प्रॉविडेंट फंड (पीएफ) से समय से पहले विड्रॉल को हतोत्साहित करने के लिए एम्प्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (ईपीएफओ) ने विड्रॉल को बैलेंस के 75 पर्सेंट तक सीमित करने का प्रपोजल दिया है। नैशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में समय से पहले विड्रॉल की अनुमति नहीं थी, लेकिन अब इसमें कुछ विशेष जरूरतों के लिए विड्रॉल की अनुमति दी गई है। ईटी ने एक्सपर्ट से यह जानने की कोशिश की है क्या एम्प्लॉयीज को समय से पहले अपनी रिटायरमेंट सेविंग्स से रकम निकालने की अनुमति मिलनी चाहिए?
रिटायमेंट सेविंग्स से समय से पहल विड्रॉल इनवेस्टर्स के हित में नहीं है। उन्हें इन फंड्स से रकम निकालने की अनुमति नहीं होनी चाहिए और निश्चित तौर पर पूरी रकम निकालने की तो बिल्कुल नहीं। इस फंड से फाइनैंशल स्टेबिलिटी मिलती है और अक्सर यह रिटायरमेंट के बाद 20-25 वर्षों तक ही चलता है। व्यक्ति के रिटायर होने के बाद उसके रोजाना के खर्चों और हेल्थकेयर की कॉस्ट बढ़ती रहती है, लेकिन इनवेस्टमेंट्स से मिलने वाली इनकम में बढ़ोतरी नहीं होती। सभी खर्चों को पूरा करने के लिए अच्छी इनकम हासिल करने के मकसद से रिटायरमेंट फंड बड़ा होना चाहिए। इसके लिए आपको जल्द बचत शुरू करने के साथ ही नियमित तौर पर इनवेस्टमेंट करना होता है। साथ ही, रिटायरमेंट से पहले इस फंड से रकम न निकालना भी महत्वपूर्ण है।
इस लॉन्ग-टर्म सेविंग को तोड़ने की कॉस्ट बहुत अधिक होती है। अगर आप अपनी रिटायरमेंट सेविंग्स में हर महीने 5,000 रुपये का इनवेस्टमेंट करते हैं और इस पर 9 पर्सेंट का रिटर्न मिलता है, तो 30 वर्षों के बाद कॉर्पस 91 लाख रुपये का होगा। हालांकि, अगर इनवेस्टर 15 वर्षों के बाद कॉर्पस में से 50 पर्सेंट रकम निकालता है तो फाइनल कॉर्पस घटकर 65 लाख रुपये रह जाएगा। अगर रिटायरमेंट सेविंग्स से समय से पहले रकम निकाली जाती है तो इनवेस्टर को एक बड़ा कॉर्पस नहीं मिलेगा।
भारत में सोशल सिक्यॉरिटी से जुड़े ऑप्शंस बहुत कम हैं और जनसंख्या का एक छोटा हिस्सा ही इन ऑप्शंस के तहत कवर होता है। आबादी में उम्रदराज लोगों की संख्या बढ़ने के साथ सरकार पर बड़ी उम्र के लोगों के हेल्थकेयर की जरूरतें पूरी करने का भारी दबाव होगा। दुनिया के विकसित देशों से तुलना करने पर भारत के रिटायरमेंट एसेट्स (जीडीपी रेशियो की तुलना में) केवल 15 पर्सेंट हैं। अमेरिका में ये 80 पर्सेंट और जापान में 65 पर्सेंट हैं।
इसी के मद्देनजर ईपीएफओ ने विड्रॉल को बैलेंस के 75 पर्सेंट पर सीमित करने का प्रपोजल दिया है। प्रॉविडेंट फंड अकाउंट का मुख्य उद्देश्य बड़ी उम्र में एम्प्लॉयीज के लिए सोशल सिक्यॉरिटी सुनिश्चित करना होता है। प्रॉविडेंट फंड की रकम का इस्तेमाल सिर्फ बड़ी जरूरत के समय करना चाहिए। इनवेस्टर्स को रिटायरमेंट सेविंग्स को एक सेविंग्स बैंक अकाउंट की तरह नहीं लेना चाहिए। पीएफ अकाउंट से पूरी रकम निकालने की अनुमति देने से रिटायरमेंट सेविंग्स का मकसद समाप्त हो जाएगा।
(एक्सपर्ट: संदीप सिक्का, प्रेजिडेंट ऐंड सीईओ, रिलायंस कैपिटल एसेट मैनेजमेंट)
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