सीनियर सिटिजन इनवेस्टर्स सुनिश्चित रिटर्न, अपनी रकम की सुरक्षा और नियमित अंतराल पर भुगतान चाहते हैं और सीनियर सिटिजंस सेविंग स्कीम (एससीएसएस) में यह सब मिलता है।
इसके अलावा, सीनियर सिटिजंस सेविंग स्कीम सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स बेनेफिट्स के साथ प्री-मच्योर विड्रॉल (स्कीम की मच्योरिटी से पहले रकम निकालने) की सुविधा भी देती है।
हालांकि, कुछ समस्याएं हैं, जिन्हें दूर करने की जरूरत है। उदाहरण के तौर पर स्कीम से होने वाली आमदनी पर टीडीएस लगता है। दिल्ली में रहने वाले वी के महाजन और उनकी पत्नी मधु इस बात को लेकर खुश हैं कि इनवेस्टमेंट पर उन्हें रेगुलर इनकम मिलती है, लेकिन वे इस बात से नाराज भी हैं कि मिलने वाला इंटरेस्ट टैक्सेबल है। आइए इस स्कीम के कुछ महत्वपूर्ण फीचर्स पर नजर डालते हैं।
इनवेस्टमेंट करने की योग्यता
इस स्कीम में एंट्री करने की न्यूनतम उम्र 60 साल है, लेकिन अगर किसी व्यक्ति ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली है तो न्यूनतम उम्र को घटाकर 55 साल किया जा सकता है। हालांकि, वीआरएस लेने वाले व्यक्ति को अपने रिटायरमेंट बेनेफिट्स मिलने के एक महीने के अंदर अपना अकाउंट खोल लेना चाहिए। इसके अलावा इनवेस्ट की जाने वाली रकम रिटायरमेंट बेनेफिट की वैल्यू से अधिक नहीं हो सकती है।
इन सभी शर्तों को पूरा करने वाले इनवेस्टर्स किसी भी पोस्ट ऑफिस में या 24 सरकारी बैंकों की अधिकृत शाखाओं और आईसीआईसीआई बैंक में इस स्कीम से जुड़ा अपना खाता खोल सकते हैं।
इनवेस्टमेंट लिमिट
कोई इंडीविजुअल सीनियर सिटीजंस सेविंग स्कीम में 15 लाख रुपये से ज्यादा का इनवेस्टमेंट नहीं कर सकता है। 1,000 रुपये के मल्टीपल में इसमें डिपॉजिट किया जा सकता है। इनवेस्टर अपने जीवनसाथी के साथ ज्वाइंट अकाउंट का विकल्प चुनकर एक से ज्यादा खाते खोल सकता है।
हालांकि, सभी खातों के लिए संयुक्त रूप से 15 लाख रुपये की इनवेस्टमेंट लिमिट लागू होगी। कुल मिलाकर, सीनियर सिटीजंस सेविंग स्कीम में एक इंडीविजुअल का कुल इनवेस्टमेंट 15 लाख रुपये की सीमा को पार नहीं कर सकता।
इंटरेस्ट रेट
सीनियर सिटीजंस सेविंग स्कीम का इंटरेस्ट रेट मार्केट से लिंक्ड है और यह पांच साल की गवर्नमेंट बॉन्ड यील्ड से 100 बेसिस प्वाइंट (एक पर्सेंट) ज्यादा है। मौजूदा फाइनेंशियल ईयर के लिए इंटरेस्ट रेट 9.3 फीसदी है। 15 लाख रुपये के इनवेस्टमेंट पर तिमाही 34,875 रुपये (11,625 रुपये हर महीने) की इनकम होती है। इनवेस्टर्स के लिए अच्छी बात यह है कि इस स्कीम को सरकार मैनेज करती है और इसमें निश्चित रिटर्न मिलता है। इसमें इकलौता जोखिम है कि भविष्य में रिटर्न कम हो सकता है।
इंटरेस्ट का भुगतान
इस स्कीम में प्रत्येक तिमाही की एक तय तारीख (अप्रैल, जुलाई, अक्टूबर और जनवरी के पहले कामकाजी दिन में) पर इंटरेस्ट का भुगतान किया जाता है। इंटरेस्ट के भुगतान में इनवेस्टमेंट की तारीख मायने नहीं रखती है।
स्कीम से मिलने वाला तिमाही भुगतान सेवानिवृत्त हो चुके लोगों के लिए बेहद उपयोगी है, जिन्हें अपने रोजमर्रा के खर्चों के लिए रेगुलर इनकम की जरूरत होती है। हालांकि, यह स्कीम उन लोगों के लिए ज्यादा फायदेमंद नहीं है, जो कि तत्काल ऐसी कोई आमदनी नहीं चाहते हैं। तिमाही आधार पर भुगतान के कारण इनवेस्टर्स इसमें कंपाउंडिंग का फायदा नहीं उठा पाते हैं।
स्कीम की अवधि
इस स्कीम की अवधि पांच साल है, लेकिन इसके मैच्योर होने के बाद इसे तीन वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है। किसी आपातस्थिति में इनवेस्टर एक साल के बाद खाते को बंद करा सकता है। अगर अकाउंट को दो साल से पहले बंद किया जाता है तो 1.5 पर्सेंट की पेनाल्टी लगती है।
दो साल के बाद पेनाल्टी 1 पर्सेंट है। हालांकि, पांच साल के मैच्योरिटी पीरियड के बाद तीन साल के लिए एक्सटेंड कराए गए अकाउंट पर कोई पेनाल्टी नहीं लगती है।
टैक्स
इस स्कीम में किए गए इनवेस्टमेंट पर सेक्शन 80 सी के तहत छूट मिलती है, लेकिन इसमें मिलने वाला ब्याज पूरी तरह से टैक्सेबल है। अगर एक फाइनेंशियल ईयर में आपकी इंटरेस्ट इनकम 10,000 रुपये से ज्यादा हो जाती है तो उस पर टीडीएस देना पड़ेगा।
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