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गोल्ड में निवेश के लिए इंतजार करें

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[ नरेंद्र नाथन | मुंबई ]

चीन और भारत जैसे अहम बाजारों से डिमांड में कमी गोल्ड के लिए एक और चिंता है। चीन की आर्थिक दिक्कतों के कारण आने वाले महीनों में वहां गोल्ड ज्वैलरी की मांग पर असर पड़ने की आशंका है। भारत में 1 लाख से ज्यादा की गोल्ड की खरीदारी पर पैन नंबर का जिक्र जरूरी किए जाने से पहले ही इसकी मांग पर असर पड़ना शुरू हो चुका है। वैसे भी भारत में मॉनसून पीरियड गोल्ड डिमांड के लिए ठंडा सीजन होता है। इंडियानिवेश कमोडिटीज के डायरेक्टर (कमोडिटीज एंड फॉरेक्स) मनोज कुमार जैन ने बताया, 'चूंकि हम मांग में सुस्ती के सीजन के बीच में हैं। इसलिए निवेशकों को और 2-3 महीने इंतजार करना चाहिए।'

अब तक डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट के कारण गोल्ड की घरेलू कीमत को ग्लोबल मार्केट में करेक्शन से कवर मिला हुआ था। हालांकि, हाल के हफ्तों में रुपये में स्थिरता आई है और इसमें मजबूती की भी संभावना है। पित्रे कहते हैं, 'अगर ऐसा होता है, तो डोमेस्टिक गोल्ड इनवेस्टर्स के लिए यह डबल झटका होगा।'

क्या अभी आपको शॉर्ट सेलिंग करनी चाहिए

गोल्ड जिस तरह के तूफान का सामना कर रहा है, उसे देखते हुए कमोडिटी फ्यूचर्स मार्केट में इस धातु की शॉर्ट सेलिंग फायदेमंद साबित हो सकती है। आप गोल्ड और सिल्वर सिर्फ इसकी वैल्यू का 5 फीसदी देकर खरीद सकते हैं। हालांकि, आपको कम से कम 1 किलो के कॉन्ट्रैक्ट की खरीदारी (या बिक्री) करनी होगी। गोल्ड 24,667 रुपये प्रति 10 ग्राम पर ट्रेड कर रहा है, लिहाजा, एक कॉन्ट्रैक्ट की टोटल वैल्यू 24.67 लाख है और जरूरी मार्जिन 1.33 लाख है।

हालांकि, फ्यूचर मार्केट में खेलना जोखिम भरा मामला है, जहां नए इनवेस्टर्स को नुकसान सहना पड़ सकता है। अगर किसी तरह की बेहतरी आपके संभावित फायदे को बढ़ाती है, तो नुकसान की भी आशंका उतनी ही रहती है। अगर आपने शॉर्ट सेलिंग की है और गोल्ड की कीमत 250 रुपये प्रति 10 ग्राम गिरती है, तो आप कॉन्ट्रैक्ट पर आराम से 25,000 रुपये बना सकते हैं। गोल्ड प्राइस में 1 फीसदी का बदलाव इनवेस्टमेंट पर 20 फीसदी का फायदा देगा। यह दांव उल्टा भी पड़ सकता है। गोल्ड की कीमत में 1 फीसदी की बढ़ोतरी से 20 फीसदी इनवेस्टमेंट साफ हो जाएगा। गोल्ड प्राइस में 5 फीसदी का बदलाव या तो आपका निवेश डबल कर देगा या फिर यह पूरी तरह खत्म हो जाएगा। जानकारों का मानना है कि मौजूदा लेवल पर शॉर्ट सेलिंग शुरू करना उचित नहीं है। अगले दौर की सेलिंग शुरू होने से पहले मार्केट के पिछले सपोर्ट लेवल पर आना नॉर्मल माना जाएगा।

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