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Channel: Mutual Funds in Hindi - म्यूचुअल फंड्स निवेश, पर्सनल फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट के तरीके, Personal Finance News in Hindi | Navbharat Times
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बच्चे को पॉकेट मनी दें या सेविंग्स अकाउंट खोलें?

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मुंबई

सोहेल (नाम परिवर्तित) के 10 साल के बेटे ने पिछले दिनों पॉकेट मनी की डिमांड रख दी। पैरंट्स के रूप में सोहेल और उनकी पत्नी को लगता है कि पॉकेट मनी देने से उनका बेटा मनी मैनेजमेंट के तरीके सीख सकेगा। वे पैरंट्स का यह आम ढर्रा अपनाना चाहते हैं कि बच्चे को पॉकेट मनी देकर उसे समझाएं कि उससे वह अपना खर्च चलाए। इस तरह वे उसे बचत करने, बजट बनाने और पैसे संभालने के तरीके समझाना चाहते हैं। हालांकि सोहेल के अडवाइजर की सलाह है कि अगर ऐसा कुछ समझाना है तो बच्चे के लिए सेविंग्स बैंक अकाउंट खोलना ज्यादा ठीक रहेगा। अब सोहेल दोनों विकल्पों को लेकर उलझन में हैं।

बैंक अकाउंट से मनी मैनेजमेंट के बारे में पॉकेट मनी वाले विकल्प के मुकाबले ज्यादा सबक मिल सकते हैं और अपने पर्सनल फाइनैंस के बारे में बच्चे की समझ विकसित होगी। बैंक अकाउंट रहे तो खुद बही-खाता तैयार करने की झंझट नहीं रहेगी और बच्चे के लिए इस खाते पर नजर रखना ज्यादा उत्साहजनक होगा।

अकाउंट बैलेंस को ट्रैक करने और इसे बढ़ते या घटते हुए देखने से किशोर उम्र के बच्चे न केवल रोमांचित हो सकते हैं, बल्कि इससे उन्हें खर्च और बचत की अपनी आदतों पर नए सिरे से नजर डालने में मदद भी मिल सकती है। पॉकेट मनी को उसके अकाउंट में मंथली बेसिस पर डाला जा सकता है और साथ में कुछ गिफ्ट्स भी दिए जा सकते हैं। यही नहीं, इससे बच्चा यह भी देख सकेगा कि बैंक अकाउंट में पैसे रखने से किस तरह उस पर इंटरेस्ट इनकम होती है।

नाबालिगों के बैंक अकाउंट में पैरंट्स को कई तरह की सावधानियां रखनी होती हैं। खर्च पर लगाम रखने के लिए डेबिट कार्ड पर डेली और मंथली खर्च की लिमिट और विदड्रॉल लिमिट तय की जा सकती है। सोहेल और उनकी पत्नी पहले तो यह तय करें कि वे अपने बच्चे के लिए ट्रांजैक्शन लिमिट कितनी रखना चाहते हैं और खर्च की सीमा की जानकारी किस तरह रखना चाहते हैं। उसके बाद वे बैंक अकाउंट चुनें। वे पासबुक देख सकते हैं या अपने बच्चे की ऑनलाइन अकाउंट समरी हर पखवाड़े देख सकते हैं। इससे उन्हें पता चलेगा कि कितना पैसा कहां खर्च किया गया। वे अपने बच्चे को खाता खोलने से पहले विभिन्न चार्जेज के बारे में बताएं और यह भी बताएं कि किन हालात में ये लगाए जा सकते हैं। उन्हें उसे मिनिमम बैलेंस बनाए रखने की जरूरत के बारे में भी बताना चाहिए। इन सब बातों से बच्चे में रुपये-पैसे के बारे में अनुशासन का भाव पैदा होगा।

सोहेल के बेटे की उम्र के बच्चे उन्हें मिलने वाली रकम को ऐसे बैंक अकाउंट में जमा कर सकते हैं, जिस पर ब्याज मिलता है और जो उन्हें डेबिट कार्ड के जरिए एक सीमा तक पैसे निकालने की छूट देता है। ऐसे सेविंग्स अकाउंट्स निवेश के विभिन्न विकल्पों और दूसरे फाइनैंशल कॉन्सेप्ट्स के बारे में भविष्य में होने वाली चर्चा की जमीन तैयार करेंगे।

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