इस फेस्टिव सीजन में कई तरह के डिस्काउंट आने वाले हैं। नेहा पांडे देवरस बता रही हैं कि इन डिस्काउंट्स के अट्रैक्शन के बीच ज्यादा खर्च करने पर कैसे काबू पाया जा सकता है...
बजट बनाना काफी नीरस काम लग सकता है, लेकिन यकीनन यह फिजूलखर्ची से कम कष्टदायक होता है। फेस्टिव शॉपिंग के लिए कुछ पैसा अलग रख लें। अपनी शॉपिंग लिस्ट बनाएं और पूरी रकम को जरूरत के हिसाब से बांट दें। याद रखें जिन चीजों की जरूरत नहीं है, उन पर पैसा खर्च न करें, भले ही उस पर चाहे जितना डिस्काउंट मिले। गैरजरूरी चीजें खरीदने के बजाय उस पैसे को किसी अनियोजित खर्च के लिए रखा जा सकता है, लेकिन इस तरह के खर्चों की भी एक सीमा पहले से तय करनी होगी।
जरूरतों का आकलन करें
शॉपिंग लिस्ट बनाते वक्त उन चीजों को बिल्कुल शामिल न करें, जिनकी आपको सही मायने में जरूरत न हो। ऐसा न हो कि डिस्काउंट के लालच में आप वे सारी चीजें खरीद लें, जिनकी आपको कभी जरूरत नहीं पड़ने वाली। फेस्टिव सीजन के दौरान रिटेलर्स बंपर डिस्काउंट और स्कीम्स लेकर आते हैं ताकि ग्राहकों को आकर्षित किया जा सके। जरूरी नहीं है कि इनकी स्कीम्स हमेशा ग्राहकों के पक्ष में हों। मान लीजिए 3000 रुपये की शॉपिंग पर 10 फीसदी डिस्काउंट मिल रहा है तो इसके लिए आपको पहले 3000 रुपये खर्च करने पड़ेंगे। तब जाकर आपको 300 रुपये की छूट मिलेगी, लेकिन अगर आपने बजट सिर्फ 1500 रुपये का बनाया हो तो क्या होगा? 300 रुपये के फायदे के लिए 1200 रुपये का लॉस अक्लमंदी नहीं है।
परिवार के साथ करें शॉपिंग
फिजूलखर्ची पर काबू पाने का एक बेहतर तरीका यह है कि अकेले जाने के बजाय परिवार के सदस्यों के साथ शॉपिंग करने जाएं। शॉपिंग पर जाने से पहले परिवार के सभी लोगों के साथ शॉपिंग लिस्ट पर बातचीत करें। बंपर डिस्काउंट के बावजूद आपकी फैमिली आपको गैरजरूरी खर्च करने से रोक सकती है। शॉपिंग लिस्ट बनाने के बाद आप परिवार के सदस्यों से यह पूछ सकते हैं कि इनमें से कौन सी चीजें खरीदना जरूरी नहीं है। दोस्त भी आपको शॉपहोलिक बनने से रोक सकते हैं।
इंतजार करें
डिस्काउंट देखते ही स्टोर की तरफ भागने से बेहतर है कि इंतजार करें। इससे आपकी शॉपिंग की चाहत घटती है। शुरू में जो चीज बहुत आकर्षक लगती है, बाद में उसका आकर्षण कम हो जाता है। ऐसे में तुरंत कोई चीज खरीदने न दौड़े। अगर विज्ञापनों में कोई चीज आपको बहुत आकर्षक लग रही है, लेकिन असल में आपको उसकी जरूरत नहीं है तो थोड़ा इंतजार करें। उसके बाद उस चीज को लेकर आपकी दीवानगी कम हो जाएगी और आपको यह खुशी होगी कि आपने बेकार की चीज पर अपनी मेहनत की कमाई नहीं लुटाई। कोई चीज पसंद आए तो तीन ऐसी वजहें लिखिए कि आखिर यह खरीदारी क्यों जरूरी है। इससे आपको सही फैसला लेने में मदद मिलेगी।
कैश ऑन डिलिवरी चुनें
एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्लास्टिक मनी और नेट बैंकिंग से खरीदारी करने पर फिजूलखर्ची के चांस ज्यादा होते हैं। आसानी से पेमेंट होने के कारण बायर्स को इस बात का अहसास ही नहीं हो पाता कि वे बेकार की शॉपिंग पर कितना पैसा खर्च कर चुके हैं। ऐसा खासतौर पर तब होता है, जब आप ऑनलाइन शॉपिंग कर रहे हों। आकर्षक 50 फीसदी ऑफ या 70 फीसदी ऑफ के मायाजाल में उलझकर खरीदारी जरूरत से ज्यादा हो जाती है। कार्ड से शॉपिंग करने के बजाय कैश का इस्तेमाल करें।
बजट बनाना काफी नीरस काम लग सकता है, लेकिन यकीनन यह फिजूलखर्ची से कम कष्टदायक होता है। फेस्टिव शॉपिंग के लिए कुछ पैसा अलग रख लें। अपनी शॉपिंग लिस्ट बनाएं और पूरी रकम को जरूरत के हिसाब से बांट दें। याद रखें जिन चीजों की जरूरत नहीं है, उन पर पैसा खर्च न करें, भले ही उस पर चाहे जितना डिस्काउंट मिले। गैरजरूरी चीजें खरीदने के बजाय उस पैसे को किसी अनियोजित खर्च के लिए रखा जा सकता है, लेकिन इस तरह के खर्चों की भी एक सीमा पहले से तय करनी होगी।
जरूरतों का आकलन करें
शॉपिंग लिस्ट बनाते वक्त उन चीजों को बिल्कुल शामिल न करें, जिनकी आपको सही मायने में जरूरत न हो। ऐसा न हो कि डिस्काउंट के लालच में आप वे सारी चीजें खरीद लें, जिनकी आपको कभी जरूरत नहीं पड़ने वाली। फेस्टिव सीजन के दौरान रिटेलर्स बंपर डिस्काउंट और स्कीम्स लेकर आते हैं ताकि ग्राहकों को आकर्षित किया जा सके। जरूरी नहीं है कि इनकी स्कीम्स हमेशा ग्राहकों के पक्ष में हों। मान लीजिए 3000 रुपये की शॉपिंग पर 10 फीसदी डिस्काउंट मिल रहा है तो इसके लिए आपको पहले 3000 रुपये खर्च करने पड़ेंगे। तब जाकर आपको 300 रुपये की छूट मिलेगी, लेकिन अगर आपने बजट सिर्फ 1500 रुपये का बनाया हो तो क्या होगा? 300 रुपये के फायदे के लिए 1200 रुपये का लॉस अक्लमंदी नहीं है।
परिवार के साथ करें शॉपिंग
फिजूलखर्ची पर काबू पाने का एक बेहतर तरीका यह है कि अकेले जाने के बजाय परिवार के सदस्यों के साथ शॉपिंग करने जाएं। शॉपिंग पर जाने से पहले परिवार के सभी लोगों के साथ शॉपिंग लिस्ट पर बातचीत करें। बंपर डिस्काउंट के बावजूद आपकी फैमिली आपको गैरजरूरी खर्च करने से रोक सकती है। शॉपिंग लिस्ट बनाने के बाद आप परिवार के सदस्यों से यह पूछ सकते हैं कि इनमें से कौन सी चीजें खरीदना जरूरी नहीं है। दोस्त भी आपको शॉपहोलिक बनने से रोक सकते हैं।
इंतजार करें
डिस्काउंट देखते ही स्टोर की तरफ भागने से बेहतर है कि इंतजार करें। इससे आपकी शॉपिंग की चाहत घटती है। शुरू में जो चीज बहुत आकर्षक लगती है, बाद में उसका आकर्षण कम हो जाता है। ऐसे में तुरंत कोई चीज खरीदने न दौड़े। अगर विज्ञापनों में कोई चीज आपको बहुत आकर्षक लग रही है, लेकिन असल में आपको उसकी जरूरत नहीं है तो थोड़ा इंतजार करें। उसके बाद उस चीज को लेकर आपकी दीवानगी कम हो जाएगी और आपको यह खुशी होगी कि आपने बेकार की चीज पर अपनी मेहनत की कमाई नहीं लुटाई। कोई चीज पसंद आए तो तीन ऐसी वजहें लिखिए कि आखिर यह खरीदारी क्यों जरूरी है। इससे आपको सही फैसला लेने में मदद मिलेगी।
कैश ऑन डिलिवरी चुनें
एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्लास्टिक मनी और नेट बैंकिंग से खरीदारी करने पर फिजूलखर्ची के चांस ज्यादा होते हैं। आसानी से पेमेंट होने के कारण बायर्स को इस बात का अहसास ही नहीं हो पाता कि वे बेकार की शॉपिंग पर कितना पैसा खर्च कर चुके हैं। ऐसा खासतौर पर तब होता है, जब आप ऑनलाइन शॉपिंग कर रहे हों। आकर्षक 50 फीसदी ऑफ या 70 फीसदी ऑफ के मायाजाल में उलझकर खरीदारी जरूरत से ज्यादा हो जाती है। कार्ड से शॉपिंग करने के बजाय कैश का इस्तेमाल करें।
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