Quantcast
Channel: Mutual Funds in Hindi - म्यूचुअल फंड्स निवेश, पर्सनल फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट के तरीके, Personal Finance News in Hindi | Navbharat Times
Viewing all articles
Browse latest Browse all 1906

डेट इनवेस्टर्स को क्रेडिट ऑपर्च्युनिटी फंड्स में दिखा मौका

$
0
0

[ प्रशांत महेश | मुंबई ]

डेट फंड्स से ज्यादा रिटर्न की चाहत रखने वाले निवेशक इन दिनों क्रेडिट ऑपर्च्युनिटी फंड्स में निवेश कर रहे हैं। गिल्ट फंड्स और इनकम फंड्स तो मुख्य तौर पर एएए रेटेड बॉन्ड्स में निवेश करते हैं, लेकिन क्रेडिट ऑपर्च्युनिटी फंड्स के पोर्टफोलियो का एक बड़ा हिस्सा एए या कम रेटिंग वाले पेपर्स का होता है। चूंकि कम रेटिंग वाले पेपर्स में इनवेस्ट कर ये ज्यादा जोखिम उठाते हैं, लिहाजा इनसे ज्यादा रिटर्न मिलने की गुंजाइश रहती है।

स्पेक्ट्रम वेल्थ सॉल्यूशंस के फाउंडर और सीईओ के रामनाथन ने कहा, 'गिल्ट फंड्स की यील्ड लगभग 8 पर्सेंट है। क्रेडिट ऑपर्च्युनिटी फंड्स के मामले में इसका आंकड़ा 10.5 पर्सेंट है।' आरबीआई ने इस साल अब तक पॉलिसी रेट में कुल 0.75 पर्सेंट की कमी की है, इसे देखते हुए फंड मैनेजरों का मानना है कि इस फाइनेंशियल ईयर में अब और अधिक से अधिक 0.25 पर्सेंट का रेट कट हो सकता है। लिहाजा इनकम और गिल्ट फंड्स से ज्यादा रिटर्न की संभावना कम है। इसे देखते हुए क्रेडिट ऑपर्च्युनिटी फंड्स दमदार दिख रहे हैं।

रामनाथन का मानना है कि एक्सपेंस रेशियो को घटाने के बाद गिल्ट फंड्स अगले एक साल में महज 6.5-7 पर्सेंट रिटर्न ही दे सकते हैं, वहीं क्रेडिट ऑपर्च्युनिटी फंड्स से 9-9.5 पर्सेंट रिटर्न मिल सकता है।

कम रेटिंग वाले पेपर में इनवेस्ट मरने में जोखिम होता है, लेकिन रामनाथन का मानना है कि ऐसे फंड्स के मामले में बढ़िया फंड हाउस के सेलेक्शन और बेहतर डायवर्सिफिकेशन से क्रेडिट रिस्क को कम किया जा सकता है। रामनाथन अपने क्लाइंट्स को बिड़ला एसएल मीडियम टर्म प्लान और कोटक मीडियम टर्म प्लान में निवेश करने की सलाह दे रहे हैं।

क्रेडिट ऑपर्च्युनिटी फंड्स में फंड मैनेजर के पास आम तौर पर बेहतर रिटर्न देने के लिए दो अवसर होते हैं। एक तो यह कि वह कम रेटिंग और ऊंचे कूपन रेट वाले कॉरपोरेट बॉन्ड्स को खरीदकर होल्ड करे। दूसरा अवसर तब आता है, जब क्रेडिट रेटिंग अपग्रेड होती है, जिसके चलते बॉन्ड की मार्केट प्राइस बढ़ती है। उदाहरण के लिए, श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस को एए प्लस से अपग्रेड कर एएए रेटिंग दी गई है। रेलिगेयर म्यूचुअल फंड के हेड (फिक्स्ड इनकम) सुजॉय दास ने कहा, 'रिवाइवल और ग्रोथ के शुरुआती संकेत मिल रहे हैं। अगले एक साल में क्रेडिट से जुड़ी स्थितियां सुधरेंगी और कॉरपोरेट बैलेंस शीट्स दमदार बनेंगी।' दास को उम्मीद है कि बिना एएए रेटिंग वाले पेपर्स का क्रेडिट स्प्रेड घटेगा।

फंड मैनेजरों के मुताबिक, इस बात की पूरी संभावना है कि जिन कंपनियों की क्रेडिट रेटिंग एएए से कम है, उन्हें इकनॉमी के सुधरने पर अपग्रेड कर दिया जाएगा। आरबीआई ने इंटरेस्ट रेट्स में कमी की है, लेकिन बैंकों ने कर्ज सस्ता करने की दिशा में उत्साह नहीं दिखाया है। लिहाजा कई कॉरपोरेट्स कर्ज जुटाने के लिए बैंकों के पास जाने के बजाय बॉन्ड मार्केट में उतर सकते हैं। इससे इन म्यूचुअल फंड्स को इनवेस्टमेंट का अवसर मिलेगा।

क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, इंडिया इंक की क्रेडिट से जुड़ी साख में 2014-15 के दौरान सुस्त रिकवरी जारी रही और साल की दूसरी छमाही में क्रेडिट रेशियो 1.75 पर रहा। यह पहली छमाही के 1.64 के आंकड़े से कुछ ही ज्यादा है। क्रिसिल रिसर्च का मानना है कि निकट भविष्य में डाउनग्रेडिंग से ज्यादा अपग्रेडिंग होगी।

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।


Viewing all articles
Browse latest Browse all 1906

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>