंड्स ने 8.52 पर्सेंट का रिटर्न दिया है। इन फंड से रकम निकालने में एक दिन का समय लगता है। रिलायंस म्यूचुअल फंड जैसे कुछ फंड हाउस लिक्विड फंड के साथ एटीएम कार्ड देते हैं जिससे इन्वेस्टर अपनी रकम सीधे निकाल सकता है।

अपने फंड की समीक्षा करें

एक बार इमर्जेंसी फंड बनाने पर प्रोसेस समाप्त नहीं होता। आपको महंगाई दर के लिए अजस्टमेंट, लाइफस्टाइल में बदलाव, परिवार के सदस्यों की संख्या बढ़ने जैसे कारणों को देखते हुए इसकी समीक्षा करनी चाहिए। फंड की साल में कम से कम एक बार समीक्षा करें।

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।


Viewing all articles
Browse latest Browse all 1906

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>